परिचय-
शरीर में लगभग 519 मांसपेशियां पाई जाती हैं। इनमें से 451 पेशियां तो हडि्डयों की गतियों में काम आती हैं। ये हडि्डयां अपने जोड़ों से जुड़ी रहती हैं। बाकी 68 पेशियां, आंख, कान, स्वर-यंत्र, जीभ और तालू आदि में लगी होती हैं।
गतियां-
हमारे शरीर में दो प्रकार की गतियां होती हैं-
पहली वे गतियां जिन्हें हम अपनी इच्छानुसार कर सकते हैं, जैसे-चलना-फिरना, बोलना, हाथ उठाना और भोजन चबाना आदि। इन गतियों को `इच्छाधीन गतियां´ कहा जाता है।
दूसरी वे गतियां, जो हमारे वश में नहीं होती, न तो हम इन गतियों को अपनी इच्छा से रोक सकते हैं तथा रुकने पर न हम उन्हें चला सकते हैं, जैसे हमारा दिल हमेशा धड़कता रहता है। अपनी इच्छानुसार हम इसे रोक नहीं सकते। इसी प्रकार आंतों में गति रहती है, जिस कारण भोजन ऊपर से नीचे को सरकता है। तेज प्रकाश जब सीधा आंखों पर पड़ता है तो आंखों की पुतलियां सिकुड़कर छोटी हो जाती हैं तथा काजलमय अंधकार में फैलकर चौड़ी हो जाती है। ऊपर गतियों को हम अपनी इच्छा से रोक या चला नहीं सकते। अत: ये गतियां हमारी इच्छा के अधीन न होने के कारण `स्वाधीन गतियां´ कहलाती हैं।
दो प्रकार के मांस-तंतु -
जिस प्रकार गतियां दो प्रकार की होती हैं, उसी प्रकार मांस-तंतु भी 2 प्रकार के होते हैं-
पहला- ऐच्छिक या इच्छाधीन-
वे मांस-तंतु जो मस्तिष्क की इच्छानुसार गतिशील होते हैं, उन्हें ऐच्छिक या इच्छाधीन मांस-तंतु कहते हैं जैसे बोलना, भोजन चबाना, हाथ-पैरों से कार्य लेना आदि इच्छाधीन मांस-तंतुओं से निर्मित अवयवों के कार्य हैं।
दूसरा- अनैच्छिक या स्वाधीन-
वे मांस-तंतु जिन पर मस्तिष्क का कोई नियंतण नहीं होता और दिल का धड़कना और पलकों का झपकना आदि अनैच्छिक मांस-तंतुओं के कार्य हैं।