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पोषण एवं चयापचय

स्वस्थ एवं  मजबूत शरीर उचित पोषण और उचित भोज्य पदार्थों द्वारा ही बनाया जा सकता है। ये भोज्य पदार्थ भोजन द्वारा ही प्राप्त होते हैं, इसी लिए भोजन को जीवन की प्रमुख जरूरतों में पहला स्थान दिया गया है। भोजन द्वारा ही शरीर में कुछ ऐसे पदार्थों की पूर्ति भी होती है जो भोजन को शरीर में स्वांगीकरण (assimilation) करने के लिए तथा शरीर के तंत्रों को सही और सक्षम बनाए रखने के लिए जरूरी होते हैं।

     संक्षेप में कहें तो पोषण उन प्रक्रियाओं का संयोजन है, जिसके द्वारा जीवित प्राणी अपनी क्रियाशीलता को बनाए रखने के लिए तथा अपने अंगों की वृद्धि एवं उनके पुनर्निर्माण के लिए जरूरी पदार्थों को प्राप्त करता है और उनका उचित उपयोग करता है।

    निम्नलिखित प्रयोजनों के लिए हमें भोजन की जरूरत होती है-

  • शरीर की गतिशीलता के कारण विभिन्न अंगों में हर समय क्रियाएं होती रहती है जिसके कारण शरीर की कोशिकाओं तथा ऊतकों में टूट-फूट होती रहती है। भोजन द्वारा बने जीवद्रव्य (protoplasm) इनकी मरम्मत और नई कोशिकाओं के निर्माण में सहायक होते हैं।
  • भोजन से ऊष्मा पैदा होती है, जो शरीर में औसतन तापमान बनाए रखने में सहायक होती है।
  • भोजन द्वारा बने प्रोटोप्लाज्म से हमारे शरीर में लगातार वृद्धि और विकास होता रहता है।
  • भोजन से ऊर्जा (energy) पैदा होती है, जो दैनिक (मानसिक एवं शारीरिक) कार्यों एवं प्राणभूत कार्यों में प्रयुक्त होती है।
  • आंतों द्वारा भोजन का अवशोषण होता है और फिर स्वांगीकरण (assimilation) होने के बाद जीवद्रव्य (protoplasm) बनता है, जिससे शरीर के नये ऊतकों और अंगों का निर्माण होता है।
  • भोजन शरीर की जीवनशक्ति (vitality) और रोग निवारण-क्षमता (immunity) को बढ़ाता है, जिससे शरीर हमेशा निरोगी रहता है।

भोजन के संभरण की जरूरत शरीर का निर्माण करने वाली सामग्री के लिए भी जरूरत है, जो एक शिशु को वयस्क बनाने के लिए अथवा एक वयस्क को रोजाना की सामान्य जीवन के ऊतकों की क्षतिपूर्ति के लिए आवश्यक है।


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