समस्त जीवधारी वातावरणीय उद्दीपनों से प्रभावित होते है और प्रतिक्रिया दर्शाते हैं। जीवित कोशिकाओं में उत्तेजनशीलता स्पष्ट रहती है। कोशिकाओं के इसी गुण के कारण शरीर में बाह्म उद्दीपनों से उत्तेजना उत्पन्न होती है। उत्तेजनशीलता साइटोप्लाज्म का एक महत्वपूर्ण गुण है। इससे शरीर की अऩेक मुसीबतों से रक्षा होती है। यदि त्वचा पर कहीं कोई कीड़ा बैठ जाता है, तब वहां के प्रोटोप्लाज्म में एक उत्तेजना-सी पैदा हो जाती है जिसका संदेश कोशिका कला से संचारित होकर मस्तिष्क तक पहुंच जाता है। कीड़ा हटते ही उत्तेजना समाप्त हो जाती है। संक्षेप में, उत्तेजना को किसी खतरे को समझने के रूप में, भोजन एवं पानी जैसी उपयोगी वस्तुओं को पहचानने में तथा ऐच्छिक कार्य करने के रूप में देखा जा सकता है।