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कोशिका की विशेषताएं

सभी जानते हैं कि कोशिका जीवधारियों की एक मूलभूत रचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई है, जिसमें विभिन्न जैविक क्रियाएं अपने विशिष्टीकृत रूप मे अपने आप ही होती रहती है।

ये क्रियाएं निम्नलिखित है-

1. श्वसन (respiration):

सभी जीवधारी ऑक्सीजन लेते हैं क्योंकि जीवित रहने के लिए उन्हे ऑक्सीजन की जरूरत होती है। इसलिए वे ऑक्सीजन लेते हैं तथा तथा कार्बन डाइऑक्साइड बाहर छोड़ते हैं। भोजन के ऑक्सीकरण के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता होती


2. स्वांगीकरण (Assimilation):

शरीर की हर कोशिका पोषक तत्वों को ग्रहण करके उनका आत्मीकरण करती है तथा इसके बाद कोशिकाएं विभिन्न जटिल पदार्थों का निर्माण करती है। साइटोप्लाज्म अपने अनुकूल पदार्थों को शीघ्रता से ग्रहण करता है और उसे अपने अनुरूप परिणित कर लेता है।

 


3. उत्सर्जन (Excretion):

पोषक तत्व ग्रहण करने तथा जीवन-संबंधी अनेक क्रियाओं के फलस्वरूप कुछ बेकार उत्पाद (Waste products) पैदा हो जाते हैं, जिनके निष्कासन का कार्य ये कोशिकाएं ही करती है। मानव शरीर से ये बेकार उत्पाद फेफड़ों से कार्बन डाइऑक्साइड के रूप

 


4. वृद्धि एवं क्षतिपूर्ति (Growth &  repair):

शरीर की हर कोशिका, पोषक तत्वों को ग्रहण करने के बाद उनका स्वांगीकरण करके, अपने शरीर की वृद्धि करती है तथा आवश्यकतानुसार क्षतिपूर्ति भी करती है। वर्धन क्रिया पोषक तत्वों के स्वांगीकरण के फलस्वरूप ही होती है।

 


5. प्रजनन (Reproduction):

अपनी जाति को पैदा करना सभी प्राणियों का गुण है और यही प्रकृति का नियम है। हर कोशिका में प्रजनन अथवा उत्पादन का गुण पाया जाता है। निम्न श्रेणी के जीवों में प्रजनन बहुत ही सरल प्रक्रिया है, जिसमें मातृ (मुख्य) कोशिका का दो भागों मे विभाजन होता है।

 


6. उत्तेजनशीलता (irritability):

समस्त जीवधारी वातावरणीय उद्दीपनों से प्रभावित होते है और प्रतिक्रिया दर्शाते हैं। जीवित कोशिकाओं में उत्तेजनशीलता स्पष्ट रहती है। कोशिकाओं के इसी गुण के कारण शरीर में बाह्म उद्दीपनों से उत्तेजना उत्पन्न होती है।

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7. गति (movement):

मानव शरीर की ज्यादातर कोशिकाएं स्थिर होती है लेकिन फिर भी शरीर में कुछ ऐसी कोशिकाएं है जो हमेशा गतिशील रहती है जैसे- श्वेत रक्त कोशिकाएं (WBC) अमीबॉयड गति (amoeboid movement)  से क्षतिग्रस्त प्रभावित क्षेत्र की ओर दौड़ती है।


 


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