परिचय-
यह रोग एक प्रकार की ऐसी अवस्था है जिसमें वृषण के पास या वृषणरज्जु के आस-पास पानी के समान द्रव्य जमा हो जाता हैं। यह रोग अधिकतर छोटे बच्चों तथा अधिक उम्र के व्यक्तियों में अधिक पाया जाता है। इस रोग में रोगी के अण्डकोष के एक ओर सूजन हो जाती है। इस सूजन वाले भाग में पानी के समान द्रव्य भरा होता है। इस सूजन में अक्सर दर्द नहीं होता है।
कारण-
यह रोग मुख्य रूप से किसी प्रकार की चोट लग जाने या वृषणों में किसी प्रकार का रोग होने के कारण होता हैं।
उपचार-
रोगी के अण्कोडषों पर सेरामिक चुम्बकों को लगाना चाहिए तथा इस प्रयोग में अण्डकोषों के दाईं ओर उत्तरी ध्रुव वाला चुम्बक तथा बाईं ओर दक्षिणी ध्रुव वाले चुम्बक को लगाना चाहिए। रोगी को दिन में 4 बार चुम्बकित जल दवाई की मात्रा के बराबर पिलाना चाहिए।