परिचय-
एक्जीमा त्वचा का रोग एक ऐसा प्रदाहक रोग है जो उग्र तथा जीर्ण दोनों रूपों में पाया जाता है। इस रोग में त्वचा के ऊपर छोटे-छोटे दाने गुच्छों के रूप में पाए जाते हैं। इन दानों में से एक प्रकार का पानी जैसे पदार्थ या पीब निकलता रहता है जो कुछ समय बाद सूखकर पपड़ी में बदल जाता है। इन दानों में खुजली तथा जलन भी होती रहती है।
कारण-
एक्जीमा रोग होने के कई कारण होते हैं और यह कई रूपों में शरीर में प्रकट होता है-
शिखरी एक्जीमा- एक्जीमा रोग का यह रूप ऐसी चीजों का सेवन करने से होता है जो उस व्यक्ति के प्रति अधिक संवेदनशील होती है।
परजीवी एक्जीमा – इस प्रकार का एक्जीमा किसी परजीवी के कारण होता है।
सौर एक्जीमा – एक्जीमा रोग का यह रूप सूर्य के प्रकाश के ज्वलनकारी तरंग-दैर्ध्य से प्रभावित होने के कारण होता है।
इसके अलावा भी यह रोग कई कारणों से होता है जैसे- अनुवांशिकता, रासायनिक पदार्थों का लगातार उपयोग, पेट में गड़बड़ी के कारण या बच्चों में टीका लगने के कारण आदि। अधिक चटपटे तथा मसालेदार भोजन का सेवन करने से तथा अधिक चाय-कॉफी पीने से भी यह रोग हो सकता है।
उपचार-
यदि व्यक्ति को यह रोग ‘शरीर के ऊपरी भागों पर है तो चुम्बकों का प्रयोग उसकी हथेलियों पर करना चाहिए और रोग अगर ‘शरीर के निचले भाग पर है तो चुम्बकों को व्यक्ति के पैर के तलुवों पर लगाना चाहिए। ‘शरीर के जिस भाग पर यह रोग है उस भाग पर उत्तरी चुम्बकीय ध्रुव से बनाया गया तेल लगाना चाहिए। ‘शरीर के एक्जीमा वाले भाग पर चुम्बक का सीधा प्रयोग नहीं करना चाहिए। रोगी को दिन में 3 बार चुम्बकित जल दवाई की मात्रा के बराबर पिलाना चाहिए। इसके फलस्वरूप यह जल व्यक्ति के ‘शरीर के खून में मिल जाता है और ‘शरीर के खून में पाये जाने वाले पीब तथा विष पदार्थ को अलग करके मल-मूत्र द्वारा ‘शरीर से बाहर निकाल देता है।
अन्य उपचार-
इस रोग को जल्दी ठीक करने के लिए रोगी को साफ-सफाई पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए तथा प्रतिदिन नहाना चाहिए। इस रोग से पीड़ित व्यक्ति को भारी तथा गरिष्ठ भोजन तथा चटपटे भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए। अचार, खट्टी चीजें, मांस, कॉफी, शंख मीन, चाय आदि चीजों का सेवन बंद कर देना चाहिए। अधिक से अधिक विटामिन `ए` तथा `सी` जैसे गुणों से युक्त भोजन का प्रयोग खाने में करना चाहिए। रोगी को अधिक कमजोरी होने पर मछली के तेल से ‘शरीर की मालिश करने से बहुत अधिक लाभ मिलता है।