परिचय-
जब किसी मनुष्य को चोट लग जाती है या किसी कारण से उसके ‘शरीर का कोई अंग छिल जाता है तो उस स्थान पर एक जख्म सा बन जाता है और जख्म में पीब बन जाती है। जब जख्म का रूप काफी गम्भीर हो जाता है तो जख्म फटकर पीब बाहर आ जाती है। इस रोग में रोगी को जख्म वाले स्थान पर बहुत तेज दर्द होता है।
कारण-
जब किसी व्यक्ति के शरीर के किसी अंग में मोच आ जाती है, मरोड़ आ जाती है, पेशियां फट जाती है या फिर किसी भारी सामान के नीचे आ जाने के कारण या किसी औजार द्वारा मांस कट जाने के कारण ‘शरीर का कोई अंग कट या फट जाता है तो उसे चोट लगना कहते हैं।
उपचार-
रोगी के शरीर में मोच आने की अवस्था में दक्षिणी ध्रुव वाले शक्तिशाली चुम्बक का स्थानिक प्रयोग करना चाहिए। जब शरीर में बहुत सारे घाव या चोटें हो तो प्रभावित भागों के अनुसार चुम्बकों का प्रयोग हथेलियों या पैर के तलुवों पर करना चाहिए अर्थात यदि नाभि से ऊपर वाला भाग प्रभावित हो तो चुम्बक को हथेलियों पर लगाना चाहिए और अगर नाभि से नीचे वाला भाग प्रभावित हो तो चुम्बक को पैरों के तलुवों पर लगाना चाहिए। आंखों तथा सिर की चोट की अवस्था में सेरामिक चुम्बकों का स्थानिक प्रयोग अर्थात चोट ग्रस्त भाग पर करना चाहिए। चोट ग्रस्त भाग पर लाल तेल का प्रयोग भी लाभदायक है।