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सूचीवेधन बिन्दु

परिचय-

          सूचीवेधन उपचारक कला का समवर्गी विज्ञान है जिसका आधार सामयिक ध्रुव परिवर्तन के साथ शरीर के विभिन्न अंगों द्वारा जीवनी-शक्ति के बहाव का सिद्धान्त है। इस जीवनी-शक्ति की कमी से ही रोग उत्पन्न होता है। इस चिकित्सा के अनुसार शरीर की बिन्दुओं पर बारीक-बारीक सुईयां चुभाने से रोग में आराम मिलता है। सूचीवेधन अर्थात सूची का मतलब सूई तथा वेधन का मतलब छेद।

        सूचीवेधन बिन्दु मनुष्य के शरीर की बाहरी सतह पर पाए जाते हैं जिन्हे रोग-लक्षणों को ठीक करने के लिये वेधा, दबाया या गरमाया जाता है। शरीर पर पाये जाने वाले ये बिन्दु अपने गुणों में भिन्न होते हैं तथा जो समान गुणों वाले बिन्दुओं को एक कल्पित डोरी या मार्ग से परस्पर जोड़ देते हैं जिसे एक मोतियों वाले हार समान कहा जाता है। मनुष्य के शरीर में पाये जाने वाले सूचीवेधन बिन्दु को 14 भागों में बांटा जाता है- इनमें 12 युगल माध्यम तथा 2 एकल माध्यम होते हैं। युगल माध्यमों का नामकरण छोटी आंत, फेफड़े, पित्ताशय तथा गुर्दे आदि आन्तरिक अंगों के आधार पर किया गया है तथा अन्य 2 एकल माध्यम को कांसेप्शनल व्हेसल तथा गवर्निग व्हेसल नाम से जाना जाता है। इसके अलावा त्रिऊष्मक नाम का एक युगल भी होता है जो शरीर में तीन ज्वलनकारी विवरों के सिद्धान्त पर आधारित है तथा किसी अंग विशेष से इसका कोई सम्बन्ध नहीं है। इनके अलावा मनुष्य के शरीर में कुछ और बिन्दु भी पाए जाते हैं जिनके लिए कोई निश्चित माध्यम निर्धारित नहीं किया जा सकता ।

शरीर के अगले हिस्से में पाये जाने वाले सूचीवेधन बिन्दु का चित्र

शरीर के पिछले हिस्से में पाये जाने वाले सूचीवेधन बिन्दु का चित्र

शरीर के बगल के हिस्से में सूचीवेधन बिन्दु का चित्र

        माध्यम चाहे कोई सा भी हो प्रत्येक माध्यम का एक विद्युत-चुम्बकीय क्षेत्र होता है तथा प्रत्येक सूचीवेधन बिन्दु की एक चुम्बक की इकाई होती है। जीवनी-शक्ति फुफ्फस माध्यम द्वारा एक परिधि के अन्दर बहती है, जो सम्बन्धित अंग से आरम्भ होती है तथा सूचीवेधन बिन्दु के माध्यम से अन्य अंगों में बहती है और दुबारा फेफड़े के अन्दर वापस चली जाती है। यहां प्रत्येक सूचीवेधन बिन्दु को विशेष माध्यम के आधार पर एक विशिष्ट क्रमांक दे दिया जाता है। उदाहरण के लिये हमारे शरीर में पाये जाने वाले पित्ताशय अथवा गाल ब्लेडर के ऊपर जो (जी.बी.) माध्यम होते हैं उन्हें GB-1, GB-2 तथा इसी तरह के क्रमांक दे दिये जाते हैं।

सूचीवेधन के बिन्दु निम्नलिखित है-

हिन्दी

अंग्रेजी माध्यम

संक्षिप्त रूप

पेट

स्टमक

एसटी.

फेफड़ा

लंग

एलयू

बड़ी आंत

लार्ज इंनसटाइन

एलआई

तिल्ली

सपलीन

एसपी

ह्रदय

हार्ट

एच

छोटी आंत

स्माल इंनसटाइन

एसआई

मूत्राशय

यूरीनेरी बलेडर

यूबी

गुर्दा

किडनी

के

ह्रदयावरण

पैरीकार्डियम

पी

पित्ताशय

गाल बलेडर

जीबी

त्रिऊष्मक

टरीपल वारमर

टीडब्लयू

जिगर

लीवर

एलआईवी

कॉन्सेप्शनल व्हेसल

कोनसीपटीवनाला वैसल

सीवी

गवर्निग व्हेसल

गर्वनिंग वैसल

जीवी

        एक अच्छा सूचीवेधन चिकित्सक अपने आप उन सभी सूचीवेधन बिन्दुओं की संख्या तथा उनके रूपों के बारे में निर्णय करता है जिन्हें किसी भाग में बेधने की जरूरी होती है तथा प्रत्येक रोग के लिये वह स्वयं ही सूचीवेधन सूत्र बनाता है।

उदाहरण के लिये दमे रोग के लिये जो सूत्र सूचीवेधन चिकित्सक अपनाते हैं वह इस प्रकार  है-

GV-12,  LI-4, SP-8, Liv-2, St-4, SI-4 और Lu-1

चुम्बक चिकित्सा में सूचीवेधन बिन्दु- सूचीवेधन चिकित्सा के अनुसार सूचीवेधन माध्यम विद्युत चुम्बकीय क्षेत्र है तथा प्रत्येक सूचीवेधन बिन्दु एक विद्युत चुम्बकीय इकाई है। इस आधार पर यदि कई प्रकार के रोगों में एक या दो प्रमुख सूचीवेधन बिन्दुओं पर चुम्बकों का प्रयोग किया जाये तो बहुत अधिक लाभ मिलेगा। सूचीवेधन बिन्दुओं का विभिन्न रोगों में उपयोग करने की विधि भी वही है जो अन्य रोगों में अपनाई जाती है। कहने का अर्थ यह है कि यदि एक बिन्दु को ही चुम्बकित करना है तो केवल दक्षिणी ध्रुव का ही प्रयोग करना चाहिए। लेकिन जब दो सूचीवेधन बिन्दुओं को चुम्बकित करना हो तो पूर्व निर्दिष्ट सामान्य नियमों का पालन करना आवश्यक होता है, ध्रुवों की दिशा, अवधि, समय आदि का नियम भंग नहीं किया जाना चाहिए। सूचीवेधन बिन्दुओं पर चुम्बक-प्रयोग करने का एक सबसे बड़ा फायदा यह है कि चिकित्सक को सूचीवेधन बिन्दु का निर्धारित स्थान ढूंढ़ने में ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती है। चुम्बक के प्रभाव के कारण चिकित्सक को आसानी से पता चल जाता है कि शरीर पर सूचीवेधन बिन्दु कहां-कहां हैं तथा चुम्बक का प्रयोग शरीर के किस भाग पर करना है।


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