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चुम्बक

परिचय-

          कठोर धातु का वह टुकड़ा जो लोहे की कीलों, आलपीनों तथा लोहे की बनी चीजों को अपनी ओर आकर्षित करता है, चुम्बक कहलाता है।

चुम्बकीय पदार्थ-

       चुम्बक जिस किसी भी पदार्थ को अपनी ओर आकर्षित करता है उसे चुम्बकीय पदार्थ कहा जाता है।

चुम्बकीय क्षेत्र-

      चुम्बकीय पदार्थ को चुम्बक जिस दूरी से अपनी ओर खींचता है उस दूरी को ही चुम्बकीय पदार्थ का क्षेत्र कहा जाता है अर्थात चुम्बक तथा चुम्बकीय पदार्थ की बीच की दूरी को चुम्बकीय क्षेत्र कहा जाता है।

चुम्बक के प्रकार-

1. प्राकृतिक चुम्बक- प्राचीन समय में एशिया माइनर में मैग्नीशिया नामक स्थान पर कुछ काले पत्थरों की खोज की गई जिनका नाम इसी स्थान के नाम पर मैग्नेट रखा गया। मैग्नेट शब्द अंग्रेजी में है और हिन्दी में इसका अर्थ चुम्बक होता है। चुम्बक को लाडस्टोन या नेचुरल मैग्नेट के रुप में भी जाना जाता है। जब इन पत्थरों को स्वतन्त्र रुप से हवा में लटका दिया जाये तो ये पत्थर अपनी पहले की स्थिति में आ जाते हैं तथा एक निश्चित दिशा की ओर संकेत करते हैं इसलिए इन पत्थरों को लोडस्टोन कहा जाता है। इन पत्थरों में एक विशेष प्रकार का गुण भी पाया जाता है जो लोहे तथा ऑक्सीजन के रूप में एक ऑक्साइड का निर्माण करता है। इसका वैज्ञानिक भाषा में आणुविक सूत्र- Fe3 O4  है।

2. मनुष्यों द्वारा बनाया गया चुम्बक- मानव द्वारा बनाए गए चुम्बकों का अब प्राकृतिक चुम्बकों से ज्यादा प्रयोग होने लगा है क्योंकि इन्हे जरूरत अनुसार आकार देकर प्रयोग में लाया जा सकता है। उपयोगिता के अनुसार इनकी पॉवर को भी कम या ज्यादा किया जा सकता है। कुछ चुम्बक छड़ों के आकार के होते हैं तो कुछ घोड़े की खुरों के आकार के, कुछ सुई के आकार के होते हैं और कुछ नक्षत्र मंडल के समान गोलाकार होते हैं, जिसका चुम्बकीय क्षेत्र एक ही दिशा में होता है।

मानव निर्मित चुम्बक को दो भागों में बांटा जा सकता है-

1. स्थायी चुम्बक- स्थायी चुम्बक वे चुम्बक होते हैं जो अपनी आकर्षण शक्ति को बहुत लम्बे समय तक धारण किये हुए रहते हैं। स्थायी चुम्बकों का उपयोग विद्युत मापी यंत्रों, ध्वनिविस्तारकों, टेलीफोन के ध्वनिग्राही भागों, रेडियों तथा बिजली की डी सी और चुम्बक चिकित्सा आदि में किया जाता है।

2. अस्थायी चुम्बक- अस्थायी चुम्बक वे चुम्बक होती है जिनकी आकर्षण शक्ति को अपनी इच्छानुसार कम या अधिक किया जा सकता है। ऐसे चुम्बकों की उपयोगिता बहुत अधिक होती है। इन चुम्बकों का उपयोग विद्युत चुम्बकों के रूप में टेलीग्राफिक मशीनों, बिजली के क्रेनों तथा दरवाजों पर लगाई जाने वाली घंटियों और बिजली के अनेक यंत्रों आदि में किया जाता है। इन चुम्बकों के विभिन्न गुणों के आधार पर इन्हें कई प्रकार के यंत्रों में में उपयोग किया जाता है।

अन्य प्रकार के चुम्बक-

1. सेरामिक चुम्बक- यह अर्धचन्द्राकार आकार के रुप में पाए जाने वाले कम शक्ति के चुम्बक होते हैं। इन चुम्बकों का प्रयोग चुम्बक चिकित्सा के अनुसार छोटे बच्चों की बीमारियों और अन्य प्रकार के रोगों को ठीक करने में किया जाता है जैसे-बौनापन, आंख आना, टांसिलों की जलन, नींद न आना आदि।

2. मध्यम शक्ति के चुम्बक- इस प्रकार के चुम्बकों में सेरामिक चुम्बक से अधिक शक्ति पाई जाती है। इन चुम्बकों का प्रयोग बच्चों की हथेलियों तथा उनके पैरों के तलुवों आदि पर किया जाता है। दांत के दर्द, कान का दर्द तथा शरीर के कोमल अंगों की किसी बीमारी आदि को ठीक करने में इनका प्रयोग किया जाता है।

3. उच्च शक्ति के चुम्बक- इस प्रकार के चुम्बकों में सेरामिक चुम्बक तथा मध्यम शक्ति के चुम्बकों से अधिक शक्ति पाई जाती है। इन चुम्बकों का उपयोग वृद्ध व्यक्तियों (बड़े उम्र के लोग) के विभिन्न रोगों को ठीक करने में अधिक किया जाता  है। इनका उपयोग हथेलियों तथा पैरों के तलुवों पर किया जाता है। कई पुरानी बीमारियों को ठीक करने में भी इनका प्रयोग किया जाता है। चुम्बकित जल बनाने के लिये भी इन चुम्बकों का प्रयोग किया जाता है।

4. प्रेसीडण्ट चुम्बक- इन चुम्बकों का उपयोग बहुत अधिक मात्रा में चुम्बकित जल बनाने के लिए किया जाता है। बड़े-बूढ़े व्यक्तियों के रोगों तथा पुरानी बीमारियों को ठीक करने के लिये इन चुम्बकों का प्रयोग किया जाता है।


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