परिचय-
आधुनिक अंगमर्दक चिकित्सा के अनुसार कंधे तथा कमर से सम्बंधित रोगों को ठीक करने के लिए कंधे तथा कमर पर कई बिन्दुएं होती है जिन पर रोगी व्यक्ति अपने आप भी दबाव देकर अपना इलाज कर सकता है।
कंधे तथा कमर पर उपचार करने के लिए निम्नलिखित भाग पर बिन्दुएं होती है जो इस प्रकार हैं-
1. कंधे के भाग पर ऊपरी स्कंधफलक के क्षेत्र-
आधुनिक अंगमर्दक चिकित्सा के अनुसार ऊपरी स्कंफलक क्षेत्र पर दबाव देने के लिए सबसे पहले रोगी व्यक्ति को किसी कुर्सी, तख्त या फिर आराम की स्थिति वाली जगह पर सावधानीपूर्वक बैठ जाना चाहिए। फिर इसके बाद ऊपरी स्कंधफल के क्षेत्र पर उपचार करना चाहिए तथा दबाव देने का कार्य सबसे पहले इस क्षेत्र की बाईं तरफ से शुरू करना चाहिए और फिर अपने दाएं हाथ की तर्जनी, मध्यम व अनामिका उंगलियों से अधिजठर कोटर की ऊंचाईपर धड़ के मध्य भाग की ओर केन्द्रित बिन्दु पर दबाव देना चाहिए। लेकिन इन भाग के बिन्दुओं पर दबाव पांच सेकेण्ड तक देना चाहिए। फिर इस प्रकार से दबाव का क्रम तीन बार दोहराना चाहिए। इसके बाद बाएं हाथ की तीनों उंगलियों की सहायता से दाहिने ऊपरी स्कंधफलक पर भी ठीक इसी प्रकार से दबाव देना चहिए। इस दबाव के क्रम को तीन बार 5-5 सेकेण्ड के लिए दोहराना चाहिए । इस प्रकार से आधुनिक अंगमर्दक चिकित्सा के अनुसार कंधे के ऊपरी स्कंधफलक पर प्रतिदिन उपचार करे तो रोगी के कंधे से सम्बन्धित रोग जल्दी ठीक हो जाते हैं।
2. अधो स्कंधफलक व कटि क्षेत्र-
आधुनिक अंगमर्दक चिकित्सा के अनुसार ऊपरी स्कंधफलक क्षेत्र (कंधे के ऊपर का भाग) पर दबाव देने के लिए सबसे पहले रोगी व्यक्ति को किसी कुर्सी या तख्ते या फिर आराम की स्थिति वाली जगह पर सावधानीपूर्वक बैठ जाना चाहिए। फिर इसके बाद अधो स्कंधफलक व कटि (कमर) क्षेत्र पर उपचार करना चाहिए तथा उपचार करने के लिए सबसे पहले अपने दोनों हाथों की भुजाओं को अपनी कमर के पीछे की ओर लाना चाहिए तथा दोनों हाथों की ऊपर की ओर मुड़ी चारों उंगलियों को अपनी दिशा में हल्के से लपेट लेंना चाहिए तथा रीढ़ की हड्डी के दोनों ओर स्थित अधो स्कंधफलक बिन्दुओं पर दबाव देना चाहिए। मेरूरज्जु भाग के दस बिन्दुओं में से पहला बिन्दु ठीक डायाफ्राम के पीछे स्थित होता है और शेष बिन्दु नीचे की ओर जरा-जरा से अंतराल पर पांचवे कटि कशेरूका तक स्थित होते हैं। इसके बाद अपने दोनों अंगूठों की सहायता से रीढ़ के भाग की बिन्दुओं पर बारी-बारी से दबाव देना चाहिए। फिर अपने धड़ को पीछे की ओर थोड़ा सा झुकाना चाहिए और फिर अपने धड़ को सीधा करना चाहिए। इन बिन्दुओं पर कम से कम पांच सेकेण्ड के लिए दबाव देना चाहिए। इस प्रकार प्रतिदिन कुछ दिनों तक दबाव देने की क्रिया को तीन बार दोहराना चाहिए। इस प्रकार से आधुनिक अंगमर्दक चिकित्सा के अनुसार इन क्षेत्र के बिन्दुओं पर दबाव देने से अधो स्कंधफलक व कटि क्षेत्र से सम्बन्धित रोग ठीक हो सकते हैं।
3. श्रेणिफलक शिखर-
आधुनिक अंगमर्दक चिकित्सा के अनुसार ऊपरी श्रेणिफलक शिखर पर दबाव देने के लिए सबसे पहले रोगी व्यक्ति को किसी कुर्सी, तख्त या फिर आराम की स्थिति वाली जगह पर सावधानीपूर्वक बैठ जाना चाहिए। फिर इसके बाद श्रेणिफलक शिखर पर उपचार करना चाहिए। यह श्रेणिफलक का क्षेत्र कूल्हों के प्रत्येक भाग की ओर त्रिकास्थि की संधि की बगल में बाहर की तरफ जाती हुई एक लहरदार रेखा पर स्थित होता है और इस लहरदार रेखा पर कई बिन्दु होते हैं। इन बिन्दुओं पर उपचार करने के लिए अपने दोनों अंगूठों को समान स्तर पर आड़ी रेखा के रूप में रखकर प्रत्येक बिन्दु पर दबाव देना चाहिए। लेकिन इन बिन्दुओं पर तीन सेकेण्ड के लिए दबाव देना चाहिए और इस तरह दबाव देकर उपचार करने की क्रिया को कम से कम तीन बार दोहराना चाहिए। इस प्रकार से दबाव देते समय रोगी व्यक्ति के दोनों हाथों की चारों उंगलियां पश्च उदर (पेट) के क्षेत्र पर लिपटी होती है। जैसे-जैसे अंगूठे को अगले बिन्दुओं पर दबाव देने के लिए आगे की ओर बढ़ाते हैं वैसे-वैसे वे उंगलियां आगे की ओर बढ़ती है। इस प्रकार से दबाव का क्रम प्रतिदिन करने से रोगी कुछ ही दिनो में अपने रोग से छुटकारा पा लेता है।
4. त्रिकास्थि क्षेत्र-
आधुनिक अंगमर्दक चिकित्सा के अनुसार ऊपरी त्रिकास्थि क्षेत्र पर दबाव देने के लिए सबसे पहले रोगी व्यक्ति को किसी कुर्सी या तख्ते या फिर आराम की स्थिति वाली जगह पर सावधानीपूर्वक बैठ जाना चाहिए। फिर इसके बाद रोगी को यह जानने की आवश्यकता है कि त्रिकास्थि क्षेत्र के तीनों बिन्दु त्रिकास्थि की उर्ध्वाकार मध्य रेखा के साथ-साथ स्थित होते हैं। फिर इसके बाद अपने दोनों अंगूठें के अग्र भाग को मिलाकर प्रत्येक बिन्दु पर तीन सेकेण्ड तक दबाव देना चाहिए। इस प्रकार का दबाव तीन बार दोहराना चाहिए। जब इस क्षेत्र के अंतिम बिन्दु पर दबाव देते हैं तो उस समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि त्रिकास्थि क्षेत्र पर दबाव न पड़े। इस प्रकार से रोगी व्यक्ति अपने शरीर पर प्रतिदिन दबाव देता है तो उसका रोग जल्दी ठीक हो सकता है।