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चेहरे पर आधुनिक अंगमर्दक चिकित्सा के द्वारा दबाव

परिचय-

          यदि किसी व्यक्ति को चेहरे से सम्बन्धित कोई रोग हो जाता है तो उसे ठीक करने के लिए चेहरे पर कई बिन्दु होते हैं जिनका आधुनिक अंगमर्दक चिकित्सा से इलाज किया जाए तो वह ठीक हो सकता है।

चेहरे पर अंगमर्दक चिकित्सा के अनुसार बिन्दु निम्नलिखित है-

1. चेहरे के अग्र-भाग (सामने का भाग) की मध्य रेखा के ऊपर बिन्दु जिस पर रोगी व्यक्ति अपने आप दबाव देकर रोग को ठीक कर सकता हैं-

  • आधुनिक अंगमर्दक चिकित्सा के अनुसार रोगी को अपने चेहरे के अग्र-भाग पर दबाव देने के लिए सबसे पहले घुटने के बल बैठ जाना चाहिए। फिर इसके बाद चेहरे के अग्र-भाग से सम्बन्धित जो बिन्दु होते हैं। उन पर तीन सेकेण्ड के लिए दबाव देना चाहिए। फिर इस प्रकार से दबाव देने की क्रिया को तीन बार दोहराना चाहिए।
  • इसके बाद दबाव देने के लिए अपने दाहिने हाथ की तर्जनी, मध्यम तथा अनामिका उंगलियों पर बाएं हाथ की ये ही तीनों उंगलियों को रखकर भूमध्य बिन्दु के जरा से ऊपर की ओर मध्य रेखा पर स्थित तीनों बिन्दुओं पर दबाव देना चाहिए। इस प्रकार से दबाव कुछ दिनों तक लगातार देना चाहिए जिसके फलस्वरूप चेहरे के इस भाग से सम्बन्धित होने वाला रोग जल्दी ही ठीक हो जाते है।

2. चेहरे के नासिका क्षेत्र पर दबाव- आधुनिक अंगमर्दक चिकित्सा के अनुसार यदि चेहरे के नसिका क्षेत्र से सम्बन्धित कोई रोग हो जाए तो उसका इलाज व्यक्ति अपने आप भी कर सकता है। इस क्षेत्र से सम्बन्धित तीन बिन्दु नाक के साथ-साथ होते हैं। पहला बिन्दु आंख के आंतरिक भाग के कोने के अन्दर होता है, दूसरा बिन्दु नाक की हड्डी के बगल में होता है और तीसरा बिन्दु नाक के नथुनों के पंखों के पास होता है। इन बिन्दुओं पर दबाव देने के लिए व्यक्ति को अपने हाथ की तर्जनी उंगली के उभरे भाग से दाएं-बाएं के बिन्दुओं पर बारी-बारी से दबाव दिया देना चाहिए। इसके बाद में स्थिरता के लिए अपनी  तर्जनी उंगली के ऊपरी वाली मध्यम उंगली का उभरा भाग रखा जाता है। फिर इन बिन्दुओं पर स्थिर रूप से दबाव देना चाहिए। चेहरे के नासिका क्षेत्र के बिन्दुओं पर दबाव कम से कम तीन सेकेण्ड के लिए देना चाहिए तथा बाद में दबाव देने की ठीक इस प्रकार की क्रिया को तीन बार दोहराना भी चाहिए। इस प्रकार से दबाव देने से रोगी व्यक्ति का रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।

3. चेहरे के कपोलास्थि क्षेत्र पर दबाव- अंगमर्दक चिकित्सा के अनुसार चेहरे के कपोलास्थि के प्रत्येक भाग के बिन्दुओं पर दबाव देकर उपचार करने के लिए सबसे पहले रोगी को आराम की अवस्था में बैठ जाना चाहिए। अंगमर्दक चिकित्सा के अनुसार कपोलास्थि क्षेत्र के प्रत्येक भाग के तीन-तीन बिन्दु नथुनों के पंखो की बगल से ऊपर की ओर कानों तक जाती हुई एक रेखा पर स्थित होते हैं। फिर अपने दोनों हाथों की तर्जनी, मध्यम तथा अनामिका उंगलियों से दोनों भागों के प्रत्येक बिन्दु पर बारी-बारी से जरा सा ऊपरी दिशा में कम से कम तीन सेकेण्ड के लिए दबाव दिया जाना चाहिए। फिर इसके बाद दबाव देने की क्रिया को तीन बार दोहराना चाहिए। इस प्रकार से दबाव कुछ दिनों तक लगातार दबाव देने से रोगी का वह रोग जो इन बिन्दुओं से सम्बन्धित होता है कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।

4. चेहरे की ऊपरी तथा निचली नेत्र गव्हर क्षेत्र, कनपटियां व नेत्रगोलकों पर हथेलियों से दबाव-

  • अंगमर्दक चिकित्सा के अनुसार चेहरे की ऊपरी तथा निचली नेत्र गव्हर क्षेत्र, कनपटियां व नेत्रगोलकों पर हथेलियों से दबाव देने के लिए रोगी को सबसे पहले आराम की अवस्था में बैठ जाना चाहिए। फिर इसके बाद अपने दोनों हाथों की तर्जनी उंगली, मध्यम उंगली तथा अनामिका उंगलियों से एक ही समय में नेत्रों के आंतरिक कोने से बाहरी कोने तक के निचले नेत्र गव्हर क्षेत्र के चारों बिन्दुओं में से प्रत्येक पर दबाव देना चाहिए। इन बिन्दुओं पर कम से कम तीन सेकेण्ड के लिए दबाव देना चाहिए। फिर एक बाद इन बिन्दुओं पर दबाव देने के बाद इस क्रिया को दो बार और दोहराना चाहिए। फिर इसके बाद ऊपरी नेत्र गव्हार क्षेत्र के चारों बिन्दुओं पर भी इसी प्रकार से दबाव देना चाहिए।
  • इसके बाद अपनी कोहनियों को नीचे की ओर लाकर दोनों हाथों की तर्जनी, मध्यम तथा अनामिका उंगलियों के उभरे भागों से आड़े रूप में कनपटी के आंख के बाहरी कोने से कान के मूल तक स्थित तीनों बिन्दुओं में से प्रत्येक बिन्दु पर दबाव देना चाहिए। जब कनपटियों पर दबाव दे दें तो उसके बाद अपनी दाईं-बाईं हथेलियों को दोनों आंखों पर कोमलता से दबाव देना चाहिए तथा इस पर दबाव कम से कम दस सेकेण्ड के लिए देना चाहिए।

5. मसूढ़ों पर दबाव- अंगमर्दक चिकित्सा के अनुसार मसूढ़ों पर दबाव देने के लिए सबसे पहले रोगी व्यक्ति को आराम की स्थिति में बैठ जाना चाहिए। फिर इसके बाद मसूढ़ों पर दबाव देकर उपचार करना चाहिए। इसके बाद फिर ऊपरी मसूढ़े पर दबाव देना चाहिए और इसके बाद मसूढ़े के निचले और मसूढ़े के प्रत्येक भाग के तीन बिन्दुओं पर जो मुंह के आखिरी किनारे पर होते है, उन पर दबाव देना चाहिए। इसके बाद मसूढ़े के दाएं तथा बांए भागों के इन बिन्दुओं पर दोनों हाथों की तर्जनी, मध्यम तथा अनामिका उंगलियों से बारी-बारी से दबाव देना चाहिए। इसके बाद अनामिका उंगली से प्रत्येक बिन्दु पर दबाव देना चाहिए। इन बिन्दुओं पर दबाव कम से कम तीन सेकेण्ड के लिए देना चाहिए और इस उपचार के तरीके को तीन बार इस क्रम से दोहराना चाहिए। जब निचले मसूढ़े पर उपचार कर लें तो इसके बाद ऊपरी मसूढे़ पर भी ठीक उसी प्रकार से उपचार करना चाहिए जैसा कि निचले मसूढ़े पर किया है। इस प्रकार से यदि प्रतिदिन उपचार किया जाए तो रोगी व्यक्ति का वह रोग जो मसूढ़ों से सम्बन्धित है, कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।

6. मुंह के कोनों की रिजारियस (Risorius) मांसपेशियों पर दबाव- अंगमर्दक चिकित्सा के अनुसार मुंह के कोनों की रिजारियस मांसपेशियों पर दबाव देने के लिए सबसे पहल रोगी व्यक्ति को आराम की अवस्था में बैठ जाना चाहिए। रोगी व्यक्ति के दोनों हाथों की तर्जनी, मध्यम तथा अनामिका उंगलियों से चेहरे के प्रत्येक भाग पर जहां इस भाग से सम्बन्धित प्रतिबिम्ब बिन्दु है। उन पर उंगलियों को जरा सा बाहरी ओर खींचते हुए बारी-बारी से दबाव देना चाहिए। इन सभी बिन्दुओं पर कम से कम तीन सेकेण्ड के लिए दबाव देना चाहिए तथा इस उपचार की विधि को तीन बार दोहराना चाहिए। इस प्रकार से प्रतिदिन उपचार करने से रोगी का रोग जो रिजारियस मांसपेशियों से सम्बन्धित होता है वह कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।


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