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एक्यूप्रेशर की नई खोज

 

सू-जोक-

        पिछले कुछ वर्षों से वैकल्पिक चिकित्सा की ओर लोग आकर्षित होकर खिंचे जा रहे हैं। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि अंग्रेजी दवाइयां दिन पर दिन महंगी होती जा रही हैं और उनसे कई प्रकार के साइड इफेक्ट भी हो रहे हैं। वैकल्पिक चिकित्सा में एक्यूप्रेशर चिकित्सा तथा एक्यूपंक्चर चिकित्सा काफी सफल हो चुकी है।

        इन चिकित्साओं के सफल होने के बाद एक और चिकित्सा सामने आई है जिसे सू-जोक कहते हैं। सू-जोक एक प्रकार का माइक्रे उपचार होता है। सू-जोक एक कोरियाई शब्द है जिसका अर्थ यह होता है कि सू का अर्थ- हाथ है तथा जोक का अर्थ- पांव से है।

        सू-जोक चिकित्सा के अनुसार मानव शरीर के प्रत्येक अंग का एक छोर हाथ तथा पैर में मौजूद होता है। इस चिकित्सा के अनुसार शरीर के जिस अंग में कोई रोग हुआ है तो उसका एक बिन्दु हाथ तथा पैर में होता है। इस बिन्दु पर पिन चुभोकर रोग को ठीक किया जा सकता है।

        जिस पिन के द्वारा उपचार किया जाता है वह विसंक्रमित (स्टेरलाइज) होती है और छोटी होती हैं और इन पिनों को चुभाने के लिए छोटे यंत्रों का भी उपयोग किया जाता है ताकि मरीज को दर्द न हो।

        सू-जोक चिकित्सा से उपचार करने पर रोगियों पर इसके चमत्कारिक परिणाम सामने आये हैं। इस चिकित्सा से उपचार करने से एक्यूप्रेशर तथा एक्यूपंक्चर की तुलना में बहुत जल्दी फायदा पहुंचता है। माइग्रेन, जख्म, पुराने साइटिका दर्द, लकवा तथा रीढ़ की हड्डी में दर्द आदि रोगों को ठीक करने में सू-जोक चिकित्सा बहुत अधिक प्रभावी साबित हुई है।

        सू-जोक से चिकित्सा करने पर शरीर की सारी खून वाहिनियों में ऊर्जा सुचारू रूप से चलने लगती है जिसके फलस्वरूप रोग जल्दी ठीक होने लगता है। शरीर के किसी भी अंग में कोई बीमारी होती है तो उसका मतलब यह होता है कि बीमारी वाले अंग के पास ऊर्जा की मात्रा असंतुलित हो गई है। इस ऊर्जा की कमी तथा ऊर्जा की मात्रा को उस अंग में संतुलित करने के लिए उस रोग से सम्बन्धित बिन्दु हाथ तथा पैर में होता है। अगर इन बिन्दुओं पर पिन को चुभोकर ऊर्जा दी जाए तो उस अंग पर ऊर्जा की मात्रा संतुलित हो जाती है और रोग ठीक हो जाता है। ठीक इसी प्रकार शरीर के किसी अंग पर ऊर्जा की मात्रा की अधिकता हो गई हो तो उस अंग से सम्बन्धित बिन्दु जोकि हाथ तथा पैर पर होता है, उस पर पिन चुभोकर उस ऊर्जा को बिखेर दिया जाए तो वह अंग सामान्य रूप से कार्य करने लगता है और रोग ठीक हो जाता है।

        शरीर के सारे अंग एक-दूसरे अंग से जुड़े रहते हैं इसलिए किसी भी अंग की कोशिका में कोई बीमारी हो गई हो तो इसका अर्थ यह होगा कि इस बीमारी का प्रभाव शरीर के सारे अंगों पर होगा। किसी भी रोग का उपचार करने के लिए शरीर में लगभग 6 हजार बिन्दु होते हैं, जिनके माध्यम से ऊर्जा प्रवाहित की जा सकती है और रोगों को ठीक किया जा सकता है। इन 6 हजार बिन्दुओं में से 200 बिन्दुओं के माध्यम से ऊर्जात्वरित गति से प्रवाहित होती है।

        एक्यूप्रेशर चिकित्सा के द्वारा इन्हीं बिन्दुओं पर नुकीले पिनों से दबाव दिया जाता है। इन बिन्दुओं पर दबाव देने के लिए सेल्युलर फोन के आकार का एक उपकरण होता है। इस यंत्र से शरीर के अंगों पर बिन्दुओं को ढूढ़ने में मदद मिलती है। जब इस यंत्र को शरीर पर इधर-उधर फेरते हैं तो बिन्दु मिलते ही इसका बल्ब जल उठता है। इस यंत्र के नुकीले सिरे को मिले हुए बिन्दु पर रखकर विद्युत ऊर्जा प्रवाहित की जाती है। यदि बिन्दु पर ऊर्जा को जोड़ना है तो प्लस का बटन दबा दीजिए तथा ऊर्जा को घटाना है तो माइनस का बटन दबा दीजिए।

        शरीर के ऊर्जा-चैनल को ठीक करने के लिए इन बिन्दुओं पर पेपर टेप से चुम्बक के छोटे-छोटे टुकड़ों को चिपका दिया जाता है। फिर इस पर ऊर्जा प्रवाहित की जाती है जिससे बीमारी ठीक हो जाती है।

        सू-जोक भी एक प्रकार के एक्यूपंक्चर की नई पद्धति है। इस चिकित्सा में भी एक्यूप्रेशर तथा एक्यूपंक्चर की तरह ही बिन्दुओं के द्वारा ही उपचार किया जाता है। लेकिन सू-जोक चिकित्सा में केवल हाथ-पैरों के द्वारा ही इलाज किया जाता है। शरीर में हाथ-पैर की बनावट इस प्रकार का है कि पूरे शरीर के ढांचे को बड़ी आसानी से चिन्हित किया जा सकता है।

 


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