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विटामिन बी1

 

विटामिन बी1 की कमी से होने वाले रोग-

विटामिन बी1 का महत्वपूर्ण तथ्य-

  • विटामिन बी1 का वैज्ञानिक नाम थायमिन हाइड्रोक्लोराइड है।
  • वयस्कों को प्रतिदिन विटामिन बी1 की एक मिलीग्राम मात्रा आवश्यक होती है।
  • गर्भवती स्त्रियों को अपने पूरे गर्भावस्था के समय तक विटामिन बी1 की 5 मिलीग्राम मात्रा आवश्यक होती है।
  • शरीर में विटामिन बी1 जरूरत से ज्यादा हो जाने पर पेशाब के साथ बाहर निकल जाता है।
  • व्यक्ति की आयु बढ़ाने में लिए विटामिन बी1 का महत्वपूर्ण योगदान होता है।
  • विटामिन बी1 की कमी से बेरी-बेरी रोग हो जाता है। इसलिए वैज्ञानिक इसे बेरी-बेरी विटामिन भी कहते हैं।
  • यदि भोजन में विटामिन बी1 की कमी हो जाए तो शरीर कार्बोहाइड्रेटस तथा फास्फोरस का सम्पूर्ण प्रयोग कर पाने में समर्थ नहीं हो पाता। इससे शरीर में एक विषैला एसिड जमा होकर रक्त में मिल जाता है और मस्तिष्क के तंत्रिका संस्थान को हानि पहुंचाने लगता है।
  • विटामिन बी1 की कमी से होने वाले बेरी-बेरी रोग में रोगी की मांसपेशियों को जहां भी छुआ जाए वहां वेदना होती है तथा उसके पश्चात स्पर्श शून्यता का आभास होता है।
  • वयस्क व्यक्ति को प्रतिदिन विटामिन बी1 900 यूनिट अ. ई. की आवश्यकता पड़ती है।
  • विटामिन बी1 मूलांकुरों में अधिक पाया जाता है।
  • दूध पीने वाले बच्चों को शरीर में विटामिन बी1 की कमी से उल्टी और पेट दर्द जैसे विकार हो जाते हैं।
  • विटामिन बी1 निशास्ता (wheat starch) युक्त भोजन को पचाने में सहयोग करता है।
  • विटामिन बी1 की कमी हो जाने से रोगी की भूख मर जाती है तथा वजन तेजी से गिरने लगता है।
  • विटामिन बी1 की कमी से हृदय और मस्तिष्क में कमजोरी तथा दूसरे दोष हो जाते हैं।
  • कार्बोहाइड्रेट तथा फॉस्फोरस का शरीर में पूर्ण उपयोग तभी हो सकता है जब शरीर में पर्याप्त मात्रा में विटामिन बी1 मौजूद हो।
  • विटामिन-बी1 की कमी से बेरी-बेरी रोग का रोगी इतना शक्तिहीन हो चुका होता है कि वह जहां एक बार बैठ जाता है दुबारा उठने का साहस अपने अन्दर नहीं संजो पाता है।
  • सामान्य मनुष्यों की अपेक्षा कठोर परिश्रम करने वाले लोगों को विटामिन बी1 की अधिक मात्रा की आवश्यकता होती है।
  • विटामिन बी1 की कमी से रोगी थोड़ा सा काम करके थक जाता है।
  • विटामिन बी1 का रोगी अक्सर अजीर्ण रोग से पीड़ित रहता है।
  • बेरी-बेरी रोग विशेषरूप से उन लोगों को होता है जो मशीन से पिसा हुआ आटा और चावल ज्यादा मात्रा में खाते हैं।
  • बेरी-बेरी रोग दो प्रकार के होते है पहला शुष्क तथा दूसरा आर्द्र।
  • आर्द्र बेरी-बेरी रोग के रोगियों की नाड़ी तीव्र गति से चलती है तथा उनका हृदय कमजोर हो जाता है।
  • शुष्क बेरी-बेरी का रोगी दिन प्रतिदिन कमजोर, असहाय, दुर्बल और असमर्थ होता चला जाता है।
  • कभी-कभी, किसी-किसी रोगी में शुष्क और आर्द्र दोनों प्रकार के बेरी-बेरी के लक्षण मिलते हैं।
  • शुष्क एवं आर्द्र लक्षणयुक्त रोगी को हृदय सम्बंधी अनेक विकार होते हैं। उनका हृदय जांच करने पर फुटबाल के ब्लैडर जैसा फैला हुआ अनुभव होता है।
  • शुष्क एवं आर्द्र बेरी-बेरी के लक्षण यदि किसी रोगी में एक साथ दिखे तो उसकी चिकित्सा जितनी जल्दी हो सके आरम्भ कर देनी चाहिए। लापरवाही और गैर जिम्मेदारी जान का खतरा पैदा कर सकती है।
  • विटामिन बी1 की कमी से वात संस्थान पर असर पड़ता है और इसीलिए वात नाड़ियों में वेदना होती है।
  • गर्भावस्था की वमन (उल्टी) विटामिन बी1 की कमी का सूचक कहा जा सकता है।
  • गर्भावस्था की विषममयता विटामिन बी1 की कमी से होती है अत: विटामिन बी1 की पूर्ति हो जाने पर गर्भावस्था की विषमयता नष्ट हो जाती है।
  • बहुत से चर्म रोग विटामिन बी1 की कमी की वजह से भोगने पड़ते हैं।
  • विटामिन बी1 की कमी का प्रथम लक्षण बिना किसी कारण के भूख लगना बन्द हो जाना है।
  • वनस्पतियों, पत्तेदार शाक तथा खमीर में विटामिन बी1 अधिक मात्रा में विद्यमान रहता है।
  • पीलिया रोग के पीछे भी विटामिन बी1 की कमी होती है।
  • विटामिन बी1 की कमी से रोगी को पानी की तरह पतली उल्टी तथा जी मिचलाना जैसे रोग हो जाते हैं।
  • मोटे व्यक्तियों को विटामिन बी1 की अधिक आवश्यकता होती है।
  • विटामिन बी1 की कमी से हृदय बड़ा हो जाना रोगी के लिए बहुत ही खतरनाक साबित हो सकता है।
  • सूखे किण्व (खमीर) में विटामिन बी1 सबसे अधिक 9000 अ. ई. यूनिट होता है।
  • मटर में विटामिन बी1 सबसे कम 100 यूनिट अ.ई. होता है।
  • विटामिन बी1 की कमी से फेफड़ों की झिल्ली में तरल पदार्थ जमा हो जाता है। इसकी कमी से अण्डकोषों में भी तरल पदार्थ जमा हो जाता है।
  • आंतड़ियों की मांसपेशियों को शक्तिशाली बनाने में इस विटामिन का विशेष योगदान रहता है।
  • विटामिन बी1 की पर्याप्त मात्रा शरीर में रहने पर मांसपेशियां पुष्ट रहती हैं।
  • विटामिन बी1 की पर्याप्त मात्रा से आंतों के संक्रमण की सुरक्षा बनी रहती है। इससे आंतों की झिल्ली मजबूत बनी रहती है। इसी मजबूती के कारण इस पर कीटाणु हमला नहीं कर पाते हैं।
  • यह विटामिन यकृत की कार्य प्रणाली को स्वस्थ रखता है।
  • यदि पाचन संस्थान स्वस्थ और शक्तिशाली है तो समझना चाहिए कि शरीर में विटामिन बी1 की पर्याप्त मात्रा मौजूद है।
  • जो लोग हरी साग-सब्जी नहीं खाते वे निश्चय ही विटामिन बी1 की कमी के शिकार हो जाते हैं।
  • मस्तिष्क तथा तंत्रिका संस्थान के सूत्रों को स्वस्थ रखना इसी विटामिन के जिम्मे होते हैं।
  • यह विटामिन मानव रक्त के तरल भाग में प्रोटीन को यथाचित मात्रा में संतुलित रखता है।

विटामिन बी1 युक्त खाद्य

(मात्रा प्रति 100 ग्राम)

क्र.स.

खाद्य पदार्थों के नाम

यूनिट में मात्रा

1.

सूखे किण्व

9000 यूनिट

2.

ताजे किण्व

6000 यूनिट

3.

गेहूं के अंकुरों में

4000 यूनिट

4.

गेहूं के दानों में

900 यूनिट

5.

गेंहूं की रोटी में

360

6.

मटर

100

7.

हरी सब्जियां

30 से 210 यूनिट

8.

आलू

90 से 120 यूनिट

9.

दूध

60 यूनिट

10.

अण्डे की जर्दी

400 यूनिट

11.

जिगर

450 यूनिट

12.

गुर्दे

470 यूनिट


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