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जिगर का रोग

 

परिचय-

          इस रोग के कारण रोगी के जिगर में सूजन आ जाती है तथा रोगी को पीलिया तथा जिगर सिरोसिस हो जाता है। इस रोग के कारण रोगी का जिगर सही तरीके से कार्य करना बंद कर देता है और उसे कई प्रकार के रोग हो जाते हैं।

जिगर की सूजन-

          यह एक प्रकार का बहुत ही संक्रामक रोग है। इस रोग के संक्रमण के कारण जिगर में जहरीले पदार्थ जमा होने लगते हैं। यह एक प्रकार का बहुत ही तीव्र (तेज) रोग है जिसके कारण जिगर की कार्य शक्ति कम हो जाती है। इस रोग के कारण रोगी व्यक्ति को पीलिया तथा लीवर सिरोसिस रोग हो जाते हैं।

जिगर की सूजन होने का लक्षण-

            इस रोग के हो जाने के कारण रोगी व्यक्ति के शरीर में कमजोरी आ जाती है तथा उसे उल्टियां होने लगती हैं, रोगी के शरीर में दर्द होने लगता है, बुखार आ जाता है, उसके सिर में दर्द होने लगता है। इस रोग के कारण किसी-किसी व्यक्ति को पीलिया रोग भी हो जाता है।

पीलिया रोग-

  • यह रोग जिगर तथा पित्ताशय में होने वाले कई प्रकार के रोगों के कारण होता है। पीलिया रोग की शुरुआत होने पर इसके लक्षण कुछ ही दिनों में दिखाई देने लगते हैं। इस रोग को ठीक होने में लम्बा समय भी लग सकता है।
  • जब किसी व्यक्ति के शरीर में जिगर से आंत की तरफ जाने वाले नली अर्थात पित्ताशय मार्ग में कोई रुकावट उत्पन्न हो जाती है तो इस कारण से उस व्यक्ति को पीलिया रोग हो जाता है। इस रुकावट के कारण जिगर में बहुत सारा पित्त जमा हो जाता है जिसके कारण बिलिरूबिन नामक पीला पदार्थ बनकर खून में मिल जाता है और रोगी का शरीर पीला पड़ने लगता है तथा उसे पीलिया रोग हो जाता है।
  • पीलिया रोग और भी कई बीमारियों के कारण भी हो सकता है जैसे- पित्त नली में पथरी होना, कैंसर, हेपेटाइटिस तथा मलेरिया रोग। इस रोग के होने का एक और भी कारण है, जब लाल रक्त कोशिकाओं के टूटने से ज्यादा मात्रा में बिलिरूबिन नामक पदार्थ पैदा होता है तब व्यक्ति को हीमोलिटिक पीलिया हो जाता है।
  • पीलिया रोग अधिक मात्रा में शराब पीने या जहर जैसे विष पदार्थ खा लेने के कारण हो सकता है।

पीलिया रोग के लक्षण-

            इस रोग के कारण शरीर की त्वचा पीली पड़ जाती है और आंखों में पाए जाने वाला सफेद भाग भी पीला पड़ जाता है। पीलिया रोग के कारण रोगी का पेशाब तथा मल भी पीला होने लगता है। जब इस रोग की शुरुआत होती है तो त्वचा पीली पड़ने से पहले त्वचा में खुजली भी होने लगती है।

लीवर सिरोसिस-

          यह रोग शरीर में विषैले तत्वों के कारण होता है तथा यह रोग शरीर में पोषक तत्वों की कमी के कारण भी होता है। इस रोग के कारण जिगर की बहुत सी कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं।

लीवर सिरोसिस का लक्षण-

           इस रोग की शुरुआत में पेट में गैस बनने लगती है और रोगी व्यक्ति को अपच की समस्या हो जाती है तथा रोगी को कभी-कभी उल्टियां भी होने लगती हैं। इस रोग के कारण रोगी के पेट में कभी-कभी दर्द होने लगता है तथा उसका वजन कम होने लगता है।

          जब यह रोग पूर्ण रूप से हो जाता है तो रोगी की सांसों में से बदबू आने लगती है, रोगी की त्वचा पीली पड़ जाती है। इस रोग से पीड़ित रोगी के पेट पर रक्त की नलिकाएं बाहर दिखाई देने लगती हैं, रोगी का पेट फूल जाता है और उसके पेट में सूजन आ जाती है।

जिगर से सम्बन्धित रोग होने के कारण-

  • यह रोग उन व्यक्तियों को अधिक होता है जो चाय, कॉफी, शराब तथा अन्य उत्तेजक पदार्थों का अधिक सेवन करते हैं।
  • यह रोग कुपोषण के कारण तथा अप्राकृतिक पदार्थों का भोजन में उपयोग करने से भी हो जाता है।
  • यह रोग अन्य रोगों के कारण भी हो जाता है जैसे- तिल्ली का बढ़ जाना तथा जिगर के कार्यों पर प्रभाव डालने वाले रोग आदि।
  • अधिक औषधियों का सेवन करने के कारण भी यह रोग हो सकता है।
  • यह रोग शरीर में जीवाणुओं के कारण भी हो सकता है जो जिगर के पास जमा हो जाते हैं और रोग उत्पन्न करते हैं।
  • जिगर का रोग पित्ताशय में होने वाले कई रोगों के कारण हो सकता है क्योंकि इन रोगों के हो जाने के कारण जिगर की कार्य क्षमता पर प्रभाव पड़ता है।

जिगर के रोगों का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार-

  • जिगर के रोगों को ठीक करने के लिए सबसे पहले रोगी को अधिक से अधिक आराम करना चाहिए।
  • इस रोग से पीड़ित रोगी को फलों का रस पीकर सप्ताह में 1-2 बार उपवास रखना चाहिए।
  • इस रोग से पीड़ित रोगी को प्रतिदिन नारियल, नींबू पानी तथा सूर्यतप्त हरे रंग की बोतल का पानी सेवन करके उपवास रखना चाहिए।
  • उपवास के समय में रोगी व्यक्ति को प्रतिदिन एनिमा लेकर अपने पेट को साफ करना चाहिए।
  • जब उपवास को बंद कर रहे हो तो फलों का रस सेवन करना चाहिए। जैसे- संतरा, मौसमी, आंवला, गाजर आदि का रस।
  • इस रोग से पीड़ित रोगी के लिए हरी सब्जियों का रस पीना बहुत ही लाभदायक होता है।
  • जिगर के रोग से पीड़ित रोगी को अंकुरित अन्न का प्रयोग अधिक करना चाहिए और भोजन हमेशा संतुलित ही करना चाहिए।
  • इस रोग से पीड़ित रोगी को सुबह के समय में उठते ही 2 से 4 गिलास पानी पीकर खुली हवा में टहलना चाहिए।
  • जिगर रोग से पीड़ित रोगी को कुछ दिनों तक लगातार अपने पेट पर जिगर की तरफ गीली पट्टी करनी चाहिए। इसके परिणामस्वरूप जिगर के रोग ठीक हो जाते हैं।
  • जिगर के रोग से पीड़ित रोगी को सुबह के समय में कम से कम 7 दिनों तक नींबू तथा संतरे का रस पानी में मिलाकर पीना चाहिए और इसके साथ ही साथ उपवास रखना चाहिए।
  • इस रोग से पीड़ित रोगी को सप्ताह में एक बार गुनगुने पानी से स्नान या प्रतिदिन गर्म पानी से स्पंज तथा प्रतिदिन कोई हल्का व्यायाम करना चाहिए और व्यायाम करते समय सांस अधिक गहरी लेनी चाहिए। इस प्रकार से उपचार करने से रोगी का यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
  • यदि जिगर में सूजन हो गई हो तो जिगर वाले भाग पर लगभग आधे घण्टे तक गर्म-ठंडी सिंकाई करनी चाहिए।
  • इस रोग के कारण यदि खुजली हो रही हो तो नारियल के तेल में नीबू का रस फेंटकर लगाने से खुजली होना बंद हो जाती है।
  • इस रोग से पीड़ित रोगी को सप्ताह में 2 दिन कटिस्नान करना चाहिए तथा पैरों को गर्म पानी से धोना चाहिए। इससे जिगर के रोग कुछ ही समय में ठीक हो जाते हैं।
  • यदि रोगी के पेट में कब्ज बन रही हो तो कब्ज को दूर करने के लिए प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार कराना चाहिए और रात को सोते समय अपनी कमर पर भीगी पट्टी बांधनी चाहिए।


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