परिचय:-
कखौरी एक प्रकार का ऐसा फोड़ा है जो कांख अर्थात बगल में होता है। यह फोड़ा रोगी व्यक्ति को बहुत अधिक परेशान करता है। इस फोड़े के कारण रोगी को अपनी बगल में जलन तथा दर्द होता है तथा उसकी बगल से पानी जैसा दूषित तरल पदार्थ निकलता रहता है।
कखौरी रोग होने का कारण-
जब शरीर के अन्दर दूषित मल जमा हो जाता है तो यह रोग व्यक्ति को होता है।
कखौरी का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार-
- कखौरी रोग का उपचार करने के लिए रोगी व्यक्ति को आसमानी रंग की बोतल के सूर्यतप्त जल की 50 मिलीलीटर की मात्रा और 25 मिलीलीटर पीले रंग की बोतल के जल को मिलाकर प्रतिदिन दिन में 6 बार पीना चाहिए। फोड़े पर कम से कम दिन में आधे घण्टे तक हरा प्रकाश डालना चाहिए।
- कखौरी रोग से पीड़ित रोगी को सुबह के समय में गुनगुने पानी से एनिमा क्रिया करनी चाहिए, ताकि रोगी का पेट साफ हो सके और शरीर के अन्दर का दूषित मल बाहर निकल सके।
- कखौरी रोग से पीड़ित रोगी को प्रतिदिन नीम के 4-5 पत्तों को चबाना चाहिए, जिसके फलस्वरूप कखौरी रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।
- नींबू के रस को पानी में मिलाकर उस पानी से फोड़े को धोना चाहिए तथा इसके बाद फोड़े पर कपड़े की पट्टी कर लेनी चाहिए। जब फोड़ा पीबयुक्त हो जाए तो उस पर कम से कम पांच मिनट तक गर्म पानी में भीगे कपड़े की पट्टी करनी चाहिए। इसके बाद फोड़े को फोड़कर पीब तथा जहरीले रक्त को बाहर निकाल देना चाहिए और फिर इसके बाद ठंडे पानी में भीगे कपड़े से दिन में 3-4 बार सिंकाई करनी चाहिए। इससे कखौरी रोग कुछ ही समय में ठीक हो जाता है।