परिचय-
यह एक प्रकार का उंगुलियों में होने वाला फोड़ा है। जब यह फोड़ा किसी व्यक्ति की उंगुली में होता है तो उसकी उंगुली में बहुत तेज दर्द होता है। यह दर्द इतना तेज होने लगता है कि रोगी व्यक्ति को रात के समय में नींद भी नहीं आती है। पहले तो यह फोड़ा उंगुली के नाखून के पास साधारण रूप में निकलता है। लेकिन जब इसमें तेज दर्द होने लगता है तो कुछ समय बाद यह लाल रंग का हो जाता है और बढ़कर फफोले का रूप धारण कर लेता है। इस उंगुली के फोड़े को गूंगी कहते हैं तथा इसे अंग्रेजी में फिलोन कहते हैं।
गूंगी (उंगुली का फोड़ा) होने पर प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार:-
- जब किसी व्यक्ति को यह फोड़ा हो जाए तो उसे अपनी उंगुली के फोड़े पर दिन में 3-4 बार 10 मिनट तक भाप देनी चाहिए और इसके बाद उंगुली को ठंडे पानी में डुबोना चाहिए। इससे रोगी व्यक्ति के फोड़े के दर्द में कमी आ जाती है।
- रोगी व्यक्ति की जिस उंगुली में फोड़ा हुआ है उस उंगुली को ठंडे पानी में डुबाकर रखना चाहिए और साफ कपड़े के एक टुकडे़ को खूब ठंडे पानी में भिगोकर उंगुली पर लपेटना चाहिए और ठंडे पानी में डुबोकर रखना चाहिए।
- जब गूंगी (उंगुली का फोड़ा) में पीब पैदा हो जाए तो दिन में 3-4 बार कम से कम आधे घण्टे तक गूंगी पर भाप देनी चाहिए। इसके बाद जब गूंगी का फोड़ा पक जाए तो उसमें सुई से छेद करके पीब को निकाल देना चाहिए। इसके फलस्वरूप फोड़ा सूखकर ठीक होने लगता है।
- रोगी व्यक्ति को प्रतिदिन आसमानी रंग की बोतल के सूर्यतप्त जल को 25 मिलीलीटर की मात्रा में 6 बार सेवन करना चाहिए तथा गूंगी (उंगुली का फोड़ा) पर प्रतिदिन कम से कम आधे घण्टे तक हरे रंग का प्रकाश डालना चाहिए। इसके फलस्वरूप यह रोग ठीक होने लगता है।