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बेहोशी

 

परिचय:-

          इस रोग के कारण रोगी व्यक्ति कुछ समय के लिए बेहोश हो जाता है। इस अवस्था में रोगी एक दम मरे हुए इंसान की अवस्था में आ जाता है और वह कोई भी क्रिया नहीं कर पाता है।

लक्षण:-

          इस रोग के कारण रोगी व्यक्ति एक दम मृत की अवस्था में जमीन पर गिर जाता है तथा उसे कुछ भी होश नहीं रहता है। रोगी व्यक्ति के चेहरे का रंग पीला पड़ जाता है। उसके  माथे से ठंडा पसीना छूटने लगता है। उसकी आंखों के आगे अन्धेरा सा छा जाता है।

बेहोशी होने का कारण:-

  • जब किसी कारण से मस्तिष्क में खून का संचारण रुक जाता है तो व्यक्ति बेहोश हो जाता है। यह रोग मस्तिष्क की नाड़ियों में किसी प्रकार का रोग उत्पन्न होने के कारण होता है।
  • अधिक समय तक उपवास रखने के कारण भी यह रोग व्यक्ति को हो सकता है क्योंकि अधिक समय तक उपवास रखने के कारण व्यक्ति के मस्तिष्क में खून का संचारण कम हो जाता है और व्यक्ति बेहोश हो जाता है।
  • शरीर में से किसी दुर्घटना या दूसरे कारण से अधिक रक्त निकल जाने की वजह से भी व्यक्ति बेहोश हो सकता है।
  • किसी रोग के कारण तेज दर्द होने से रोगी व्यक्ति बेहोश हो सकता है।
  • दूषित गैस जब किसी प्रकार से सांस के द्वारा शरीर के अन्दर चली जाती है तो भी व्यक्ति बेहोश हो जाता है।
  • सिर पर किसी तरह की चोट आदि लगने के कारण भी व्यक्ति बेहोश हो जाता है।

बेहोशी रोग से पीड़ित व्यक्ति का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार :-

  • जब कोई व्यक्ति बेहोश हो जाता है तो उस समय सबसे पहले रोगी व्यक्ति के कपड़ों को ढीला कर देना चाहिए। फिर इसके बाद रोगी व्यक्ति को खुली हवादार जगह पर लिटा देना चाहिए। इसके बाद उसके चेहरे पर पानी के छींटे मारने चाहिए।
  • जब रोगी की अवस्था बहुत अधिक गंभीर हो जाए तो उस समय उसके चेहरे पर पानी की छींटे मारने के अलावा उसके सीने और मस्तक पर कपड़े की ठंडी पटि्टयां भी रखनी चाहिए। फिर इसके बाद रोगी की नाभि के निचले हिस्से पर मिट्टी की गीली पट्टी बांधनी चाहिए।
  • जब रोगी व्यक्ति होश में आ जाए तो उसे गुनगुने पानी से गरारे कराने चाहिए और थोड़ा सा गरम पानी पीने के लिए देना चाहिए।
  • इस रोग से पीड़ित रोगी का उपचार करने के लिए सबसे पहले रोगी व्यक्ति को कुछ दिनों तक फलों का रस पिलाना चाहिए, जिसके फलस्वरूप शरीर के अन्दर के दूषित द्रव्य शरीर से बाहर पेशाब के द्वारा निकल जाते हैं और मस्तिष्क की नाड़ियां ठीक प्रकार से कार्य करने लगती हैं।
  • बेहोश हुए व्यक्ति के पेड़ू (नाभि) पर मिट्टी की गीली पट्टी करनी चाहिए जिससे व्यक्ति जल्दी ही होश में आ जाता है।
  • रोगी व्यक्ति के रीढ़ के भाग को भीगे तौलिये से पोंछना चाहिए और उस पर कुछ समय के लिए गरम तथा ठंडी सिंकाई करनी चाहिए। इससे रोगी को बहुत अधिक लाभ मिलता है।
  • जब रोगी व्यक्ति होश में आ जाए तो उसे गुनगुना पानी पिलाना चाहिए तथा गुनगुने पानी से एनिमा क्रिया करानी चाहिए ताकि उसका पेट साफ हो सके। इसके बाद रोगी से मेहनस्नान कराना चाहिए।

जानकारी-

          इस प्रकार से प्राकृतिक चिकित्सा से बेहोश रोगी का इलाज करने से रोगी व्यक्ति जल्दी ही होश में आ जाता है और उसका रोग ठीक हो जाता है।


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