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मस्तिष्कावरण की सूजन

 

परिचय-

         जब यह रोग किसी व्यक्ति को हो जाता है तो उसे बहुत तेज बुखार हो जाता है तथा साथ ही उसकी कमर तथा गर्दन में अकड़न हो जाती है। इस रोग से पीड़ित रोगी ठोड़ी की ओर घुटने को मोड़कर चलता है। इस रोग से पीड़ित रोगी को रोशनी अच्छी नहीं लगती है और वह रोशनी के सामने जाते ही आंखों को रोशनी से दूर हटाता है। इस रोग से पीड़ित रोगी को कब्ज तथा उल्टी भी होने लगती है। रोगी व्यक्ति का शरीर सुस्त हो जाता है। इस रोग से पीड़ित रोगी कभी-कभी बेहोश हो जाता है।

मस्तिष्कावरण की सूजन (मस्तिष्क के किसी भाग में सूजन) होने का कारण-

  • इस रोग के होने का सबसे प्रमुख कारण बैक्टीरिया या वायरस का संक्रमण होना है। यह संक्रमण गले, कान, नाक तथा फेफड़े आदि अंगों के द्वारा मस्तिष्क में पहुंचता है।
  • जब किसी व्यक्ति का क्षय रोग दिमाग तक फैल जाता है तो उसको यह रोग हो जाता है।
  • किसी व्यक्ति के सिर या खोपड़ी पर किसी प्रकार से चोट या जख्म हो जाने के कारण से भी मस्तिष्क के किसी भाग में सूजन आ सकती है।

मस्तिष्कावरण की सूजन का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार-

  • मस्तिष्क के किसी भाग में सूजन से पीड़ित रोगी को कुछ दिनों तक अधिक से अधिक आराम करना चाहिए तथा आराम के समय में रोगी को केवल सन्तरे का रस पीना चाहिए। इससे रोगी व्यक्ति के शरीर को ऊर्जा मिलती है। इस प्रकार से उपचार करने से रोगी को पेशाब अधिक आता है जिसके फलस्वरूप दूषित द्रव्य रोगी के शरीर से बाहर निकल जाता है और फलस्वरूप यह रोग ठीक हो जाता है। इस प्रकार से उपचार करने से रोगी व्यक्ति में रोगो से लड़ने की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ जाती है।
  • इस रोग से पीड़ित रोगी को यदि प्रतिदिन लहसुन का सेवन कराया जाए तो उसका यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है और रोगी के शरीर में रोगों से लड़ने की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ जाती है।
  • नींबू तथा शहद को पानी में मिलकार सुबह-शाम रोगी को पिलाने से मस्तिष्कावरण की सूजन से पीड़ित रोगी को बहुत अधिक आराम मिलता है।
  • मस्तिष्कावरण की सूजन को ठीक करने के लिए नीम के पत्तों को पीसकर पानी में मिलाकर पीने से भी फायदा मिलता है।
  • इस रोग से पीड़ित रोगी का बुखार जब सामान्य हो जाए तथा उसकी जीभ साफ हो जाए तो रोगी को रसीले फल 4-5 दिनों तक खाने के लिए देने चाहिए।
  • रोगी व्यक्ति को गर्म पानी से एनिमा क्रिया करनी चाहिए, जिसके फलस्वरूप रोगी व्यक्ति का पेट साफ हो जाता है और मस्तिष्क के किसी भाग में सूजन का रोग ठीक होने लगता है।
  • इस रोग से पीड़ित रोगी को बुखार 102 डिग्री से अधिक हो तो उसके माथे पर कपड़े की गीली पट्टी रखनी चाहिए तथा कुछ समय पर पट्टी को पलटते रहना चाहिए जिसके फलस्वरूप रोगी का बुखार ठीक हो जाता है। रोगी के रीढ़ की हड्डी पर गर्म या ठण्डी सिंकाई करने से भी बहुत लाभ मिलता है।
  • इस रोग से पीड़ित रोगी को एक टब में पानी भरकर उस पानी में नमक डालकर, इस पानी में 20-25 मिनट तक लेटे रहना चाहिए जिसके फलस्वरूप रोगी का रोग ठीक हो जाता है। इस प्रकार से यदि रोगी का उपचार प्रतिदिन करा जाए तो रोगी का रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।


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