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आन्त्रिक ज्वर

 

परिचय-

          टायफाइड रोग में तेज बुखार के साथ दूसरे रोग पैदा होकर इस रोग को अधिक तेज कर देते हैं। इस रोग में विभिन्न रोग उत्पन्न हो जाते हैं जैसे- तीव्र अविराम ज्वर, अतिसार, कब्ज, आध्यमान, अनिद्रा, आमाशय प्रदाह, आन्त्रिक रक्तस्राव, शैयाक्षतहृदय रोग, मस्तिष्क प्रदाह तथा बक-क्षक करना (सरसाम), फुफ्फुस प्रदाह, संन्यास अवस्था (कोमा), मूर्च्छा वायु, सन्धि प्रदाह, वृक्कप्रदाह तथा अल्ब्यूमेन मेह तथा पेशाब बन्द या कम होकर सर्वांगप्रदाह आदि हैं।

सावधानी-

          इस रोग में पानी को उबालकर और ठंडा करके पीना चाहिए। रोग में कमजोरी होने पर फल आदि का रस लें और शरीर को पूरा आराम दें। इस तरह टायफाइड रोग में सावधानी रखने से यह रोग अपने आप खत्म हो जाता है।

जल चिकित्सा द्वारा चिकित्सा-

          यदि किसी बच्चे को टायफाइड ज्वर हो तो उसे अनुक्रमिक स्नान करना चाहिए। इसके अतिरिक्ति समस्नान, ठंडा लपेट, शीतल एनिमा, उदर की पट्टी और ब्रांड स्नान कराना चाहिए।

वयस्कों का टायफाइड ज्वर-

          व्यस्कों में टायफाइड ज्वर होने पर ऊपर बताए गया उपचार करे इसके साथ ही रोगी की छाती और हृदय पर ठंडा घर्षण स्नान करें। इसके कुछ देर बाद गर्म जल की पट्टी लें। रोगी के शरीर में पानी की मात्रा बनाए रखने के लिए पानी का एनिमा दें या फिर पानी को पियें।

सभी प्रकार के बुखार में-

          किसी भी प्रकार के बुखार का कारण शरीर में दूषित तत्व का बनना ही है। गर्मी के मौसम में गर्मी के कारण शरीर के दूषित तत्व अधिक तीव्र हो जाते हैं जिससे बुखार लोगों को अधिक होता है। गर्मी के दिनों में उन लोगों को भी बुखार होता है, जिसके शरीर में दूषित तत्व की मात्रा कम होती है। जिस जगह पर मौसम का तापमान अनुकूल बना रहता है अर्थात न अधिक गर्मी और न अधिक सर्दी ऐसे जगहों पर बुखार कम उत्पन्न होता है।

          बुखार को शुरू-शुरू में ही रोकने की कोशिश करना चाहिए। बुखार को रोकने के लिए रोगी व्यक्ति को ऐसे भोजन का सेवन करना चाहिए, जिससे उत्तेजना उत्पन्न न हो और रोगी का रहन-सहन सादा होना चाहिए।

          इसके अतिक्ति हिप और सिटजबाथ लेना चाहिए। गर्म स्थान पर रहने वाले व्यक्ति को ठंडा पानी न मिलने पर प्राकृतिक रूप से मिलने वाले पानी से ही स्नान करना चाहिए। बुखार में किसी तरह की औषधियों का प्रयोग करने से बुखार समाप्त होने के स्थान पर दब जाता है जो दूसरे समय उत्पन्न होने पर अधिक बड़ा रूप धारण कर लेता है।

          जल चिकित्सा से तेज से तेज बुखार में भी जल्द आराम मिलता है। बुखार में जितनी अधिक बार और जितनी अधिक देर तक स्नान किया जाए रोग में लाभ उतना अधिक मिलता है।


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