परिचय-
जब कोई व्यक्ति अपनी शारीरिक क्षमता से अधिक वजन उठाता है या फिर किसी अन्य कारण से आंत अपने स्थान से हट जाती है तो उसे आन्त्रच्युति या नारा रोग कहते हैं। इस रोग के होने पर विभिन्न लक्षण उत्पन्न होते हैं जैसे- पेट का दर्द, पेट में गड़गड़ाहट, दस्त का अधिक आना, कब्ज बनना और मन्दाग्नि आदि रोग हो जाते हैं। इस रोग में रोगी का भोजन नहीं पचता और रोगी कमजोर होने लगता है।
जल चिकित्सा द्वारा रोग का उपचार-
आन्त्रच्युति रोग में रोगी को पेट की मालिश करानी चाहिए तथा ठीक प्रकार से उठना-बैठना चाहिए। इस रोग को दूर करने वाले आवश्यक व्यायाम करना रोग के लिए लाभकारी होता है।
इस रोग में रोगी को पेट का ठंडा डूस लेना चाहिए, पेट की 2 बार सिंकाई करनी चाहिए। इस रोग में उष्मा एनिमा (गर्म पानी का एनिमा) और फिर ठंडे पानी का छोटा एनिमा और रात को सोते समय कमर की गीली पट्टी का एनिमा लेना चाहिए। यदि पेट में कब्ज बन गई हो तो ठंडे पानी का एनिमा तथा इसमें उत्पन्न होने वाले अन्य रोगों को दूर करने के लिए जल चिकित्सा का प्रयोग करें।