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बांझपन

 

परिचय:-

           इस रोग के कारण रोगी स्त्री को बच्चा नहीं होता है, इसलिए इस रोग को बांझपन कहते हैं। इस रोग के कारण रोगी स्त्री में गर्भधारण करने की असमर्थता रहती है। यदि औरत को बच्चा नहीं होता है तो उसे परिवार तथा समाज में बहुत से मानसिक कष्ट मिलते हैं। इस रोग का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार किया जा सकता है।

कारण-

  • स्त्रियों के प्रजनन अंगों का सही तरह से विकसित न होना।
  • किसी दुर्घटना या चोट के कारण प्रजनन अंगों में कुछ खराबी आना।
  • पुरुषों के वीर्य में शुक्राणु का न होना क्योंकि ऐसे पुरुष जब स्त्रियों से संभोग क्रिया करते हैं तो इनके वीर्य में शुक्राणु न होने के कारण स्त्रियों के डिम्ब में शुक्राणु नहीं पहुंचते हैं। इसलिए स्त्री गर्भवती नहीं हो पाती है।
  • अनियमित मासिकधर्म का रोग होने के कारण भी स्त्री गर्भवती नहीं हो पाती है।
  • चिंता, तनाव तथा डर आदि के कारण भी स्त्री गर्भवती नहीं हो पाती है।

बांझपन से पीड़ित स्त्री का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार-

  • स्त्री को गर्भधारण कराने के लिए उसकी योनि के स्नायु स्वस्थ हो इसके लिए स्त्री का सही आहार, उचित श्रम एवं तनाव रहित होना जरूरी है तभी स्त्री गर्भवती हो सकती है इसलिए स्त्री को इस पर अधिक ध्यान देना चाहिए।
  • स्त्री को गर्भधारण करने के लिए यह भी आवश्यक है कि योनिस्राव क्षारीय होना चाहिए इसलिए स्त्री का भोजन क्षारप्रधान होना चाहिए। इसलिए उसे अधिक मात्रा में अपक्वाहार तथा भिगोई हुई मेवा खानी चाहिए।
  • इस रोग से पीड़ित स्त्रियों को अपने इस रोग का इलाज करने के लिए सबसे पहले अपने शरीर से विजातीय द्रव्यों को बाहर निकालना चाहिए इसके लिए स्त्री को उपवास रखना चाहिए। इसके बाद उसे 1-2 दिन के बाद कुछ अंतराल पर उपवास करते रहना चाहिए।
  • इस रोग से पीड़ित स्त्रियों को दूध की बजाए दही का इस्तेमाल करना चाहिए।
  • स्त्री को गुनगुने पानी में एक चम्मच शहद एवं नींबू का रस मिलाकर पीना चाहिए।
  • इस रोग से पीड़ित स्त्रियों को ज्यादा नमक, मिर्च-मसाले, तले-भुने खाने वाले पदार्थ, चीनी, चाय, काफी, मैदा आदि चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • इस रोग से पीड़ित स्त्रियों को यदि कब्ज हो तो इसका इलाज तुरंत कराना चाहिए।
  • बांझपन को दूर करने के लिए स्त्रियों को विटामिन `सी´ तथा `ई´ की मात्रा वाली चीजें जैसे नींबू, संतराआंवला, अंकुरित, गेहूं आदि का भोजन में सेवन अधिक करना चाहिए।
  • स्त्रियों को सर्दियों में प्रतिदिन 5-6 कली लहसुन चबाकर दूध पीना चाहिए, इससे स्त्रियों का बांझपन जल्दी ही दूर हो जाता है।
  • जामुन के पत्तों का काढ़ा बनाकर फिर इसको शहद में मिलाकर प्रतिदिन पीने से स्त्रियों को बहुत अधिक लाभ मिलता है।
  • बड़ (बरगद) के पेड़ की जड़ों को छाया में सुखाकर कूट कर छानकर पाउडर बना लें। फिर स्त्रियां इसे माहवारी समाप्त होने के बाद तीन दिन लगातार रात को दूध के साथ लें। इस क्रिया को तब तक करते रहना चाहिए जब तक की स्त्री गर्भवती न हो जाए।
  • स्त्री के बांझपन के रोग को ठीक करने के लिए 6 ग्राम सौंफ का चूर्ण घी के साथ तीन महीने तक लेते रहने से स्त्री गर्भधारण करने योग्य हो जाती है।
  • स्त्री के बांझपन के रोग को ठीक करने के लिए उसके पेड़ू पर मिट्टी की गीली पट्टी करनी चाहिए तथा इसके बाद उसे कटिस्नान कराना चाहिए और कुछ दिनों तक उसे कटि लपेट देना चहिए। इसके बाद स्त्री को गर्म पानी का एनिमा देना चाहिए।
  • रूई के फाये को फिटकरी में लपेटकर तथा पानी में भिगोकर रात को जब स्त्री सो रही हो तब उसकी योनि में रखें। सुबह के समय में जब इस रूई को निकालेंगे तो इसके चारों ओर दूध की खुरचन की तरह पपड़ी सी जमा होगी। जब तक पपड़ी आनी बंद न हो तब तक इस इस क्रिया को प्रतिदिन दोहराते रहना चाहिए। ऐसा कुछ दिनों तक करने से स्त्री गर्भ धारण करने योग्य हो जाती है फिर इसके बाद स्त्री को पुरुष के साथ संभोग क्रिया करनी चाहिए।
  • स्त्रियों के बांझपन की समस्या को दूर करने के लिए प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसार कई प्रकार के आसन भी हैं जिनको करने से उनकी बांझपन की समस्या कुछ ही दिनों में दूर हो सकती है।
  • बांझपन को दूर करने के आसन निम्न हैं- सर्वांगासनमत्स्यासन, अर्ध मतेन्द्रासन, पश्चिमोत्तानासनशलभासन आदि।
  • स्त्री में बांझपन का रोग उसके पति के कारण भी हो सकता है इसलिए स्त्रियों को चाहिए कि वह अपने पति का चेकअप कराके उनका इलाज भी कराएं और फिर अपना भी उपचार कराएं।
  • यदि स्त्री-पुरुष दोनों में से किसी के भी प्रजनन अंगों में कोई खराबी हो तो उसका तुरंत ही इलाज कराना चाहिए।


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