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रजोनिवृति

 

परिचय-

          यह अधिकतर उन स्त्रियों को होता है जिनकी उम्र 45 से 50 वर्ष होती है। इसमें स्त्रियों का मासिकधर्म आना बंद हो जाता है। इसे ही रजोनिवृति कहते हैं। यदि किसी स्त्री को 6 महीने तक मासिकधर्म न आये तो यह मान लेना चाहिए कि उसे रजोनिवृति हो गई है। यदि 6 महीने बीत जाने पर फिर से मासिकधर्म हो जाये तो इसे रजोनिवृत्योन्तर रक्तस्राव (योनि से खून का निकलना) होना कहते हैं। रजोनिवृति के समय शरीर में कुछ परिवर्तन होते हैं जिनके लक्षणों से अक्सर स्त्रियां परेशान और भयभीत हो जाती हैं।

          इस रोग से पीड़ित कुछ स्त्रियों को ऐसा भी लगने लगता है कि रजोनिवृति (मासिकधर्म बंद होना) होने के कारण उनके बुढापे का आरम्भ और सौंदर्य का अंत होना शुरू हो गया है लेकिन ये सभी प्रकार की शंकाएं गलत हैं।

रजोनिवृति रोग तीन प्रकार का होता है-

  • पहला रजोनिवृति रोग वह है जिसमें स्त्री स्वस्थ तो होती है लेकिन बिना किसी परेशानी के उसका मासिकधर्म अचानक बंद हो जाता है व स्त्री को इस बात का पता भी नहीं चलता है।
  • दूसरा रजोनिवृति रोग वह है जिसमें स्त्री का मासिकधर्म धीरे-धीरे कम होकर बंद हो जाता है।
  • तीसरा रजोनिवृति रोग वह है जिसमें स्त्री का मासिकधर्म आने का चक्र अनियमित हो जाता है और मासिकधर्म के 2 चक्रों के बीच का अंतर बढ़ जाता है।

स्त्रियों को रजोनिवृति रोग होने का लक्षण:-

  • जब रजोनिवृति (मासिकधर्म बंद होना) रोग किसी स्त्री को हो जाता है तो उस स्त्री को गर्मी अधिक लगने लगती है तथा उसके शरीर से पसीना निकलने लगता है।
  • इस रोग से पीड़ित स्त्री को नींद पूरी नहीं आती है तथा मानसिक अवसाद हो जाता है।
  • रोगी स्त्री के हृदय की धड़कन बढ़ जाती है तथा उसके हाथ-पैरों पर चीटियां सी रेंगने तथा सुई सी चुभन महसूस होती है।
  • रोगी स्त्री के सिर में दर्द, कान में अजीब-अजीब सी आवाजें आना, जोड़ों में दर्दकमर में दर्द तथा चिड़चिडा़पन हो जाता है।
  • रजोनिवृति रोग से पीड़ित स्त्रियों की अत:स्रावी ग्रंथियां प्रभावित हो जाती हैं जिस कारण से उसकी आवाज भारी हो जाती है।
  • रजोनिवृति रोग से पीड़ित स्त्रियों की दाढ़ी-मूंछ उगने लगती हैं तथा स्त्री को मोटापा रोग हो जाता है।
  • पीड़ित स्त्री के बाल झड़ने लगते हैं तथा उसकी त्वचा रूखी हो जाती है और उसे थकावट भी होने लगती है।
  • रजोनिवृति रोग से पीड़ित स्त्री का दिमाग कमजोर हो जाता है तथा उसमें मानसिक एकाग्रता की कमी हो जाती है।

रजोनिवृति रोग होने पर प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार-

  • जब स्त्री को रजोनिवृति रोग हो जाता है तो उसे अपने खान-पान पर विशेष ध्यान देना चाहिए। यदि स्त्री अपने खान-पान तथा दिनचर्या पर विशेष ध्यान देती है तो उसका स्वास्थ्य सही हो जाता है तथा रजोनिवृति हो जाने के बाद भी उसका स्वास्थ्य और सौंदर्य बना रहता है। अपनी सेहत पर अच्छी तरह से ध्यान देने से स्त्रियां कभी-कभी तो पहले से भी ज्यादा अच्छी तथा आकर्षक लगती हैं।
  • रजोनिवृति रोग होने के समय स्त्रियों की शारीरिक, भावनात्मक और मानसिक स्थिति बड़ी नाजुक होती है। इसलिए परिवार के सदस्यों को तथा खासतौर से पति को पत्नी के साथ सहानुभूति पूर्ण और सहयोगात्मक व्यवहार करना चाहिए।
  • रजोनिवृति के समय में स्त्रियों की देखभाल सही तरीके से न हुई हो तो उसे गर्भाशय से सम्बंधित रोग हो सकते हैं या फिर स्त्रियों को मानसिक रोग भी हो सकते हैं।
  • रजोनिवृति रोग होने के लक्षण अधिक होना इस बात को बताते हैं कि रोगी स्त्री के शरीर में विजातीय द्रव्य (दूषित द्रव्य) बहुत अधिक है। इसलिए रोगी स्त्री को प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार कराना चाहिए।
  • इस रोग से पीड़ित स्त्री को विटामिन `सी´, `डी´, `ई´ तथा कैल्शियम प्रधान भोजन करना चाहिए जिसमें फल, अंकुरित अन्न, सब्जियां, गिरी तथा मेवा अधिक मात्रा में हो। इसके अलावा रोगी स्त्री को फलों का रस अधिक मात्रा में सेवन करना चाहिए। चुकन्दर का रस पीना भी बहुत अधिक लाभदायक होता है लेकिन इसे थोड़ी मात्रा में लेना चाहिए।
  • रजोनिवृति रोग से पीड़ित स्त्री को दूध में तिल मिलाकर प्रतिदिन पीने से रोगी स्त्री को बहुत अधिक लाभ मिलता है।
  • रोगी स्त्री को दूषित भोजन, मैदा, मिर्च-मसाले तथा चीनी से बनी चीजों का अधिक सेवन नहीं करना चाहिए।
  • एक गिलास गाय के दूध में एक चम्मच गाजर के बीज डालकर और उबालकर प्रतिदिन पीने से रजोनिवृति रोग ठीक हो जाता है।
  • यदि रोगी स्त्री के पेट में कब्ज बन रही हो तो उसे अपने पेट पर मिट्टी की गीली पट्टी का लेप करना चाहिए तथा इसके बाद एनिमा क्रिया करके अपने पेट को साफ करना चाहिए।
  • सुबह के समय में स्त्रियों को सैर के लिए जाना चाहिए तथा कई प्रकार के व्यायाम भी करने चाहिए जैसे तैरना, साईकिल चलाना, घुड़सवारी आदि।
  • रजोनिवृति रोग को ठीक करने के लिए कई प्रकार के योगासन तथा योगक्रियाएं हैं जिनको करने से यह रोग ठीक हो जाता है। ये योगासन तथा योगक्रियाएं इस प्रकार हैं- प्राणायाम, योगमुद्रासन, ध्यान तथा योगनिद्रा आदि।

जानकारी-

       इस प्रकार से प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार करने से रजोनिवृति आगे बढ़ जाती है तथा जिन स्त्रियों को रजोनिवृति रोग समय से पहले हो गया हो उनका यह रोग ठीक हो जाता है।


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