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मासिक-धर्म संबन्धी रोग

 

परिचय-

          मासिकधर्म हर स्त्री के शरीर की एक सामान्य क्रिया है और यह 11 से 14 वर्ष की उम्र में आना शुरू होता है तथा यह 45 से 50 वर्ष की उम्र में बंद हो जाता है। मासिकधर्म सामान्यता 28 दिनों में आता है और हर स्त्री का मासिकधर्म आने का समय 3 से 5 दिन तक का होता है। यदि मासिकधर्म के समय में कोई अंतर होता है जैसे 21 से 30 दिनों का तो उसे नियमित मासिकधर्म कहते हैं अर्थात सामान्य मासिकधर्म। अगर मासिकधर्म किसी स्त्री में कभी जल्दी तो कभी देर से शुरू होता है तो उसे अनियमित मासिकधर्म कहते हैं। गर्भावस्था के समय तथा बच्चे को दूध पिलाने के समय में मासिकधर्म बंद हो जाता है।

स्त्रियों में मासिकधर्म से संबन्धित अनेक रोग हो जाते हैं-

एमेनोरिया-

           यदि  किसी लड़की को 16 वर्ष की आयु तक मासिकधर्म शुरू न हो तो उसे एमेनोरिया रोग कहते हैं। यदि एक बार मासिकधर्म शुरू हो जाए और फिर बंद हो जाए तो उसे सेकेन्डरी एमेनोरिया कहते हैं।

डिस्मेनोरिया-

         इस प्रकार के मासिकधर्म में जब मासिकधर्म शुरू होता है तो उससे कुछ समय पहले स्त्री के पेट में दर्द होना शुरू हो जाता है।

मेट्रोरेजिया-

          इस रोग के कारण स्त्री को मासिकधर्म सही समय पर नहीं आता है जिसे अनियमित मासिकधर्म कहते हैं।

मैनोरेजिया-

          इस रोग में जब स्त्री का मासिकधर्म शुरू होता है तो उसे नियमित दिनों से अधिक दिनों तक रक्तस्राव होता रहता है।

हाईपरमैनोरिया-

          इस मासिकधर्म में मासिकधर्म तो नियमित होता है लेकिन मासिकधर्म में सामान्य दिनों में ही बहुत अधिक रक्तस्राव होता है।

पोलिमेनोरिया-

          इस प्रकार का मासिकधर्म स्त्री को 21 दिन से भी कम के अंतरराल पर आता है।

मिनोमेट्रोरेजिया-

           इस प्रकार का मासिकधर्म अनियमित रूप में होता है और इसमें रोगी स्त्री को अधिक रक्तस्राव होता है तथा यह सामान्य से अधिक दिनों तक चलता रहता है।

हाइपोमैनोरिया-

          इस प्रकार का मासिकधर्म सामान्य दिनों तक होता है लेकिन इसमे रक्तस्राव कम होता है।

पोस्ट मेनोपाजुअल ब्लीडिंग-

          इस प्रकार के मासिकधर्म में स्त्रियों को रजोनिवृति (मासिकधर्म का बंद होना) के बाद रक्तस्राव होना शुरू हो जाता है।

ब्रेक-थ्रो ब्लीडिंग-

         इस रोग में स्त्रियों को 2 मासिकधर्मों अर्थात पहला मासिकधर्म समाप्त होने के और दूसरा मासिकधर्म शुरू होने के बीच में रक्तस्राव होता है। यह रोग गर्भनिरोधक गोलियां खाने की वजह से भी हो सकता है।

प्री मेन्स्ट्रअल सिन्ड्रोम-

         यह रोग लगभग 40 प्रतिशत स्त्रियों में पाया जाता है। इस रोग के लक्षण इस प्रकार हैं- सिर में दर्द होना, जी मिचलाना, गुस्सा, थकानपेट में गैस बननाकमर में दर्द, अधिक तनाव तथा हाथ-पैरों में सूजन आदि।

मासिकधर्म संबन्धी रोग होने के कारण-

  • स्त्रियों में मासिकधर्म से संबन्धित रोग गलत तरीके से खान-पान के कारण होता है।
  • मासिकधर्म शुरू होने पर संभोगक्रिया करने के कारण स्त्रियों को मासिकधर्म संबन्धित रोग हो जाते हैं।
  • मासिकधर्म के समय कब्ज रहने के कारण भी स्त्रियों को मासिकधर्म संबन्धित रोग हो सकते हैं।
  • किसी स्त्री की यौन उत्तेजना शांत न होने के कारण भी उसे मासिकधर्म संबन्धित रोग हो सकते हैं।
  • दूषित पानी का सेवन करने के कारण भी स्त्रियों में मासिकधर्म संबन्धित रोग हो सकते हैं।
  • स्त्रियों के स्नायु में अधिक कमजोरी आने के कारण भी मासिकधर्म संबन्धित रोग स्त्रियों को हो सकते हैं।
  • स्त्रियों में हारर्मोन्स संबन्धित रोग हो जाने के कारण भी उसे मासिकधर्म संबन्धित रोग हो सकते हैं।
  • स्त्रियों की जननेन्द्रियों में किसी तरह का रोग हो जाने के कारण भी यह रोग हो सकता है।
  • अधिक मानसिक तनाव तथा अन्य रोगों के कारण भी यह रोग स्त्रियों को हो सकता है।

मासिक धर्म संबन्धित रोगों का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार-

  • इन रोगों से पीड़ित स्त्रियों को उपचार करने के लिए कुछ दिनों तक उपवास रखना चाहिए तथा कम से कम पांच दिनों तक बिना पके हुए भोजन का सेवन करना चाहिए। इन रोगों से पीड़ित स्त्रियों को फल, अंकुरित अनाज, गिरी, सब्जियों का अधिक सेवन करना चाहिए।
  • मासिक धर्म संबन्धित रोग को ठीक करने के लिए धनिये का पानी, जौ का पानी, कच्चे नारियल का पानी कुछ दिनों तक स्त्रियों को पिलानी चाहिए जिसके फलस्वरूप यह रोग ठीक हो जाता है तथा मासिक धर्म सही समय पर होने लगता है।
  • इस प्रकार के रोगों को ठीक करने के लिए अनार का रस, पत्तागोभी का रस, तथा अंगूर का सेवन बहुत लाभकारी है।
  •  कुछ दिनों तक चकुन्दर का रस कम से कम 80 मि.ली. दिन में दो से तीन बार पीने से स्त्रियों का मासिक धर्म संबन्धित रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
  • कच्चे करेले का रस भी पीना, मासिक धर्म संबन्धित रोग का ठीक करने में बहुत लाभकारी है।
  • मासिक धर्म संबन्धित रोगों से पीड़ित स्त्रियों को मिर्च-मसालें, दूषित भोजन, अधिक चाय, कॉफी, मैदे के खाद्य पदार्थों, केक, चीनी, तली-भुनी चीज तथा डिब्बा बंद खाद्य पदार्थो का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • उबली हुई सब्जियों में केवल हल्का सा नमक तथा काली मिर्च डालकर सेवन करने से स्त्रियों को बहुत अधिक लाभ मिलता है।
  • इन रोगों से पीड़ित स्त्रियों को कम से कम नमक का उपयोग करना चाहिए।
  • मासिक धर्म संबन्धित रोग को ठीक करने के लिए स्त्री को सुबह के समय में आंवले का रस शहद में मिलाकर पीना चाहिए।
  • मासिक धर्म संबन्धित रोगों से पीड़ित स्त्रियों को रात को सोते समय दस दाने मुनक्के तथा पांच बादाम की गिरियां भिगोकर सुबह के समय दूध के साथ खाना चाहिए।
  • मेथी को चार घंटे तक पानी में डालकर, फिर उसी पानी को उबालें और जब पानी उबलते-उबलते एक चौथाई भाग बच जाए तो इस पानी को छानकर इसमें शहद मिला लें और फिर इस पानी को पी लें। इससे स्त्रियों को बहुत अधिक लाभ मिलेगा।
  • एक चम्मच तुलसी के रस में एक चम्मच शहद मिलाकर फिर उसमें एक चुटकी काली मिर्च मिलाकर इसको दिन में दो बार प्रतिदिन चाटने से स्त्रियों को मासिक धर्म संबन्धित रोग ठीक हो जाते हैं।
  • मासिक धर्म संबन्धित रोगों को ठीक करने के लिए पीपल वृक्ष के फलों को सुखाकर कूट लें। फिर इसके बाद इसको कपड़े से छानकर रख लें। फिर प्रतिदिन सुबह-शाम इस चूर्ण को चुटकी भर लेकर पानी के साथ सेवन करें।
  • धनिये के बीज को उबालकर फिर इसको छानकर इसके पानी को प्रतिदिन सुबह तथा शाम पीने से स्त्रियों के मासिक धर्म संबन्धित रोग ठीक हो जाते हैं।
  • अदरक को उबालकर फिर इसको छानकर इसके पानी को प्रतिदिन सुबह तथा शाम पीने से स्त्रियों के मासिक धर्म संबन्धित रोग ठीक हो जाते हैं।
  • बथुआ को उबालकर फिर इसको छानकर इसके पानी को पीने से स्त्रियों के मासिक धर्म संबन्धित रोग ठीक हो जाते हैं।
  • तुलसी की जड़ को सूखाकर पीसकर चूर्ण बना लें फिर इस चूर्ण को पान के पत्ते में रखकर प्रतिदिन दिन में दो बार सेवन करने से स्त्रियों के मासिक धर्म संबन्धित रोग ठीक हो जाते हैं।
  • एक चम्मच तिल को अच्छी तरह से कूटकर गर्म पानी के साथ प्रतिदिन सेवन करने से मासिक धर्म संबन्धित रोग ठीक हो जाते हैं।
  • त्रिफला के चूर्ण को थोड़ी सी हल्दी में मिलाकर प्रतिदिन दिन में दो बार सेवन करने से स्त्रियों का मासिक धर्म संबन्धित रोग कुछ दिनों में ही ठीक हो जाते हैं।
  • मासिक धर्म संबन्धित रोगों से पीड़ित स्त्री को अधिक से अधिक आराम करना चाहिए तथा सुबह के समय में सैर के लिए जाना चाहिए। स्त्रियों को नकारात्मक विचार दिमाग से निकाल देना चाहिए तथा सकारात्मक सोच रखना चाहिए।
  • स्त्रियों को मासिक धर्म संबन्धित रोगों को ठीक करने के लिए कई प्रकार के आसन हैं जिसको करने से ये रोग तुरंत ठीक हो जाते हैं। ये आसन इस प्रकार हैं- पश्चिमोत्तानासन, त्रिकानासन, अर्धमत्स्येन्द्रासन, शवासन, शलभासन, बज्रासनभुजंगासन तथा योगनिद्रा आदि।
  •  मासिक धर्म संबन्धित रोगों को ठीक करने के लिए स्त्रियों के पेडू पर मिट्टी की गीली पट्टी का लेप करना चाहिए तथा स्त्रियों को एनिमा क्रिया करके अपने पेट को साफ करना चाहिए। इसके बाद स्त्री को अपने शरीर पर सूखा घर्षण करना चाहिए तथा कटिस्नान करना चाहिए। फिर इसके बाद स्त्री को अपने कमर पर गीली मिट्टी की पट्टी लपेटनी चाहिए और स्त्री को खाली पेट रहना चाहिए जिसके फलस्वरूप ये रोग ठीक हो जाते हैं।
  • मासिक धर्म संबन्धित रोगों से पीड़ित स्त्री को जब रक्तस्राव हो रहा हो उस समय उसे कटिस्नान करना चाहिए तथा उसके पेडू पर मिट्टी की पट्टी लगानी चाहिए और कमर पर लाल तेल से मालिश करनी चाहिए। फिर कमर पर गीले कपड़े की पट्टी लपेटनी चाहिए। लेकिन इस उपचार को करते समय स्त्रियों को योगासन नहीं करना चाहिए।
  • यदि रोगी स्त्री का मासिक स्राव आना बंद हो गया है तो रोगी स्त्री को सुबह के समय में गर्म पानी से कटिस्नान करना चाहिए तथा रात को सोते समय एक बार फिर से कटिस्नान करना चाहिए। फिर रोगी स्त्री को दूसरे दिन गर्म तथा ठंडे पानी में बारी-बारी से सिट्ज बाथ कम से कम दो बार करना चाहिए। इस प्रकार से प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार कम से कम एक महीने तक करने से यह रोग ठीक हो जाता है।
  • रोगी स्त्री का यदि मासिक धर्म आना बंद हो गया है तो उसे एक गिलास पानी में दो चम्मच फेनुग्रीक के बीज को डालकर उस पानी को उबालें तथा जब वह आधा गिलास रह जाए तो उसे छान लें। इस पानी को दिन में दो बार पीना चाहिए। इस प्रकार से प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार कुछ दिनों तक करने से यह रोग ठीक हो जाता है।
  • स्त्री का मासिक धर्म आना बंद हो गया है तो एक चम्मच सफेद तिल लें तथा एक चुटकी काली मिर्च का पाउडर लें। इन्हें एक गिलास पानी में उबालें। जब पानी आधा रह जाए तो इसमें थोड़ा सा गुड़ मिला लें। इस काढ़े को प्रतिदिन दो बार कम से कम दस दिनों तक सेवन करने से मासिक धर्म सही समय पर आने लगता है।
  • यदि स्त्री को मासिक धर्म आते समय तेज दर्द है तो रोगी स्त्री को सुबह के समय में गर्म पानी में कटिस्नान और रात को सोने से पहले एक बार गर्म तथा दूसरी बार ठंडे पानी से कटिस्नान करनी चाहिए। जिसके फलस्वरूप यह रोग ठीक हो जाता है तथा मासिक धर्म के समय में तेज दर्द होना बंद जाता है।
  • स्त्री को मासिक धर्म के समय में तेज दर्द हो रहा हो तो उसे अजवायन का एक चम्मच पाउडर गर्म दूध में मिलाकर प्रतिदिन दिन में दो बार सेवन करें।
  • यदि स्त्री को मासिक धर्म आने पर अधिक रक्त का स्राव हो रहा है तो उसे प्रतिदिन कटि स्नान करना चाहिए तथा इसके बाद गर्म पानी से कटिस्नान करना चाहिए जिसके फलस्वरूप मासिक-धर्म में अधिक रक्त निकलना बंद होता है।
  • तुलसी की पत्तियां सभी प्रकार के मासिक धर्म के रोगों को ठीक कर सकता है। इसलिए मासिक धर्म से संबन्धित रोग से पीड़ित रोगी के प्रतिदिन दो चम्मच तुलसी के पत्तियों का रस पीना चाहिए। इसमें एक चम्मच शहद मिलाकर सेवन करने से रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।
  • आधा गिलास अनार का रस प्रतिदिन सुबह के समय में नाश्ते के बाद पीने से मासिक धर्म में अधिक खून निकलना बंद हो जाता है।
  • एक गिलास गाजर के रस में चुकन्दर का रस बराबर मात्रा में मिलाकर दो महीने तक पीने से मासिक धर्म के समय में अधिक खून निकलना बंद हो जाता है।
  • यदि स्त्री का मासिक धर्म आना बंद हो गया है तो रोगी स्त्री को प्रतिदिन दिन में एक बार गर्म पानी से कटिस्नान करना चाहिए तथा दूसरी बार ठंडे पानी से कटिस्नान करना चाहिए। इस प्रकार से कुछ दिनों तक उपचार करने से रोगी स्त्री का मासिक धर्म सही समय पर आने लगता है।


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