परिचय-
सिरिंज एनिमा का प्रयोग मुख्य रूप से टायफायड जैसे रोगों में किया जाता है। इस एनिमा में पाइप के द्वारा पानी का एनिमा देने के स्थान पर सिरिंज से तेल का एनिमा दिया जाता है। सिरिंज एनिमा के लिए धातु से बनी एक सिरिंज होता है, जिसमें तेल आदि भरकर रोगी को एनिमा दिया जाता है।
सिरिंज एनिमा की विधि-
सिरिंज एनिमा देने के लिए पहले रोगी को दाईं करवट लिटा दिया जाता है फिर सिरिंज में नारियल या अरण्डी का तेल भरकर रोगी के गुदामार्ग में पिचकारी दिया जाता है। इसके बाद उसे कुछ देर रोककर या उसी समय 750 मिलीलीटर गुनगुने पानी को सिरिंज में भरकर एनिमा दिया जाता है। टायफायड बुखार में पानी के एनिमा के स्थान पर ग्लिसरीन सिरिंज में भरकर एनिमा दिया जाना अधिक लाभकारी होता है।
बवासीर रोग में रात को नींबू का रस और 50 मिलीलीटर नारियल का तेल मिलाकर सिरिंज से एनिमा देकर रूई से गुदाद्वार को बन्द कर दें। रातभर तेल को अन्दर ही रहने दें। इससे आंते उत्तेजित होती हैं और आंतों की दीवार से चिपका मल ढीला होकर निकल जाता है। फिर पानी एनिमा देने से मल बाहर निकल जाता है। तेल एनिमा का प्रयोग अधिक नहीं करना चाहिए। तेल एनिमा के अधिक प्रयोग से यकृत का कार्य कमजोर पड़ने की सम्भावना रहती है। तेल एनिमा का प्रयोग केवल अधिक कब्ज बनने पर ही करें।
सिरिंज एनिमा का प्रयोग-
इस एनिमा का प्रयोग अत्यधिक कब्ज बनने, मल के सूखकर कठोर हो जाने पर करना चाहिए। इसके अतिरिक्त पेट दर्द, तेज वायु विकार और ऐसी शारीरिक स्थिति जिसमें पानी का एनिमा देना लाभकारी नहीं होता, उसमें तेल की सिरिंज एनिमा का प्रयोग करना चाहिए।