प्राकृतिक चिकित्सा में विभिन्न प्रकार के जल आसन का प्रयोग किया जाता है जिनमें सबसे मुख्य इस प्रकार है: वाष्प
स्नान, साधारण पूर्ण स्नान, शांतिदायक स्नान, आर्द्रपट-स्नान, अफ्यूश्ज़न स्नान, ब्रैंड स्नान, चादर स्नान, धड़स्नान, फव्वारे और नल से स्नान आदि।
वाष्प स्नान को भाप स्नान भी कहते हैं। इस स्नान से अनेक प्रकार के शारीरिक लाभ प्राप्त होते हैं। भाप स्नान से शरीर का तापमान बना रहता है और खून का संचार पूरे शरीर में सही रूप से होता रहता है। वाष्प स्नान लगभग सभी देशों में किया जाता है। रोगी कमजोर हो तो यह स्नान करने में कठिनाई हो सकती है। परन्तु यदि रोगी शक्तिशाली हो तो बैठकर वाष्प स्नान करके रोग में जल्द लाभ प्राप्त कर सकता है। यदि रोगी कमजोर हो तो उसे भाप स्नान चारपाई पर लिटाकर भी दिया जा सकता है। इस स्नान के लिए पहले रस्सी से बुनी खाट का प्रयोग किया जाता है। इस खाट पर रोगी को लिटाकर एक बर्तन में पानी को उबालकर बर्तन को खाट के नीचे रख देते हैं और बर्तन को ढक देते हैं। इसके बाद रोगी को 2-3 कम्बल से ढक दिया जाता है। कम्बल की लम्बाई और चौड़ाई इतनी होनी चाहिए..............