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शरीर, मन और उपवास

 

परिचय-

            अगर कोई व्यक्ति सप्ताह में 1 दिन उपवास रखता है तो इससे उसके शरीर के अन्दर की सफाई हो जाती है, मन के साथ भी उपवास का इसी तरह का सम्बंध होता है। जब हमारे शरीर में कोई दर्द या रोग पैदा हो जाता है, उस समय उस रोग या दर्द को दूर करने के लिए हमारी भूख भी बंद हो जाती है।

            कहने का तात्पर्य यह है कि जब हमारी शारीरिक क्रिया में किसी तरह की परेशानी पैदा हो जाती है तो हमारी भूख खुद ही लगना बंद हो जाती है और इस प्रकार वह सूचना देती है कि हमें उपवास रखने की जरूरत है। जिस प्रकार से उपवास रखने से हमारे शरीर के रोग समाप्त होते हैं, उसी तरह से हमारे मानसिक रोग भी दूर हो जाते हैं। बहुत बड़े-बड़े उपवास चिकित्सकों को बहुत से रोगियों के सम्बंध में यह महसूस करके बहुत ही आश्चर्य हुआ कि उपवास का मन पर पड़ने वाला लाभदायक असर शरीर पर पड़ने वाले असर से कहीं ज्यादा था। उपवास करने से मन और आत्मा पवित्र और शुद्ध होती है।

            जो रोगी किसी योग्य चिकित्सक की देख-रेख में 1-2 लंबे उपवास कर लेते हैं, मुश्किल विषयों और चिंताओं पर विचार करने की उनकी ताकत पहले से कहीं ज्यादा बढ़ जाती है। इसका कारण यह है कि हमारे शरीर में ज्यादा भोजन आदि करने के कारण जो रोग पैदा हो जाते हैं, वे हमारे शरीर की शक्तियों के लिए बहुत ही हानिकारक हैं। लेकिन उपवास रखने से हमारे शरीर के बहुत सारे रोग नष्ट हो जाते हैं और तब हमारी शक्तियों को किसी दुश्मन से मुकाबला करने की जरूरत नहीं रह जाती। ऐसी हालत में हम उनसे पूरा-पूरा काम लेने में समर्थ हो जाते हैं, हमारी सारी इन्द्रियों में ताकत आ जाती है और वे अपने काम आसानी से करने लगती हैं। जब उपवास हमारे शरीर को हर तरह से लाभ पहुंचा सकता है तब कोई कारण नहीं है कि वे हमारे मन और आत्मा को शुद्ध न कर सके और उसकी ताकत न बढ़ा सके। उपवास मानसिक रोगों को दूर करने में उतना ही लाभकारी है जितना कि शारीरिक रोगों को दूर करने में।

            जो लोग चाहते हैं कि उन्हें कोई रोग न घेरे या उनके मन में शांति रहे उनके लिए उपवास रखना बहुत ही लाभदायक है। इसके अलावा जिस व्यक्ति के शरीर में कोई रोग नहीं रह जाएगा और जिसकी सारी शारीरिक क्रियाएं आसानी से हो जाएंगी उसका मन भी हमेशा प्रसन्न ही रहेगा।

जानकारी-

            बहुत से लोगों को भूख नहीं लगती तो वे उसे भी किसी तरह का रोग मान लेते हैं। वे यह नहीं समझते कि हमारी पाचनशक्ति हमें यह बता रही है कि अब उसमें परेशानी आ रही है और उसको ठीक कराने का समय है। हमारे शरीर के अन्दर बहुत से ऐसे पदार्थ होते हैं जो व्रत रखने के समय हमारे शरीर का काम सही तरह से चला देते हैं।

            हमारे शरीर के अन्दर बहुत से ऐसे पदार्थ भी इकट्ठे होते हैं जो कि हमारे आने वाले बुढ़ापे के लिए जमा होते हैं, पर जब बीच में शरीर को मरम्मत की जरूरत होती है तब उन्हीं पदार्थों से शरीर का काम चल जाता है और मरम्मत हो जाने पर उनकी कमी अपने आप पूरी हो जाती है। ये सुरक्षित पदार्थ जरूरत पड़ने पर तुरंत ही इस्तेमाल में लाए जा सकते हैं और इनके खर्च हो जाने के कारण शरीर के रोजाना के कामों को करने में कोई परेशानी नहीं आती। अगर लोग यह समझते है कि भूखे रहने से उनके जीवन को कोई खतरा हो सकता है या उनमें कोई कमजोरी आ जाती है तो यह बात बिल्कुल गलत है।


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