JK healthworld logo icon with JK letters and red border

indianayurved.com

Makes You Healthy

Free for everyone — complete solutions and detailed information for all health-related issues are available

मेहनस्नान

 

परिचय-   

          मेहनस्नान को लिंग स्नान, शिश्नस्नान और इन्द्रियस्नान के नाम से भी जाना जाता है। यह स्नान स्त्रियों के लिए अधिक लाभकारी है। इस स्नान के लिए एक टब और एक छोटा स्टूल लेकर सबसे पहले उस स्टूल को टब में रख देते हैं और फिर उस टब में स्टूल की सतह तक पानी भरते हैं। स्टूल की ऊंचाई इतनी रखें कि टब में 80 से 100 लीटर पानी आ सके। टब में कम पानी होने से वह जल्दी गर्म हो जाएगा, जिससे मेहनस्नान का सही लाभ नहीं मिल पाता। टब में पानी भरने के बाद स्टूल के ऊपर नंगे बदन बैठ जाएं और पैर को टब से बाहर दूसरे स्टूल पर रखें।

स्त्री के लिए मेहन स्नान की क्रिया-

          यदि मेहनस्नान स्त्रियां कर रही हैं- पहले स्टूल पर बैठ जाएं और अपने पैर को दूसरे स्टूल पर रखें। फिर एक छोटे गमछे या मोटे कपड़े को पानी में भिगोकर उस कपड़े से योनि के मुंह के ऊपरी हिस्से को धीरे-धीरे आराम से धोएं। इस तरह कपड़े को पानी में भिगो-भिगोकर योनि धोने की क्रिया बार-बार करें। इस क्रिया में योनि की बाहरी या ऊपरी त्वचा को ही धोकर साफ करें। ध्यान रखें कि इस क्रिया को आराम से करें, जिससे योनि की ऊपर की त्वचा पर रगड़ न लगे। इस तरह योनि को लगभग 5 से 20 मिनट तक रगड़कर साफ करें। इसके बाद एक कपड़े को पानी में भिगोकर निचोड़कर उससे गर्दन से नितम्ब (हिप्स) तक के भाग को 2-3 मिनट तक ऊपर से नीचे की ओर रगड़कर अच्छी तरह से धोएं। इस तरह शरीर को भीगे कपड़े से रगड़कर धोने के बाद कपड़े पहनकर कोई व्यायाम आदि करके या रजाई ओढ़कर जल्दी से शरीर को गर्म कर लेना चाहिए।

सावधानी- 

          मासिकस्राव के समय मेहनस्नान नहीं करना चाहिए। परन्तु मासिकस्राव के अधिक आने पर मेहनस्नान किसी चिकित्सक की सलाह लेकर ही करें। मासिकस्राव अधिक से अधिक चार दिनों तक होता रहता है। यदि इससे अधिक रहे तो ऐसे स्राव को असाधारण मासिकस्राव समझकर उसकी चिकित्सा करनी चाहिए।

पुरुष के लिए मेहनस्नान की क्रिया-

          अगर मेहनस्नान पुरुष कर रहे हों तो पुरुष को भी टब में नंगे होकर बैठना चाहिए और फिर लिंग के अगले भाग को जिसे मुंड (सुपारी) कहते हैं, उसकी त्वचा को थोड़ा सा आगे की ओर खींचकर लिंग की सुपारी के ऊपर की त्वचा को अच्छी तरह से ढककर बाएं हाथ से पकड़े और दाहिने हाथ में एक छोटा सा मुलायम कपड़ा लें। अब उस कपड़े को ठंडे पानी में गीला करके बार-बार लिंग की त्वचा को धोएं।

           जिस व्यक्ति की सुपारी चमड़ी से ढकी न हो उसे चाहिए कि लिंग के जितने भाग पर चमड़ी हो उसे धोएं और अंडकोषों को भी धोएं। लिंग साफ करने के बाद कमर के नीचे के भाग से 2-3 अंगुली नीचे के भाग को भी पानी में भिगो दें। इससे नितम्ब (हिप) भीग जाएगा और शरीर का अन्य भाग सूखा ही रहेगा। इस क्रिया में अंडकोष के निचले भाग को ही भीगने दें तथा अंडकोष के ऊपरी भाग को सूखा ही रखें। अब पानी में भीगे भाग को कपड़े से रगड़कर साफ करें। इस तरह मेहनस्नान 1-2 बार करने से शरीर के जिस भाग में घर्षण स्नान किया जाता है, उस स्थान पर अपने आप विकार उत्पन्न होने लगता है। ऐसे में अंगों में जलन आदि होने पर रोगी को घबराना नहीं चाहिए तथा मेहनस्नान को करते रहना चाहिए। इससे लिंग से संबंधित सारे रोग भी ठीक हो जाते हैं।

          मेहनस्नान का प्रयोग कुछ दिनों तक करने से अनेक प्रकार के रक्तविकार दूर होते हैं। इस स्नान से शरीर पर फोड़े उत्पन्न होकर शरीर के अंदर का दूषित द्रव्य शरीर से बाहर निकल जाता है। यदि फोड़े उत्पन्न होकर दूषित तत्व बाहर निकल रहा हो तो फोड़े के मुंह पर ठंडे पानी में भीगे हुए कपड़े की पट्टी लपेटें और स्नान की क्रिया प्रतिदिन करते रहें। यदि आवश्यकता हो तो पहले से अधिक मुलायम कपड़े का प्रयोग मेहनस्नान के लिए करें। मेहनस्नान करने के बाद कपड़े पहन कर लगभग 20-30 मिनट तक टहलना चाहिए। यदि रोगी कमजोर हो तो टहलने के स्थान पर कम्बल लपेटकर या रजाई ओढ़कर शरीर को गर्म किया जा सकता है।

विशेष-

          मेहनस्नान में लिंग को महत्व अधिक दिया गया है, क्योंकि मेरुदण्ड और मस्तिष्क से संबन्ध रखने वाले शरीर के विभिन्न स्नायुओं का प्रभाव जननेन्द्रिय पर पड़ता है। अत: मेहनस्नान से सभी स्नायु शुद्ध व कार्यशील बनते हैं, जिससे शरीर के सभी अंग प्रभावित होते हैं।

बाल्टी या एनिमा पाट से मेहनस्नान-

          मेहनस्नान के लिए यदि पानी की कमी हो तो मेहनस्नान के लिए बाल्टी में पानी भरकर भी प्रयोग किया जा सकता है। इसके लिए 10 लीटर पानी वाली बाल्टी लें और उसमें एक टोटी लगा दें। फिर उसमें पानी भरकर 3-4 फुट ऊपर दीवार पर लटका दें और नीचे टब में बैठकर मेहनस्नान की क्रिया करें। यदि ऐसा करना सम्भव न हो तो एनिमा लेने वाले यंत्र से भी मेहनस्नान किया जा सकता है।

मेहनस्नान से लाभ-

          मेहनस्नान से शरीर की अधिक गर्मी शांत होती है और शरीर स्वच्छ, शांत, स्फूर्तिवान बनता है। इस स्नान से स्नायु सशक्त बनते हैं तथा जीवनीशक्ति बढ़ती है। इससे शरीर में मौजूद दूषित द्रव्य बाहर निकलते हैं।  इस स्नान से सभी रोगों को उत्पन्न करने वाले दोष मलमार्ग से बाहर निकल जाता है। मेहनस्नान को सोने से पहले करने पर नींद में लाभ होता है और अनिद्रा जैसे रोग दूर होते हैं। तेजी से उत्पन्न होने वाले रोगों में मेहन और उदर स्नान से जल्द लाभ मिलता है। यह जीर्ण रोगों को दूर करता है। मेहन स्नान से वीर्य का निकलना, प्रदर, स्नायु दुर्बलता आदि रोग दूर होते हैं। इससे गुस्सा शांत होता है तथा स्नायुशूल और साइटिका रोग में बहुत लाभ पहुंचता है। स्त्रियों के हिस्टीरिया एवं अन्य सभी रोगों में यह स्नान लाभकारी होते हैं।

सावधानी-

          मेहनस्नान करने से पहले ध्यान रखें कि मेहनस्नान केवल रोगी के लिए ही लाभकारी होता है। अत: स्वस्थ्य व्यक्ति को यह स्नान नहीं करना चाहिए।

          मेहनस्नान के लिए कुंए का पानी प्रयोग करना चाहिए। मेहनस्नान रोगी की आयु और शारीरिक क्षमता के अनुसार 10 मिनट से लेकर 1 घंटे तक लिया जा सकता है। सर्दी के मौसम में स्नान करने का कमरा अधिक ठंडा नहीं होना चाहिए। कमरे को गर्म करने के लिए अंगीठी या हीटर से कमरे को गर्म कर लें, जिससे स्नान करने पर आराम मालूम हो। सर्दी के मौसम में ताजे पानी का जो तापमान होता उसी से स्नान करें। गर्मी के दिनों में मेहनस्नान के लिए घड़े या सुराही का ठंडा पानी प्रयोग करना चाहिए।


Copyright All Right Reserved 2025, indianayurved