सूर्य की किरणें आकाश में मौजूद विद्युत में लहरों द्वारा कंपन उत्पन्न करती हैं, जिसका आभास आंखों द्वारा हमारे शरीर की सूक्ष्म नाड़ियों को होता है। प्रकाश बाह्य रूप में भौतिक होने पर भी सूक्ष्म होता है। प्रकाश को यदि प्रकृति का उत्साह कहा जाए तो गलत नहीं होगा। यदि हम सूर्य के प्रकाश की किरणों को किसी प्रिज्म के अन्दर से गुजारें तो यह सात रंगों में बंटा हुआ दिखाई देगा। इसे स्पेक्ट्रम के नाम से जाना जाता है। स्पेक्ट्रम के एक सिरे पर लाल और दूसरे सिरे पर बैंगनी रंग दिखाई देता है। स्पेक्ट्रम में केवल सात रंगों का ही दिखाई देने का तात्पर्य यह नहीं है कि सूर्य का प्रकाश केवल सात रंगों से ही मिलकर बना है। बल्कि स्पेक्ट्रम के दोनों सिरों के बाहर भी कुछ किरणें होती है जिन्हें हम अपनी नंगी आंखों से नहीं देख पाते हैं।
बैंगनी सिरे से दूर वाली अदृश्य किरणों को नीलोत्तर किरणें और लाल किरणों से आगे वाली अदृश्य किरणों को इन्फ्रारेड किरणें कहते हैं। इन दो अदृश्य किरणों के अतिरिक्त अन्य अदृश्य किरणें भी होती हैं। इनमें कुछ अदृश्य रंगों को वैज्ञानिकों ने खोज लिया है। अब तक एक्स-रे, एल्फा-रे, बीटा-रे और गामा-रे आदि किरणों के बारे में ज्ञात हो चुका है।