जब गर्म और ठंडे एनिमा को साथ-साथ लिया जाता है अर्थात एक के बाद दूसरा तो उसे गर्म और ठंडा एनिमा कहते हैं। एनिमा लेने के लिए सबसे पहले हल्के गर्म पानी (जो सहन हो सके) का एनिमा लेना चाहिए और उसके बाद ठंडे पानी का एनिमा लेना चाहिए। गर्म और ठंडे दोनों ही एनिमाओं में प्रयोग में लाया जाने वाला जल एक समान मात्रा में होना चाहिए। गर्म और ठंडा दोनों ही प्रकार के एनिमाओं द्वारा आंतों में चढ़ाया हुआ पानी थोड़ी देर तक रखने के बाद एक साथ ही निकालना चाहिए। गर्म जल से एनिमा लेने से आंतों की दीवारों में चिपके हुए सुद्दे ढीले हो जाते हैं और इसके बाद ठंडे जल का एनिमा लेने से आंतों की अनावश्यक गर्मी नष्ट हो जाती है तथा इससे आंते मजबूत हो जाती हैं।
ठंडे और गर्म जल का एनिमा नए रोगियों तथा कमजोर और असाध्य रोगों से पीड़ित व्यक्तियों के लिए अधिक लाभकारी होता है।