परिचय-
सब्जियों फलों और अनाजों का न पकने वाला भाग रेशा होता है। जो पाचनक्रिया को सही रखता है और मलाशय को अच्छी तरह साफ करने में मुख्य भूमिका निभाता है।
चिकित्सा-
रेशेदार भोजन आंतों में कैंसर, कब्ज और बवासीर होने की संभावना को कम करता है।
चोकर औषधीय रेशा-
खाद्य-पदार्थों को पीसकर छान लेना चाहिए। इनको छानने पर गेहूं, ज्वार, मक्का, अनाज का ऊपरी छिलका छलनी में ही रह जाता है जिसे चोकर कहा जाता है। ज्यादातर लोग इस चोकर को फैंक देते हैं या गायों को डाल देते हैं। इस तरह अनाज का सबसे महत्वपूर्ण पौष्टिक तत्व खराब चला जाता है। चोकर में कुछ ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो जीन्स की संरचना पर प्रभाव डालते हैं। कोलोन के अतिघातक कैंसर को रोकने में, डायबिटीज और रक्त का कोलेस्ट्राल कम करने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यह शरीर की प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाकर खून में हीमोग्लोबीन की मात्रा बढ़ाता है। इसी वजह से दमा, एलर्जी एवं एड्स जैसे रोगों में यह बहुत लाभकारी हो जाता है। इसलिए चोकर को बाहर न निकाले, रोटी चोकर के साथ ही बनानी चाहिए।
जानकारी-
रेशेदार भोजन सभी प्राकृतिक खाद्य पदार्थों (फल, सब्जी, साबुत, अनाज, आदि) में पाया जाता है। लेकिन जब इनको साफ करा या पीसा जाता है तो इनमें रेशे नहीं रह जाते हैं जैसे मशीन में साफ किया हुआ चावल, मैदा, बेसन, आदि। भोजन के पकाने पर इसमें मौजूद रेशे खत्म हो जाते हैं।