परिचय-
स्पंज बाथ उन व्यक्तियों को कराया जाता है जो बहुत समय से बीमार होते है या बहुत पतले होते हैं।
सामग्री :
एक टर्किश तौलिये या कपडे़ के बने हुए दस्ताने, बिस्तर को पूरा ढकने के लिए एक चादर तथा एक बाल्टी।
विधि :
रोगी के पूरे शरीर को एक चादर से ढक दें। अब भीगे हुए तौलिये या दस्ताने से रोगी के पूरे शरीर को रगड़-रगड़ कर साफ करें। इसके बाद रोगी को धीरे से करवट बदलने को कहें और उसकी कमर को धीरे से स्पंज करें। फिर रोगी के चेहरे और सिर को पोंछकर सुखा लें। इसके बाद रोगी के शरीर को चादर से दुबारा ढक दें।
रोगी की हालत देखकर ही पानी का तापमान निर्धारित करें। रोगी को तेज बुखार होने पर 18 से 24 डिग्री सेल्सियस तापमान वाले पानी से ठंडा स्पंज करने से बुखार कम हो जाता है। परन्तु बहुत कमजोर रोगी को जिसे सर्दी लगकर बुखार आता हो, गर्म पानी से बार-बार स्पंज कराने से शरीर की त्वचा की नमी ज्यादा हो जाती है। जिससे भाप बनकर उड़ने से बुखार खत्म हो जाता है।
इस प्रकार के स्नान को दवा के रूप में प्रयोग करने के लिए पानी का तापमान कम से कम 10 डिग्री होना चाहिए और रोगी का शरीर कम से कम 5 मिनट तक रगड़ना चाहिए। ठंडा स्पंज दिल से जुडे़ रोगी व जलोदर के रोगी के लिए बहुत लाभकारी होता है।
रीढ़ पर बारी-बारी से गर्म, ठंडा स्पंज करने से दिल और सांस के केन्द्र उत्तेजित होने लगते हैं और इसलिए यह काम सभी तरह के रोगों का इलाज करने में सहायता करता है। तंत्रिकीय-सिर दर्द में इससे केन्द्रीय प्रणाली को आराम मिलता है और दर्द कम होता है। यह मोच, चोट और रूमेटाइड आर्थराइटिस के इलाज में सहायता करता है। यह रोगों का खत्म करने के लिए लाभदायक होता है।
अत: अगर रोजाना यह स्नान किया जाए तो शरीर के बहुत से रोग आसानी से खत्म हो सकते हैं।