ब्रैंड स्नान में रोगी के चेहरे और सिर को ठंडे पानी से धो लेते हैं और इसके बाद उसके सिर पर ठंडे पानी से निचोड़ी हुई तौलिया लपेटते हैं। फिर रोगी के सारे कपडे़ उतारकर उसे ब्रैंड स्नान करने के लिए पीठ के बल ठंडे पानी में लिटा दें। इसके बाद रोगी के सिर को पानी के बाहर कर लें और दूसरे व्यक्ति से पानी के अन्दर रोगी के शरीर को जोर-जोर से रगड़ने को कहे। उसके बाद रोगी को टब में कुछ देर के लिए बिठाकर उसके सिर और गर्दन पर एक बाल्टी ठंडा पानी डालें। फिर रोगी को पानी में दुबारा लिटा दें और उसके शरीर को दोबारा जोर से रगडे़। इसके बाद दुबारा 5 मिनट के बाद रोगी को दुबारा बिठा दें। फिर रोगी के सिर पर दूसरी बाल्टी ठंडे पानी की उडे़ली जाती है। यह क्रिया 10 से 20 मिनट तक चलती रहती है। परन्तु रोगी ठंड ज्यादा महसूस करने लगे और उसे कंपकंपी होने लगे तो उसे पानी से जल्दी निकाल लें और उसके शरीर को पोंछकर और रजाई या कम्बल ओढ़ाकर उसे बिस्तर पर लिटा दें। इस स्नान से नाड़ी केन्द्रों को शक्ति मिलती है तथा गुर्दे, जिगर आदि अपना-अपना काम सुचारू रूप से करने लगते हैं। टाइफायड या मोतीझारा के बुखार में यह स्नान बहुत लाभकारी होता है।