परिचय-
जिस मनुष्य में नकारात्क नजरिये की धारणा बन जाती है जैसे कि वह बीमार है तो वह निश्चय ही बीमार हो जाएगा जबकि उसके शरीर में कोई रोग भी नहीं होता है और न ही उसके शरीर में किसी रोग का चिन्ह होता है।
संसार में कुछ भी अच्छा या बुरा नहीं होता है बल्कि हमारा नजरिया ही उसे अच्छा या बुरा बनाता है। हमारे नजरिये के अनुसार संसार की हर वस्तु में गुण या अवगुण, बुराई या अच्छाई मिलेगी, उसके गुण या अच्छाई को देखना सकारात्मक दृष्टिकोण है, उसके अवगुण या बुराई को देखना नकारात्मक दृष्टिकोण है, इसलिए हमेशा सकरात्मक दृष्टिकोण रखना चाहिए।
जब सभी व्यक्ति एक-दूसरे के दोषों को देखते रहेंगे तब तक देश, समाज या परिवार में एकता तथा प्रेम नहीं रह सकता। इसलिए सभी व्यक्तियों को एक दूसरे के दोषों नहीं छांटना चाहिए बल्कि उसे दूर करने का प्रयास करना चाहिए। जो व्यक्ति स्वच्छ मन वाला होता है वह व्यक्ति केवल दूसरे की विशेषताएं देखता है उसके दोषों को नहीं। दूषित मन वाला व्यक्ति केवल दूसरों की बुराई देखता है।
जो व्यक्ति आशावादी होता है वह पीछे की बातों को ध्यान में रखके आगे की ओर बढ़ता है और निराशावादी व्यक्ति आगे की बातों को सोचकर पीछे की ओर लौटता है और कार्य को पूरा करता है तथा कार्य को करने में ठीक प्रकार से सोच-विचार करता है।
नकारात्मक विचारों के कारण शरीर की 95 प्रतिशत क्षमता व्यर्थ चली जाती है इसलिए नकारात्मक विचार हमारे सबसे बड़े दुश्मन हैं।
जिस मनुष्य में जैसा विचार होता है वह वैसा ही बोलता है। जैसा वह बोलता है वैसा ही कार्य भी करता है। जिस मनुष्य का कार्य जैसा होगा उसकी आदते भी वैसी ही होंगी। जैसी उसकी आदत होगी वैसे ही उसका चरित्र होगा। जैसा उसका चरित्र होगा वैसा ही उसका भाग्य होता है। इसलिए सभी मनुष्यों को दूसरों के प्रति सकरात्मक नजरिया रखना चाहिए।
सकारात्मक नजरिया रखने के लाभ :-
- सकारात्मक नजरिये के कारण मानसिक तनाव कम हो जाता है।
- सकारात्मक नजरिये से भाईचारे की भावना कायम होती है।
- सम्पूर्ण व्यक्तित्व का विकास भी सकारात्मक नजरिये से होता है।
- सभी जगह आनन्द की अनुभूति होती है।
- सकारात्मक नजरिया अपनाने से सभी कार्य सफल होते हैं क्योंकि सकारात्मक विचार से सभी प्रकार की परेशानियां दूर हो जाती हैं।
- सकारात्मक नजरिया बुरे व्यक्तियों को भी अच्छा बना देता है।
- इस संसार में प्रत्येक व्यक्ति में कुछ न कुछ ऐसे गुण अवश्य होते हैं जो दूसरे में नहीं होते। सकारात्मक दृष्टिकोण से प्रत्येक व्यक्ति में उस गुण की पहचानने की शक्ति आ जाती है।
- सकारात्मक नजरिये के फलस्वरूप कार्य करने की क्षमता बढ़ जाती है।
- इससे आत्मविश्वास तथा सहनशीलता बढ़ती है।
- जो व्यक्ति सकारात्मक नजरिये की भावना रखता है उसे कभी भी कष्टों का सामना नहीं करना पड़ता है।
- सकारात्मक सोच-विचार के फलस्वरूप मनुष्य का स्वास्थ्य ठीक होता है तथा उसके शरीर की सभी ग्रन्थियां ठीक प्रकार से कार्य करती है जिसके फलस्वरूप शरीर का ठीक प्रकार से विकास होता है।
- सकारात्मक नजरिये से रचनात्मक विचार धारा उत्पन्न होती है।
- सकारात्मक नजरिये से निर्णय लेने की क्षमता बढ़ जाती है।
- सकारात्मक सोच-विचार के फलस्वरूप शरीर में रोगों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है।
- किसी भी क्षेत्र में कार्य करने में सफलता का आधार सकारात्मक नजरिये से ही होता है और उसी के द्वारा ही सफलता प्राप्त की जा सकती है।
सकारात्मक नजरिया बढ़ाने के उपाय :-
- सभी मनुष्यों को यह याद रखना चाहिए कि निंदक हमारा दोस्त है और वह हमारे जीवन का कल्याण करता है क्योंकि वह हमारी निंदा करके हमें सतर्क कर देता है कि हम ठीक काम कर रहे हैं या नहीं।
- यह ध्यान में रखना चाहिए कि हर प्रकार की परिस्थिति कुछ न कुछ सीखने का मौका देती है।
- सभी व्यक्तियों को यह ध्यान में रखना चाहिए कि किसी भी बात के 2 मायने होते हैं, जो अच्छा लगे उसे ही अपनाना चाहिए और यदि कोई बात बुरी लगे तो उसे छोड़ देना चाहिए।
- जो समय कठिन होता है उस समय में ही मनुष्य की परीक्षा होती है कि उसके कर्म किस प्रकार के हैं और किसी प्रकार के नहीं हैं।
- किसी भी मनुष्यों के हालात तथा कमियों को देखने की बजाए उनकी सही चीजों और अच्छाईयों को देखना चाहिए।
- परिवर्तनों को अपनाना चाहिए क्योंकि परिवर्तन संसार का नियम है और वह होता जरूर है।
- मनुष्य को यह याद रखना चाहिए कि ठोकरें इन्सान को जीना सिखाती हैं।
- जब कोई मेहमान आपके घर में आता है तो उसे अपने परिवार, देश, समाज के दु:ख को नहीं सुनाना चाहिए।
- आप जो भी कार्य करते हैं उससे प्यार करना सीखें और उस कार्य को और भी बेहतर ढंग से करने की कोशिश करें।
- ऐसे व्यक्तियों से दूर रहना चाहिए जो नकारात्मक सोच वाले हों तथा जो दूसरे के बारे में कमी निकालते हों।
- यह याद रखना चाहिए कि भगवान जो करता है वह अच्छा करता है।
- दूसरे व्यक्तियों को सफलता पाने पर प्रोत्साहित करने की आदत डालें।
- सभी मनुष्यों को हमेशा सकारात्मक भाषा का प्रयोग करना चाहिए तथा अच्छा बोलने की कोशिश करनी चाहिए और सकारात्मक लिखने की आदत डालनी चाहिए।
- किसी दूसरे व्यक्तियों के विचारों में रुचि लेनी चाहिए तथा उनके दृष्टिकोण तथा नियमों का स्वागत करना चाहिए।
- अपने आपको दूसरों की परिस्थिति में रखकर निर्णय लेने का प्रयत्न करना चाहिए।
- हमेशा आशावाद बनना चाहिए।
- अपने अन्दर के दोषों को निकालकर उसे ठीक करना चाहिए। कभी भी दूसरों को दोष नहीं देना चाहिए।
- छोटी-छोटी बातों को नज़र अन्दाज कर देना चाहिए।
- यदि किसी कार्य को करने में कोई रुकावट आ रही हो तो उसके समाधान के लिए दूसरे रास्ते खोजें या नये रास्ते तैयार करें।