परिचय-
रचनात्मक सोचना का अर्थ नये विचारों, नये तथ्यों तथा नये समाधानों की खोज करना है। रचनात्मक सोचने से बुद्धि के विकास में तेजी होती है तथा मानसिक तनाव भी खत्म हो जाता है।
रचनात्मक सोच तथा विचार शक्ति के कारण ही मनुष्य तथा पशुओं में भेद होता है। मनुष्य की बुद्धि की परीक्षा केवल इसी बात से होती है कि वह कितनी सुगमता से कठिनाईयों पर विजय प्राप्त कर सकता है।
जिस मनुष्य के मस्तिष्क में निर्णय करने की क्षमता सही नहीं होती है तो समझना चाहिए कि उसने अच्छी आदतों का अभ्यास नहीं किया है। जिस मनुष्य का मस्तिष्क सही तरह से निर्णय का कार्य करता है उस मनुष्य के विचार भी सही होते हैं तथा उसका मस्तिष्क भी सही तरीके से कार्य करता है।
मनुष्य को अपनी शक्ति पहचाननी चाहिए तथा अपनी गुत्थी को स्वयं ही सुलझाना चाहिए तथा समस्याओं से खुद ही निपटने की कोशिश करनी चाहिए। सभी कार्यो को सोच-विचार कर कार्य करना चाहिए तथा कार्यों को सही समय पर पूरा करना चाहिए।
हम किसी भी कार्य को पूरा करने में दूसरों की बराबरी या नकल करने का निरर्थक प्रयत्न करते हैं। हमारे अन्दर ऐसी शक्ति तथा कुछ ऐसे गुणों का संग्रह अवश्य मिलेगा जो दूसरे व्यक्तियों में नहीं मिल सकता। संसार में प्रत्येक व्यक्ति में कुछ न कुछ विशेषता अवश्य होती है। आप अपनी उस विशेषता को पहचानिए तथा यह भूल जाइये कि दूसरे क्या कर रहे हैं तथा वही कीजिए जिसे आप भलीभांति कर सकते हैं। आपके अन्दर जो विशेषता है उसको प्रकाश में लाइये जिसकी संसार प्रतीक्षा कर रहा है। जो विशेषता आपके अन्दर होती है वही आपका धन होती है क्योंकि आप, आप ही है। आपकी पूर्ण समानता करने वाला कोई व्यक्ति संसार में नहीं है। उसी विशेषता के लिए आपको संसार से भारी पुरस्कार मिल सकता है।
जब कोई मनुष्य किसी कार्य में सफलता प्राप्त कर लेता है तो उसे अपनी शक्तियों को किसी दूसरी दिशा में मोड़ देना चाहिए। यदि उसका संघर्ष जारी नहीं रहेगा तो परिणाम स्वरूप स्थिरता का समय उपस्थित हो जाएगा और उसका पतन हो जायेगा।
रचनात्मक सोचने के कुछ तरीके :-
- सभी मनुष्य को किसी भी मंजिल पर पहुंचने के लिए रास्ता ढूंढना चाहिए, नहीं तो उस मंजिल पर पहुंचने के लिए रास्ता तैयार करना चाहिए। तभी उस मंजिल पर पहुंचा जा सकता है।
- किसी भी समस्या को लेकर अधिक सोच विचार तथा तनाव में नहीं आना चाहिए, बल्कि उसे गहराई तक सोचकर उस कार्य को पूरा करना चाहिए।
- अपने सामने कोई भी प्रतिदिन उपयोग करने वाली वस्तु को लेकर, उसके बारे में सोचना शुरू कीजिए कि वह वस्तु किस काम आ सकती है और फिर उस कार्य को करें।
- किसी भी कार्य को करने से पहले उसके अच्छे तथा भले के बारे में अवश्य सोच लेना चाहिए।
- किसी भी कार्य को करने के लिए लक्ष्य जरूर निर्धारित कीजिए और उस निर्धारित समय में उस कार्य को पूरा करने की कोशिश कीजिए।
- कार्य को करने के लिए सकारात्मक तथा रचनात्मक सोच का सहारा लीजिए और कार्य को पूरा कीजिए।
- संसार में बदलाव होना प्रकृति का नियम है जिसे कोई भी व्यक्ति बदल नहीं सकता है, इसलिए अपने हालात के अनुसार हमें अपने आपको पहले ही बदल लेना चाहिए।
- कुछ व्यक्तियों से मिलकर आपस में मिलकर कई विषयों पर विचार कीजिए।
- सभी मनुष्य अपने अपने भाग्य के स्वामी होते हैं तथा वे अपनी कल्पना के अनुसार ही उसे बना सकते हैं। अपनी कल्पना शक्ति का इस प्रकार उपयोग कीजिए कि आपको अपने कठिन तथा अपरिचित मार्ग में प्रकाश दिखाई पड़ने लगे।
- किसी भी कार्य को पूरा करने के लिए अपने मस्तिष्क को सदा सचेत रखना चाहिए तथा निरीक्षण करने की कोशिश करनी चाहिए तथा अपने कार्य करने के ढंग का परीक्षण भी करते रहना चाहिए तथा कार्य के बारे में सोचविचार करते रहना चाहिए।
- किसी भी कार्य को करने के लिए उसके सभी तथ्यों को जान लेना चाहिए और उस कार्य के मत के अनुसार ही उस कार्य को करना चाहिए।
- सकारात्मक मनोवृत्ति को बढ़ावा देना चाहिए।
- कार्य वही करना चाहिए जो दूसरों को अच्छा लगता है।
- जो व्यक्ति अपने कार्यों में सफल हो चुके हैं उनके बारे में जानिये और उनकी विशेषता को खोज निकालकर अपने अन्दर भी उस विशेषता को पाने की कोशिश करनी चाहिए और कार्य को पूरा करना चाहिए।