परिचय-
योगनिद्रा योग की वह अवस्था होती है जिसके रोजाना अभ्यास से शरीर और दिमाग का तनाव दूर होकर मन को सुकून मिलता है।
योगनिद्रा के अभ्यास की विधि-
1. सबसे पहले जमीन पर शवासन की मुद्रा में लेट जाएं और शरीर को बिल्कुल ढीला छोड़ दें ताकि उसके अंदर किसी प्रकार की हलचल न होने पाए।
2. फिर अपना ध्यान सांस लेने और सांस छोड़ने की क्रिया के ऊपर लगाएं। इससे सांस लंबी और गहरी होती जाएगी।
3. इसके बाद अपने ध्यान को पैर के अंगूठे पर लगाते हुए धीरे-धीरे दिल की तरफ आएं। इसी तरह से दूसरे पैर के अंगूठे पर ध्यान लगाते हुए दिल की तरफ आएं।
4. अब हाथ की उंगलियों पर ध्यान लगाते हुए दिल की तरफ आएं। फिर दूसरे हाथ की उंगलियों पर ध्यान लगाते हुए दिल की तरफ आएं।
5. ऐसे ही शरीर के दूसरे भागों पर भी एक-एक करके ध्यान लगाते हुए दिल की तरफ आएं।
6. इससे शरीर बिल्कुल ढीला होता जाता है और शरीर को आराम भी मिलता है।
अब काल्पनिक इच्छाओं के द्वारा मन को शरीर से बाहर लाया जाता है जैसे पहाड़, झरने, नदी, हरियाली, बाग, अलग-अलग तरह के पेड़, उगता हुआ सूरज, पक्षियों की आवाजें, अपने इष्ट देवता का मन में ध्यान करें। इससे मन को शांति और आराम मिलता है।
लाभ-
योगनिद्रा का रोजाना अभ्यास करने से साधक का स्वास्थ्य अच्छा रहता है और उसकी उम्र लंबी होती है। इसके लगातार अभ्यास करने से साधक जब तक चाहे अपनी सांस को रोककर रख सकता है और कई महीनों तक बिना हवा, पानी और भोजन के जमीन के नीचे भी जीवित रह सकता है। योगनिद्रा के द्वारा व्यक्ति को अनिद्रा, तनाव आदि रोगों से पूरी तरह छुटकारा मिल जाता है।
विशेष-
योगनिद्रा के अभ्यास के दौरान जब शरीर पूरी तरह से ढीला हो जाए तब शरीर में अन्त:चेतना की लहर को पैर से लेकर सिर की ओर बहता हुआ सा महसूस करना चाहिए तथा दुबारा करते समय उसे ऊपर से नीचे की ओर लौटाकर छोड़ देना चाहिए।
सावधानी-
- योगनिद्रा का अभ्यास करते समय अगर नाक के ऊपर के भाग से कड़वा सा रस निकलने लगे तो अभ्यास को उसी समय बंद कर देना चाहिए।
- योगनिद्रा का अभ्यास किसी बहुत ही अनुभवी योग गुरू की देखरेख मे ही करना चाहिए, नहीं तो इसका परिणाम हानिकारक भी साबित हो सकता हैं।