JK healthworld logo icon with JK letters and red border

indianayurved.com

Makes You Healthy

Free for everyone — complete solutions and detailed information for all health-related issues are available

जब व्यक्ति शराब के नशे में हो

परिचय-

         ज्यादातर व्यक्ति शुरुआत में शराब सिर्फ शौक के लिए या फिर यार-दोस्तों के ज्यादा जिद करने के कारण पीते हैं। लेकिन धीरे-धीरे करके शराब का नशा उन पर हावी होने लगता है और वे शराब के आदि हो जाते हैं। कुछ समय बाद शराब पीने वाला व्यक्ति अपने शरीर और दिमाग पर पूरी तरह नियंत्रण नहीं रख पाता। वह न ठीक से बोल  पाता है, न खड़ा रह पाता है और न ही कोई दूसरा काम ठीक प्रकार से कर पाता है। बहुत से व्यक्ति तो शराब के नशे में अपने आपसे बात करने लगते हैं या फिर दूसरे लोगों से लड़ने-झगड़ने लगते हैं।

         शराब का नशा कोई गंभीर अवस्था नहीं है लेकिन नशे में चूर होने के बाद व्यक्ति स्वयं के तथा दूसरों के लिए गंभीर स्थिति पैदा कर सकता है। शारीरिक और मानसिक क्रियाओं पर नियंत्रण न होने के कारण उसके साथ किसी भी तरह की दुर्घटना होने के अवसर बढ़ जाते हैं। इसके साथ ही वह दूसरे व्यक्तियों को भी शारीरिक चोट पहुंचा सकता है। इसीलिए शराब के नशे में चूर व्यक्ति का जल्दी-से-जल्दी नशा उतारना उसके तथा दूसरे व्यक्तियों के हित में बहुत जरूरी होता है।            

         शराब पीने की आदत हर देश और समाज के हर वर्ग में लगातार बढ़ती जा रही है। बहुत से लोग तो शराब को फैशन के तौर पर लेकर चलते हैं। उनके अनुसार शराब हाई-सोसाइटी में उठने-बैठने वाले लोगों की शान है। यहां तक की आज शराब को महिलाएं भी पुरुषों के साथ बैठकर पी रही हैं।

नशा पैदा करने वाला एल्कोहल- शराब चाहे कैसी भी हो देशी हो या विदेशी सबमें नशा पैदा करने वाला एथिल एल्कोहल होता है। इसे आमतौर पर एल्कोहल कहा जाता है। इसी एल्कोहल के कारण शराब पीने वाले व्यक्ति को नशा होता है।

         बहुत से लोगों को यह वहम रहता है कि एल्कोहल एक उत्तेजक की तरह कार्य करता है लेकिन असल में हमारे शरीर पर उसका असर अवसादक की तरह होता है। एल्कोहल हमारी शारीरिक क्रियाओं को धीमा कर देता है। मुख्य रूप से वह हमारे मस्तिष्क पर प्रभाव डालता है। इस मामले में उसकी तुलना धीमी गति से कार्य करने वाले संवेदनाहारी (एनेस्थेटिक) से की जा सकती है। एल्कोहल के प्रभाव स्वरूप हमारी प्रतिवर्त्त कार्यवाहियां (रिफलैक्स एक्शन) धीमी पड़ जाती हैं और मांसपेशियों का पारस्परिक तालमेल कम हो जाता है। इसके अलावा एल्कोहल से मानसिक संतुलन बिगड़ जाता है। इसीलिए शराब पीकर गाड़ी चलाना मना है क्योंकि शराब के नशे में गाड़ी चलाने से किसी भी बड़ी दुर्घटना के होने के पूरे चांस रहते हैं।                       

         शरीर में एल्कोहल की मात्रा बढ़ने से शरीर के कुछ महत्त्वपूर्ण अंगों की क्रियाएं धीमी पड़ जाती हैं। बहुत अधिक शराब पी लेने पर व्यक्ति का रंग पीला पड़ जाता है, ठंडा पसीना आने लगता है, वह उल्टी करने लगता है और बेहोश सा हो जाता है। जैसे-जैसे शरीर में एल्कोहल का चयापचयन होता जाता है, यह एल्कोहल के कारण पैदा होने वाली बेहोशी अपने-आप गायब हो जाती है। इसमें कुछ घंटों का समय लग जाता है। रोजाना शराब पीने से शरीर में एल्कोहल की मात्रा इतनी ज्यादा बढ जाती है कि शरीर के जरूरी हिस्से खराब होने लगते हैं और व्यक्ति की मृत्यु तक हो सकती है।

प्राथमिक उपचार-

  • अगर कोई व्यक्ति बहुत ज्यादा नशे में हों तो सबसे पहले उसे उल्टी कराएं, ताकि उसका पेट खाली हो जाए। उल्टी कराने के लिए नशे में ग्रस्त व्यक्ति को नमक का दो या तीन गिलास गुनगुना घोल पिलाएं (घोल बनाने के लिए एक गिलास पानी में चाय की एक चम्मच भर नमक मिलाएं)। फिर उसे एप्सम साल्ट का गाढ़ा घोल पिलाएं। यह घोल आधा गिलास पानी में दो चाय की चम्मच एप्सम साल्ट क्रिस्टल घोलकर बनाया जाता है।
  • नशे में डूबे व्यक्ति के शरीर को गरम रखें। उसे कंबल आदि उड़ाएं लेकिन गरम पानी की थैली का उस पर प्रयोग न करें।
  • वैसे एल्कोहल शरीर की ऊपरी सतह पर गरमी का एहसास पैदा कर देता है, पर उसके नशे में ग्रस्त व्यक्ति को बहुत जल्दी ठंड लग जाती है और उसे जल्दी ही निमोनिया हो सकता है।
  • किसी भी हालत में शराब के नशे में धुत व्यक्ति को कोई भी शामक (सेडेटिव) न दें।


Copyright All Right Reserved 2025, indianayurved