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इसका असर इसकी ली जाने वाली मात्रा पर निर्भर करता है। (संक्षारक)
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पीड़ित को उल्टी कराने की कोशिश न करें बल्कि उसे दूध या नींबू का रस, सिरका या अंडे की सफेदी दें।
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इसका असर ली जाने वाली मात्रा पर निर्भर करता है।
तेज अमोनियो के धुएं को सांस के साथ अंदर ले जाने पर गले और वायुनली में तेज क्षोभ हो जाता है। धुंधली अमोनिया की सांद्रता आमतौर से 8 प्रतिशत होती है जिससे मुंह, ग्रासनली और पेट में जलन हो सकती है तथा बाद में उल्टी भी हो सकती है।
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ऊपर दिया गया उपचार करें। कुछ हालातों में, जब बहुत अधिक मात्रा में अमोनिया ली गई हो तो जरूरत होने पर कृत्रिम सांस भी दे सकते हैं। अगर अमोनिया के धुएं से आंखों में जलन हो रही हो तो आंखों की पलकें खोलकर, कई बार पानी से धोएं। बाद में दर्द कम करने के लिए आंखों में तनु बोरिक एसिड घोल की कुछ बूंदें डालें।
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तीन साल तक के बच्चों के लिए आयरन की एकसाथ 6 गोली खाना बहुत खतरनाक हो सकता है और 14 गोलियां जानलेवा हो सकती हैं। कुछ बच्चों में इसका प्रभाव देर से होता है। इसे खाने पर उल्टी, पेट में दर्द, डायरिया, कमजोरी, नब्ज का तेज चलना, शरीर का नीला हो जाना आदि लक्षण पैदा हो सकते हैं।
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पीड़ित बच्चे को तुरंत उल्टी कराएं। उसे दूध और मिल्कऑफ मैग्नीशिया दें। इसके बाद उसे तुरंत ही डॉक्टर के पास ले जाएं।
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आर्सेनिक (यह चूहे मारक दवाईयों, खरपतवारनाशकों आदि में काफी मात्रा में मौजूद होता है।)
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यह जहर खतरनाक होता है। इसे खाने के 15 मिनट के अंदर ही पीड़ित व्यक्ति को उल्टी होने लगती हैं, डायरिया हो जाता है, गले में कसाव और पेट में तेज दर्द होता है। पेशियां ऐंठ सकती हैं, पेशाब रुक सकता है और बेहोशी आ सकती है।
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पीड़ित को 3-4 गिलास दूध या खाने के सोड़े का तनु घोल पिलाएं और बाद में उल्टी कराएं। उसे काफी मात्रा में अंडे की सफेदी या जैतून का तेल दें। उल्टी करने के बाद पानी में चारकोल टेबलेट डालकर पीने को दें।
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यह हल्का जहरीला जहर होता है और इसका सेवन करने से पेट में जलन हो सकती है।
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पीड़ित को तुरंत दूध पिलाएं।
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यह काफी खतरनाक जहर होता है। इसका सेवन करने से नींद आने जैसी अवस्था प्रकट हो सकती है जो बाद में कोमा में बदल सकती है। हृदय के कार्यो में अड़चन पैदा हो सकती है। बच्चों के लिए ये प्राणघातक हो सकता है।
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पीड़ित को तुरंत उल्टी कराएं और फिर डॉक्टर के पास ले जाएं।
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एंटीसेप्टिक (आमतौर से डेटॉल, मरक्यूरोक्रोम आदि)
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अगर पीड़ित ने इस जहर को ज्यादा मात्रा में पी लिया हो तो उसे अपने-आप उल्टी हो जाएगी। लेकिन अगर उसे उल्टी नहीं होती तो उसे उल्टी कराएं और फिर दूध पिलाएं।
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इसका जहरीलापन व्यक्ति में उसकी आयु के अनुसार होता है- व्यस्क के लिए 15 ग्राम या अधिक,
1 साल के बच्चे के लिए 3 ग्राम या अधिक,
1 साल से छोटे बच्चे के लिए आधा ग्राम।
इसके जहरीले प्रभाव धीरे-धीरे प्रकट हो सकते हैं। पीड़ित की सांस तेज हो जाती है, उल्टी हो जाती हैं, बहुत तेज प्यास लगती है, बहुत पसीना आता है, बुखार हो जाता है और वह मानसिक रूप से भ्रमित हो जाता है।
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पीड़ित को उल्टी कराएं और काफी मात्रा में दूध या पानी दें। पीड़ित को उल्टी के बाद खाने के सोडे का घोल (एक जग पानी में चाय की एक चम्मच सोड़ा) पीने को दें। कड़क चाय या कॉफी भी पिला सकते हैं।
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यह बहुत कम जहरीला जहर होता है। अगर यह आंखों में गिर जाए तो आंखें लाल हो जाती हैं और उनमें दर्द होने लगता है।
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पीड़ित की आंखों को अच्छी तरह पानी से धुला दें, जिससे उनमें कोई कण न रहें।
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यह बहुत ज्यादा जहरीला होता है।
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पीड़ित को उल्टी कराने की कोशिश न करें बल्कि उसे दूध या नींबू का रस, सिरका या अंडे की सफेदी दें।
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कार्बन ट्रेटाक्लोराइड (क्लीनिंग तरल, पेंट रिमूवर, आग बुझानेवाले तरल आदि में मौजूद)
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इसका जहरीला प्रभाव पीने और त्वचा द्वारा अवशोषित कर लिये जाने के फलस्वरूप होता है।
पीड़ित व्यक्ति को उल्टी, सिरदर्द, डायरिया, दृष्टिभ्रम तथा तंत्रिका तंत्र में गड़बड़ी होने जैसे लक्षण प्रकट होने लगते है।
इसे सूंघने के बाद एकदम जहरीले प्रभाव प्रकट नहीं होते, लेकिन बाद में गुर्दे और जिगर को हानि की आशंका रहती है
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अगर पीड़ित ने कार्बन ट्रेटाक्लोराइड की भाप सूंघी हो तो उसे ताजा हवा में ले जाएं। जरूरत पड़ने पर उसे कृत्रिम सांस दें।
अगर उसने कार्बन ट्रेटाक्लोराइड पी ली हो तो काफी पानी पिलाकर उसे डॉक्टर की निगरानी में रखें, जिससे उसके गुर्दों और जिगर की हानि को रोका जा सके।
उसे बार-बार उल्टी कराएं।
उसके प्रभावित अंगों को पानी से धो दें तथा उसे किसी भी प्रकार की चिकनाई और एल्कोहल न दें।
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कार पॉलिश (ये आमतौर से पानी या मिट्टी के तेल में घुली होती हैं।)
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पीड़ित को तुरंत दूध पिलाएं।
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कार्बन मोनोऑक्साइड गैस (बंद कमरे में जलती हुई कोयले की अंगीठी से उत्पन्न; मोटर वाहनों के एग्जॉस्ट में मौजूद)
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यह काफी जहरीली गैस होती है।
इसको सूंघने से चक्कर आना, सिरदर्द और कॉमा की स्थिति पैदा हो सकती है, तंत्रिका तंत्र गड़बड़ा सकता है। अधिक देर तक कार्बन मोनोऑक्साइड के वातावरण में रहने पर मृत्यु भी हो सकती है।
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पीड़ित व्यक्ति को तुरंत ही उस जगह से हटाकर खुली जगह पर ले जाए।
पीड़ित को उठाकर लाएं क्योंकि ऑक्सीजन की कमी के कारण वह बहुत थकान महसूस कर सकता है।
उसे कृत्रिम सांस दें। संभव हो तो शुद्ध ऑक्सीजन दें। इसके बाद तुरंत ही उसे बड़े अस्पताल में ले जाएं। स्वस्थ हो जाने के बाद भी पीड़ित को कई घंटों तक आराम कराएं।
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वे ही प्रभाव जो एल्कली द्वारा उत्पन्न होते हैं (कास्टिक सोडा प्रबल एल्कली ही है)।
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पीड़ित को उल्टी कराने की कोशिश न करें बल्कि उसे दूध या नींबू का रस, सिरका या अंडे की सफेदी दें।
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कीड़े मारने और खरपतवार नष्ट करने वाले रसायन
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यह बहुत ज्यादा जहरीले होते हैं।
पीड़ित को चक्कर आना, नजर धुंधली पड़ जाना, छाती में रुकावट, नब्ज का धीमा हो जाना, आंखों की पुतलियां सिकुड़ जाना, होंठ नीले हो जाना, मांसपेशियों का संकुचन जैसे लक्षण प्रकट होते हैं।
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डॉक्टर को तुरंत फोन करें और उसके आने तक पीड़ित को कृत्रिम सांस देते रहें।
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कीड़े भगाने वाले रसायन (इंसैक्ट रिपेलैंट)
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यह रसायन बहुत जहरीले होते हैं। इन्हे ज्यादा मात्रा में लेने से उल्टी हो सकती है।
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पीड़ित को तुरंत उल्टी कराएं और फिर दूध पिलाएं।
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पीड़ित को तुरंत दूध पिलाएं।
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यह बहुत कम जहरीले होते हैं।
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पीड़ित को तुरंत दूध पिलाएं।
उसे उल्टी कराना आमतौर पर जरूरी नहीं होता, क्योंकि इससे झाग पैदा हो सकते हैं।
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गंधनाशक (डिओडरेंटः ब्लाक, द्रव और ऐरोसोल के रूप में।)
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ब्लाक गंधनाशक- पीड़ित को उल्टी कराएं या फलों का रस पीने को दें।
उसे दूध नहीं देना चाहिए क्योंकि दूध से अवशोषण अधिक होता है।
पीड़ित को उल्टी न कराएं। ऐसा करने पर जहरीला पदार्थ सांस के साथ फेफड़ों में जा सकता है और पीड़ित को निमोनिया हो सकता है। पानी या कच्चे नारियल का पानी अधिक मात्रा में पिलाएं। पैराफीन लिक्विड उपलब्ध हो तो दे दें। यह पानी से अधिक लाभकारी होता है।
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यह बहुत जहरीली होती है।
इसको पीने के लगभग एक घंटे बाद उल्टियां होने लगती हैं और दस्त लग जाते हैं।
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पीड़ित को तुरंत उल्टी कराएं।
काफी मात्रा में उसे दूध, अंडे की सफेदी या जैतून का तेल दे। उल्टी होने के बाद उसे पानी में चारकोल टेबलेट का चूर्ण दें।
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छाती पर मलने वाले मलहम (चैस्ट रब)
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बहुत हल्का जहरीला होता है।
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पीड़ित को तुरंत दूध पिलाएं।
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जहरीली मछली खाने पर उल्टी, डायरिया, पेटदर्द, कमजोरी तथा सुन्नता जैसे लक्षण प्रकट हो जाते हैं, जो मुंह से शुरू होकर हाथ-पैरों में फैल जाते हैं।
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इस स्थिति में पीड़ित व्यक्ति को तुरंत उलटी कराएं।
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जहरीली मशरूम खा लेने के कई घंटे बाद उसके हानिकारक लक्षण प्रकट होते हैं जैसे- पेटदर्द, उल्टी और डायरिया।
कुछ परिस्थितियों में पीड़ित शॉक में आ जाता है, या उसकी मांसपेशियों में ऐंठन पैदा हो जाती है या फिर वह बेहोश हो सकता है। इसके कारण रोगी की मृत्यु भी हो सकती है।
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पीड़ित को बिस्तर पर लिटाकर रखें। अगर उसे उल्टी नहीं हो रही हो तो जबरदस्ती उल्टी कराएं। रोगी के शरीर को गरम रखने की कोशिश करते हैं जिससे वह शॉक की स्थिति न आने पाए। इसके बाद उसे डॉक्टर के पास ले जाएं।
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बाटुलिज्म (सब्जियों में मौजूद बैक्टीरिया, क्लोस्ट्रीडियम बाटुलिज्म, द्वारा उत्पन्न। यह बैक्टीरिया फलों, मांस और भोजन में भी मौजूद हो सकता है; बासी या ठीक प्रकार से डिब्बाबंद न किए गए फलों-सब्जियों में भी मौजूद रहता है। सब्जियों को 20 मिनट तक उबालने से बैक्टीरिया नष्ट हो जाता है
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बहुत ज्यादा विषैला, उलटी, डायरिया और पेटदर्द।
ये लक्षण 18 घंटे या उसके बाद भी प्रकट हो सकते हैं। बाद में दृष्टि-भ्रम (एक चीज दो दिखाई देने लगती है); पेशीय कमजोरी, गले और स्वरयंत्र की मांसपेशियों में ऐंठन, भोजन सटकने या साँस लेने में कठिनाई होने लगती है।
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पीड़ित को तुरंत उल्टी कराएं। फिर तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं।
जरूरत के अनुसार पीड़ित व्यक्ति को कृत्रिम सांस दें।
यदि बाकी लोगों ने भी वही संदूषित भोजन किया हो, तो उन्हें भी उल्टी करा दें।
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सालमोनेला संक्रमण (सालमोनेलोसिस)- संदूषित भोजन, विशेष रूप से संदूषित मांस और मांस उत्पाद तथा बतख के अंडों में मौजूद सालमोनेला बैक्टीरिया द्वारा उत्पन्न. यह रोग उस जानवर में भी मौजूद हो सकता है जिसके मांस का भक्षण किया जा रहा है।
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पेट में ऐंठन, डायरिया, कभी-कभी ठंड के साथ हल्का बुखार। ऐसा लगभग दो दिन तक होता है।
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पीड़ित को सेब, ब्लैकबेरी आदि का रस दें।
इससे डायरिया बंद हो जाता है।
अगर पीडित की हालत में सुधार नहीं हो तो डॉक्टर से सलाह लें।
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ड्राइक्लीनिंग में प्रयुक्त होने वाले तरल
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यह जहर मामूली जहरीला होता है। कुछ में कार्बन ट्रेटाक्लोराइड होता है। कुछ ड्राइक्लीनिंग तरल पदार्थों में व्हाइट स्पिरिट होती है।
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अगर पीड़ित ने कार्बन ट्रेटाक्लोराइड की भाप सूंघी हो तो उसे ताजा हवा में ले जाएं। जरूरत पड़ने पर उसे कृत्रिम सांस दें।
अगर उसने कार्बन ट्रेटाक्लोराइड पी ली हो तो काफी पानी पिलाकर उसे डॉक्टर की निगरानी में रखें, जिससे उसके गुर्दों और जिगर की हानि को रोका जा सके।
उसे बार-बार उल्टी कराएं।
उसके प्रभावित अंगों को पानी से धो दें तथा उसे किसी भी प्रकार की चिकनाई और एल्कोहल न दें।
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यह आमतौर से जहरीले नहीं होते लेकिन यह जठरीय क्षोभ और डायरिया पैदा कर सकते हैं।
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पीड़ित को दूध पिलाएं या अंडे की सफेदी दें। उल्टी कराने की कोशिश न करें।
ऐसा करने से झाग पैदा हो सकते हैं और सांस के साथ शरीर के अंदर डिटरजेंट जाने की आशंका हो सकती है।
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डी.डी.टी. और दूसरे क्लोरीनेटेड कार्बनिक कीटनाशक (इनमें बगीचों और खेतों में इस्तेमाल किए जाने वाले रसायन जैसे एल्ड्रिन, बेंजीन हैक्साक्लोराइड, डी.डी,टी., डी.डी.ई., डी.एफ.डी.टी., डिल्ड्रिन, हेप्टाक्लोर, लिंडेन आदि भी शामिल हैं।)
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इनको सूंघने या त्वचा के संपर्क में आने से अंगों में दर्द, तंत्रिका क्षोभ, सोचने में मंदता आना, मांसपेशियों का ऐंठ जाना, बेहोश हो जाना जैसी स्थिति प्रकट होती है।
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यदि पीड़ित व्यक्ति ने इन्हें खा लिया गया हो, तो उसे तीन-चार गिलास गुनगुना पानी पिलाएं और गले में अंगुली डालकर उल्टी कराएं। ऐसा कई बार करें, इससे उसका पेट बिल्कुल खाली हो जाए।
पीड़ित को चिकनाईयुक्त कोई चीज खाने को न दें।
अगर सूंघने से सांस लेने में रूकावट पैदा हो गई हो तो उसे कृत्रिम सांस दें और डॉक्टर के पास ले जाएँ।
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ड्रेन क्लीनर (नाली आदि साफ करने के रसायन)
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यह बहुत ज्यादा जहरीले होते हैं। ये मुंह और अंदरूनी अंगों को जला सकते हैं। पीड़ित व्यक्ति की नब्ज और सांस तेज चलने लगती है और भोजन-नली संकरी हो सकती है।
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अगर पीड़ित व्यक्ति पी सके तो उसे हल्का सिरका, नींबू का रस या संतरे का रस पीने को दें।
जैतून का तेल देने से दर्द में राहत मिलती है।
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यह जहरीला होता है। तारपीन का तेल पेट्रोलियम उत्पाद है। यह मिट्टी के तेल की अपेक्षा कुछ ज्यादा जहरीला होता है।
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पीड़ित को उल्टी न कराएं। ऐसा करने पर जहरीला पदार्थ सांस के साथ फेफड़ों में जा सकता है और पीड़ित को निमोनिया हो सकता है। पानी या कच्चे नारियल का पानी अधिक मात्रा में पिलाएं। पैराफीन लिक्विड उपलब्ध हो तो दे दें। यह पानी से अधिक लाभकारी होता है।
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तेजाब (प्रबल) (प्रबल तेजाबों में हाइड्रोक्लोरिक एसिड, सलफ्यूरिक एसिड और नाइट्रिक एसिड जैसे तेजाब शामिल हैं।)
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इसका असर इसकी ली जाने वाली मात्रा पर निर्भर करता है। (संक्षारक)
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पीड़ित को उल्टी कराने की कोशिश न करें। इससे ग्रासनली के ऊतकों को हानि पहुंच सकती है जो तेजाब पीने के कारण पहले ही क्षतिग्रस्त हो चुके हैं।
अगर पीड़ित पी सके तो बड़ी मात्रा में पानी, दूध, मिल्क ऑफ मैग्नीशिया या एंटएसिड मिक्सचर पीने को दें। बाइकार्बोनेट का घोल न दें।
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नींद की गोलियां (स्लीपिंग टेबलेट, बारबीचुरेट। बारबीचुरेटों में अनेक ओषधियां शामिल होती हैं, जिनका उपयोग शामक के रूप में किया जाता है।)
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नींद लाने के लिए पर्याप्त मात्रा से दस गुनी मात्रा ज्यादा लेना भयंकर जहरीली होती है।
बहुत अधिक मात्रा में लेने से जड़िमा या कोमा की स्थिति पैदा हो सकती है।
सांस धीमी हो जाती है, रक्तदाब गिर जाता है और शॉक की स्थिति आ जाती है। इन स्थितियों से पहले कुछ समय के लिए नशे की-सी स्थिति छा जाती है।
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पीड़ित होश में हो तो उसे उल्टी कराएं। उल्टी कराने के लिए खाने के सोडे का तीन-चार गिलास घोल पिलाएं।
जहर को पेट में से अधिकाधिक मात्रा में निकाल दें। मैग्नीशियम सल्फेट का घोल (एक जग पानी में चाय की दो चम्मच) दें।
उसे गर्म कॉफी पिलाएं।
पीड़ित को सोने न दें।
अगर पीड़ित बेहोश हो जाए, तो उल्टी कराने की कोशिश न करें। जरूरत पड़ने पर पीड़ित को कृत्रिम सांस दें।
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निकोटिन (अनेक कीटनाशक मिश्रणों में मौजूद)
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यह बहुत ज्यादा जहरीला होता है। यह शरीर में बहुत तेजी से अवशोषित होता है। तंत्रिका संवेगों के पारेषण में बाधा पहुंचाता है। इसकी थोड़ी-सी मात्रा भी घातक हो सकती है।
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पीड़ित को तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं।
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पीड़ित को तुरंत दूध पिलाएं।
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यह हल्का जहरीला होता है। इनमें ऐसीटोन और ब्यूटिल ऐसीटेट होते हैं। ये मुंह और गले के अस्तर में क्षोभ और बेचैनी पैदा कर सकते हैं।
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अगर पीड़ित ने इसे 20 मिलीलीटर से ज्यादा मात्रा में लिया हो तो उसे तुरंत उल्टी कराएं और बाद में दूध पिलाएं।
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यह मामूली जहरीला होता है।
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अगर अधिक मात्रा में लिया हो तो पीड़ित को तुरंत उल्टी कराएं। फिर दूध पिलाएं।
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यह बहुत ज्यादा जहरीली होती है। एक गोली निगल जाने पर भी बच्चों को उल्टी हो सकती है, डायरिया हो सकता है। इसके बाद चिड़चिड़ापन और बेचैनी हो सकती है तथा पीड़ित व्यक्ति संभ्रमित हो सकता है। उसे मूत्र त्यागने में जलन महसूस हो सकती है, मानसिक अवसाद (डिप्रैशन) हो सकता है और मूर्च्छा आ सकती है। पीड़ित के गुर्दो और जिगर को भी हानि पहुंच सकती है।
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पीड़ित को बार-बार उल्टी कराएं, ताकि उसका पेट खाली हो जाए।
उसे काफी मात्रा में तरल पदार्थ पीने को दें, जिससे उसके गुर्दो में जहर की मात्रा कम हो जाए।
काफी मात्रा में दूध या खाने के सोडे का घोल पिलाने से पीड़ित को उल्टियां आएगी।
पीड़ित को कोई चिकनाई या एल्कोहल न दें।
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पारा और उसके यौगिक (टीथिंग पाउडर आदि में मौजूद; मुँह में थर्मामीटर टूट जाने से शरीर के अंदर पारा जा सकता है।)
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पीड़ित को अंडे की सफेद पानी में मिलाकर दें।
बाद में दूध देकर उसे उल्टी कराएं और डॉक्टर के पास ले जाएं।
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प्रुसिक एसिड (फोटोग्राफी और इलेक्ट्रोप्लेटिंग में प्रयुक्त; कडुवे बादामों के तेल और बाँस के कच्चे अंकुरों में मौजूद)
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पीड़ित को तुरंत उल्टी कराएं और कृत्रिम सांस दें। फिर जल्दी से जल्दी डॉक्टर को बुलवाएं।
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चित्रकारों के पेंट आमतौर पर बहुत ज्यादा जहरीले होते हैं। दीवारों, फर्नीचर के पेंट भी जहरीले होते हैं।
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पीड़ित को तुरंत उल्टी कराएं। फिर उसे दूध पिलाएं।
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पीड़ित को तुरंत अस्पताल ले जाएँ।
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यह ज्यादा मात्रा में लेने पर बहुत अधिक जहरीली साबित हो सकती है।
वयस्कों के लिए इसकी 15 ग्राम की मात्रा जहरीली होती है। बच्चों के लिए उनके प्रति एक किलोग्राम वजन के लिए 210 मिलीग्राम की मात्रा जहरीली हो सकती है। (ज्यादातर गोलियों में अधिकतम मात्रा 0.5 ग्राम. होती है।)
इसको बहुत अधिक मात्रा में खा लेने पर उल्टी होना चालू हो जाती हैं, बहुत अधिक पसीना आता है और रक्तदाब कम हो जाता है।
कुछ दिन बाद पीड़ित के जिगर में परेशानी हो सकती है।
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पीड़ित को तुरंत अस्पताल ले जाएं। आपातकालीन दवा के रूप में उसे पिसी हुई चारकोल टेबलेट दी जा सकती है।
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ज्यादातर में व्हाइट स्पिरिट होती है।
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पीड़ित को उल्टी न कराएं। ऐसा करने पर जहरीला पदार्थ सांस के साथ फेफड़ों में जा सकता है और पीड़ित को निमोनिया हो सकता है। पानी या कच्चे नारियल का पानी अधिक मात्रा में पिलाएं। पैराफीन लिक्विड उपलब्ध हो तो दे दें। यह पानी से अधिक लाभकारी होता है।
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अधिकांश पॉलिश जलीय इमल्शन होती हैं। कुछ में मिट्टी का तेल होता है।
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पीड़ित को दूध पिलाएं लेकिन उल्टी न कराएं।
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फॉलीडॉल (गुबरैलों और कॉकरोचों को मारने के लिए प्रयुक्त)
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पीड़ित को उल्टी कराएं। पानी या नारयल का पानी पीने को दें। जरूरत होने पर कृत्रिम सांस दें। डॉक्टर के पास ले जाएँ।
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फॉस्फोरस (चूहे मारने वाले रसायनों में मौजूद)
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जहरीला। मुंह, भोजन-नली और पेट में जलन, डायरिया और उल्टी। उल्टी, मल और मूत्र में लहसुन जैसी गंध, फॉस्फोरस के कणों के कारण चमक, गुर्दों और जिगर की हानि।
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फॉस्फोरस विषाक्तता का सबसे अच्छा उपचार है नीला थोथा (कॉपर सल्फेट)। पीड़ित को शीघ्र नीले थोथे का बहुत हल्का घोल (500 मिलीलीटर पानी में 1/8 चाय की चम्मच) पिलाएं। बाद में खाने के सोडे का घोल (एक लीटर पानी में चार चाय की चम्मच सोडा) पिलाएँ। फिर उल्टी कराएं। ज्यादा मात्रा में पानी या कच्चे नारियल का पानी पिलाएं।
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बहुत अधिक जहरीले। मुख्य लक्षण- ज्यादा सुस्ती आना।
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पीड़ित को उल्टी कराएं और डॉक्टर के पास ले जाएं।
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फिनोल (इनमें लायसोल, क्रिओसोट और क्रिसाइलिक एसिड शामिल हैं।)
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बहुत अधिक जहरीले। ये त्वचा तथा मुंह और गले के अस्तर के संक्षारक है।
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पीड़ित को तुरंत उल्टी कराएं। दूध, अंडे की सफेदी और जैतून का तेल दें। त्वचा को पानी से अच्छी तरह धोकर जैतून का तेल मलें। पीड़ित को डॉक्टर के पास ले जाएं।
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फोल्कोडीन (खाँसी की दवाइयों का एक आम घटक)
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मामूली जहरीली। बच्चे के लिए लगभग 200 मिलीलीटर की मात्रा जहरीली रहती है। वयस्कों के लिए इससे कहीं ज्यादा की मात्रा। बेचैनी, घबराहट। पीड़ित ठीक प्रकार से चल नहीं पाता।
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बाल हटाने वाले रसायन (डिपीलेटरीः इनमें आमतौर से अत्यधिक विषैला पदार्थ थैलियम ऐसीटेट अथवा मामूली विषैले पदार्थ बेरियम सल्फाइड और सोडियम सल्फाइड मौजूद होते हैं। आमतौर से इन्हें बच्चे खा लेते हैं।)
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खा लेने के कई घंटे बाद जहर के प्रभाव प्रकट होते हैं। पाचन अंग प्रभावित, पेट में दर्द, उल्टी और डायरिया जिसमें रक्त भी आ सकता है। तंत्रिका तंत्र को हानि, पलकों का भारी हो जाना, चेहरे की मांसपेशियों में ऐंठन। गुर्दों और जिगर को भी हानि पहुंच सकती है।
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पीड़ित का पेट खाली करना जरूरी है। उसे उल्टी कराएं और बाद में दूध पिलाएं। उसके शरीर को गरम और अधलेटी अवस्था में रखें। उसके पैर शरीर से ऊंचे रखें। इससे शॉक का उपचार हो जाएगा। गुर्दो को होने वाली हानि से बचाने के लिए पीड़ित को काफी सारा पानी पिलाएं। जरूरी होने पर उसे कृत्रिम सांस दें। विरेचक के रूप में एप्सम साल्ट उपयुक्त रहता है।
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मामूली जहरीले (15 मिलीलीटर से ज्यादा की मात्रा ले लेने पर)
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पीड़ित को अपने-आप उल्टी हो जाती है।
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बैटरी एसिड (इसमें आमतौर से 30 प्रतिशत गंधक का तेजाब होता है।)
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पीड़ित को उल्टी कराने की कोशिश न करें। इससे ग्रासनली के ऊतकों को हानि पहुंच सकती है जो तेजाब पीने के कारण पहले ही क्षतिग्रस्त हो चुके हैं।
अगर पीड़ित पी सके तो बड़ी मात्रा में पानी, दूध, मिल्क ऑफ मैग्नीशिया या एंटएसिड मिक्सचर पीने को दें। बाइकार्बोनेट का घोल न दें।
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ब्लीच रसायन (अधिकांश रसायनों में हाइपोक्लोराइट होते हैं।)
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मामूली जहरीले। पेट में तेज जलन हो सकती है।
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पीड़ित को अपने-आप उल्टी हो जाती है। उसे काफी मात्रा में दूध पिलाएं।
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आमतौर से जितनी मात्रा में इनके खाए जाने की संभावना होती है, वह विषैली नहीं होती।
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मिथिल अल्कोहल (मेथिलेटेड स्पिरिट बनाने के लिए यह अल्कोहल में जानबूझकर मिलाई जाती है, जिससे अल्कोहल विषैली हो जाए और लोग उसे पीएँ नहीं। पेंट, थिनर और पेंट-रिमूवर में आमतौर से मौजूद। इसे ‘वुड अल्कोहल’ भी कहा जाता है।)
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ज्यादा जहरीली। पानी से नशा होने के साथ-साथ सिरदर्द, पेट में दर्द और उल्टियां लग सकती है। सबसे भयानक प्रकाशीय तंत्रिका पर, फलस्वरूप पीड़ित अंधा भी हो सकता है।
‘जहरीली शराब’ में आमतौर से मिथिल अल्कोहल की मिलावट होती है। इसीलिए उसे पीने से लोग अंधे हो जाते हैं और उनकी मृत्यु तक हो जाती है।
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पीड़ित का पेट खाली कराएं। उसे खाने के सोडे का हल्का घोल (एक लीटर पानी में एक चाय की चम्मच) पिलाएं। फिर पीड़ित के गले में अंगुली डालकर कई बार उल्टी कराएं।
उसकी आंखों को रोशनी से बचाएं। अगर पीड़ित की सांस ठीक प्रकार से नहीं चल रही हो तो उसे कृत्रिम सांस दें।
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एस्प्रीन की ही तरह कुछ ज्यादा जहरीला।
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पीड़ित को उल्टी कराएं और काफी मात्रा में दूध या पानी दें। पीड़ित को उल्टी के बाद खाने के सोडे का घोल (एक जग पानी में चाय की एक चम्मच सोड़ा) पीने को दें। कड़क चाय या कॉफी भी पिला सकते हैं।
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मामूली जहरीले। ज्यादातर इनमें व्हाइट स्पिरिट और मेथिलेटेड स्पिरिट होती है। सांस के साथ फेफड़ों में पहुंच जाने और निमोनिया हो जाने की आशंका रहती है।
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पीड़ित का पेट खाली कराएं। उसे खाने के सोडे का हल्का घोल (एक लीटर पानी में एक चाय की चम्मच) पिलाएं। फिर पीड़ित के गले में अंगुली डालकर कई बार उल्टी कराएं।
उसकी आंखों को रोशनी से बचाएं। अगर पीड़ित की सांस ठीक प्रकार से नहीं चल रही हो तो उसे कृत्रिम सांस दें।
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मिट्टी का तेल, डीजल, बेंजीन, पेट्रोल नेप्था इत्यादि।
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जहरीले। बाह्य लक्षण मस्तिष्क और फेफड़े पर जहर के असर पर निर्भर। पेट में जलन पैदा हो सकती है उल्टी हो सकती है। तंत्रिका तंत्र भी गड़बड़ा सकता है।
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पीड़ित को उल्टी न कराएं। ऐसा करने पर जहरीला पदार्थ सांस के साथ फेफड़ों में जा सकता है और पीड़ित को निमोनिया हो सकता है। पानी या कच्चे नारियल का पानी अधिक मात्रा में पिलाएं। पैराफीन लिक्विड उपलब्ध हो तो दे दें। यह पानी से अधिक लाभकारी होता है।
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मूत्रल दवाईयां (ऐसी दवाईयां जिनको खाने/पीने से मूत्र अधिक आता है।)
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पीड़ित को उल्टी कराएं और द्रव, दूध आदि तरल पदार्थ पीने के लिए दें।
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आमतौर पर ये तरल अंतड़ियों द्वारा अवशोषित नहीं हो पाते और ज्यादा जहरीले नहीं होते।
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ज्यादातर शैंपू जहरीले नहीं होते। सिर्फ वे शैंपू ही जहरीले होते हैं जिनमें सोलेनियम सल्फाइड अथवा कैडामियाम सल्फाइड मौजूद होता है।
कुछ शैंपुओं में हेक्साक्लोरोफेन मौजूद होता है। ये अधिक मात्रा में पी लेने पर ही जहरीले होते हैं।
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संक्रमणहारी (डिसइंफेक्टेंट, फिनायल)
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बहुत ही ज्यादा जहरीला। इसमें क्रिसाइलिक एसिड होता है जो संक्षारक है। यह त्वचा, मुंह और गले में क्षरण पैदा कर सकता है.
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पीड़ित को तुरंत उलटी कराएं और दूध पिलाएं। उसे अंडे की सफेदी और जैतून का तेल दें। त्वचा को पानी से अच्छी तरह धो दें और उस पर जैतून का तेल मलें। पीड़ित को शीघ्र ही डॉक्टर के पास ले जाएं।
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मामूली जहरीले। उल्टी और पेट की जलन से डायरिया।
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सायनाइड (सिल्वर पॉलिश, चूहे मारने वाली दवाइयां और बगीचों में इस्तेमाल किए जाने वाले रसायनों में मौजूद)
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अत्यधिक घातक और बहुत जल्दी असर करने वाला जहर, वास्तविक सायनाइड की विषाक्तता से बहुत कम व्यक्ति जीवित बच पाते हैं। सायनाइडयुक्त रसायनों के सूंघने, खाने या उनके घाव के संपर्क में आने पर तत्काल प्रभाव।
बहुत कम मात्रा में लेने पर सांस लेने में दिक्कत, मानसिक भ्रम, उल्टी और डायरिया, मांसपेशियों का अत्यधिक संकुचन।
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पीड़ित के मुंह में अंगुली डालकर उसे तुरंत उल्टी कराएं। अगर एमाइल नाइट्रेट एम्प्यूल उपलब्ध हों (कुछ लोग दिल के दर्द से तुरंत राहत पाने के लिए इन्हें अपने आप रखते हैं) तब एक एम्प्यूल को तोड़कर रूमाल में डालकर 15 से 30 सेकंड तक पीड़ित को सुंघाए। दो मिनट बाद फिर ऐसा करें। ऐसा कई बार करें और तत्काल डॉक्टर को बुलाएं।
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सीसा (सीसे के यौगिकों से संदूषित वस्तुएँ खाने, इन यौगिकों की वाष्प को साँस के साथ शरीर के भीतर ले जाने अथवा त्वचा द्वारा सीसे के यौगिकों के अवशोषण से उत्पन्न होने वाली विषाक्तता। आमतौर पर पेंट, स्टोरेज बैटरी और गैसोलिन उद्योग के कर्मचारी अधिक प्रभावित)
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बहुत ज्यादा जहरीला। लक्षण सीसे की मात्रा और उसके अंतर्ग्रहण करने की दर पर निर्भर। मुंह का स्वाद धात्विक हो जाना, गले का सूखना, प्यास लगना, पेट में दर्द, उल्टी, कब्ज, सिरदर्द, कुछ मांसपेशियों का संकुचन, खून की कमी।
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तेज जहर की हालत में सोडियम सल्फेट या एप्सम साल्ट का एक प्रतिशत घोल दें। अगर पीड़ित उल्टी कर रहा हो तो भी उसे उपर्युक्त घोल के दो से चार गिलास तक पिला दें। फिर उसके गले में अंगुली डालकर उल्टी कराएं। उसके शरीर को गरम रखें और तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं।
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पीड़ित को तुरंत उल्टी कराएं।
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मामूली जहरीली। डाई जितनी तेज होगी, उतनी ही ज्यादा जहरीली होगी।
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10 मिलीलीटर से अधिक पी लेने पर पीड़ित को तुरंत उल्टी कराएं और बाद में दूध पिलाएं।
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द्रव हेयर स्प्रे बहुत जहरीले होते हैं। इनमें काफी मात्रा में मिथिलेटेड स्पिरिट मौजूद रहती है।
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पीड़ित का पेट खाली कराएं। उसे खाने के सोडे का हल्का घोल (एक लीटर पानी में एक चाय की चम्मच) पिलाएं। फिर पीड़ित के गले में अंगुली डालकर कई बार उल्टी कराएं।
उसकी आंखों को रोशनी से बचाएं। अगर पीड़ित की सांस ठीक प्रकार से नहीं चल रही हो तो उसे कृत्रिम सांस दें।
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