परिचय-
आज के आधुनिक युग में मनुष्य सब चीजों से आगे निकल चुका है। उसने ऐसे काम कर दिखाए हैं जिन्हें किसी समय में सपने में भी नहीं सोचा जा सकता था। यहां तक की मनुष्य चांद पर भी पहुंच गया है। इसके बावजूद वह आज भी सेक्स के मामले में पुरानी मानसिक स्थिति में ही जी रहा है। वह आज भी अपनी पत्नी को सिर्फ इस्तेमाल की चीज ही मानता है तथा पत्नी की इच्छा, भावनाओं और मानसिक स्थिति को लगातार नजरअंदाज करता आ रहा है। उसकी नजर में संभोग के समय सिर्फ अपनी संतुष्टि होना ही सब कुछ होता है। जिस भी समय उसकी काम उत्तेजना जागती है तो वह कुछ नहीं देखता बस अपनी पत्नी के साथ संभोग क्रिया करने के लिए चालू जाता है जैसे कि वह उसकी पत्नी न होकर कोई टेलीविजन हो जिसे जब भी देखने की इच्छा हो बटन दबाया और लगे देखने। हमारी संस्कृति में भी स्त्री को समर्पण करने के लिए ही बताया गया है। ऐसा सदियों से चला आ रहा है और आगे भी शायद ऐसा ही होता रहे। सेक्स के मामले में सभ्य और असभ्य के बीच विभाजन की कोई रेखा नहीं होती है। सेक्स के मामले में पुरुष काफी स्वार्थी होता है इसलिए इसे करते हुए वह स्त्री की इच्छा की परवाह न करते हुए स्वयं ही संभोग क्रिया में लग जाता है और खुद की संतुष्टि कर लेता है। पति की इस आदत के कारण पत्नी के अंदर काम उत्तेजना जाग नहीं पाती, उसमें सक्रियता पैदा नहीं होती। उत्तेजना न हो पाने के कारण वह संभोग क्रिया करते समय संतुष्ट नहीं हो पाती और खुद पुरुष भी शीघ्रपतन का शिकार हो जाता है।
बहुत से पुरुषों को स्त्रियों के बारे में एक बात का पता नहीं होता कि स्त्री के अंदर काम उत्तेजना को हर समय नहीं जगाया जा सकता। स्त्री की मानसिक और शारीरिक रचना पुरुष से कुछ अलग होती है। किसी-किसी समय तो उसकी काम उत्तेजना बहुत ज्यादा तेज हो जाती है और किसी समय बिल्कुल ही नहीं उठती है।
हर स्त्री का एक कामोद्दीपन-चक्र होता है जो उसके मासिक चक्र से संबंधित होता है। चंद्रमास (पूर्णिमा) के जैसे ही स्त्री का मासिक चक्र और कामोद्दीपन-चक्र भी 28 दिनों का ही होता है। स्त्री की काम उत्तेजना भी उसके मासिक चक्र से प्रभावित होती है। एक शोध के आधार पर यह ज्ञात हुआ है कि मासिक चक्र शुरू होने से कुछ दिन पहले तथा कुछ दिन बाद तथा समाप्ति के एक सप्ताह बाद स्त्री में काम उत्तेजना अपने पूरे चरम पर होती है। इन दिनों में वह संभोग करने के लिए पूरी तरह से तैयार होती है इसलिए इस समय में उससे संभोग करना अच्छा रहता है। इस समय में अगर पति अगर अपनी पत्नी से कुशलतापूर्वक संबंध बनाता है तो दोनों को ही हद से ज्यादा आनंद प्राप्त होता है।
अगर पति अपनी पत्नी से यह चाहता है कि वह संभोग क्रिया के समय खुद ही आगे बढ़कर उसे प्रोत्साहित करे तो इसके लिए उसे अपनी पत्नी के कामोद्दीपन चक्र का अध्ययन करना चाहिए तथा यह जानने की कोशिश करनी चाहिए कि किस-किस तारीख में पत्नी की काम उत्तेजना चरम पर होती है। लेकिन यह जानना इतना आसान भी नहीं है क्योंकि हमारे देश की स्त्री सेक्स के मामले में संकोच और शर्म की परत में सिमटी हुई होती है। हमारी संस्कृति उसे इस बात की इजाजत नहीं देती कि वह खुद ही अपने अंदर उठने वाली काम उत्तेजना के बारे में अपने पति से बोले। इसके लिए पति को खुद ही पहल करनी पड़ेगी कि वह अपनी पत्नी को समझाए कि वह अपनी काम उत्तेजना बढ़ने या कम होने के बारे में किसी कागज या पेपर पर लिखकर दे दे। इससे यह जानने में आसानी होगी कि आपकी पत्नी की काम उत्तेजना कब तेज होती है और वह कब संभोग करने के लिए लालायित रहती है। लेकिन इस बात को भी एक तरह से सही नहीं कहा जा सकता।
असल में स्त्री की काम उत्तेजना के बढ़ने या चढ़ने के बारे में जानना बहुत मुश्किल है। मासिक चक्र के अनुसार ही स्त्री की काम उत्तेजना कम या ज्यादा होती है। वैसे तो चंद्रमास के जैसे ही स्त्री का मासिक चक्र भी 28 दिनों का ही माना गया है। लेकिन एक ही स्त्री में मासिक चक्र की अवधि हमेशा एक जैसी नहीं होती है। स्वास्थ्य और मानसिक स्थिति के अनुसार यह चक्र भी बदलता रहता है जैसे कभी समय से पहले शुरू हो जाता है और कभी समय से बाद में।
अपने कामोद्दीपन चक्र के बारे में खुद स्त्री को भले ही न पता हो लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि पाक्षिक यौन तरंगों का लय-ताल का प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष असर स्त्री के यौन जीवन पर जरूर पड़ता है। यही पाक्षिक लय स्त्री के काम उत्तेजना की तरंगों का नियमन करती है। इसलिए जो पति अपनी पत्नी को बहुत चाहता है उसे चाहिए कि वह उसकी पाक्षिक यौन-तरंगों का अर्थात काम उत्तेजना का अध्ययन करें। इसके साथ ही यह भी जानने की कोशिश करें कि आपकी पत्नी की काम चेतना का लयताल का सामान्य स्वरूप क्या है। संभोग क्रिया करने से पहले अपनी पत्नी की मानसिक और शारीरिक स्थिति का जायजा लेने की कोशिश जरूर करें क्योंकि अगर किसी कारण से उसमें मानसिक और संवेगात्मक संतुलन विचलित हो गया हो तो उस समय संभोग क्रिया करने से आपको संतुष्टि भले ही मिल जाए लेकिन आपकी पत्नी को मानसिक परेशानी जरूर होगी और उसे संतुष्ट न कर पाने की ग्लानि आपके मन में भी बैठ जाएगी। अपनी पत्नी से संभोग के समय पूरी तरह से सहयोग न मिल पाने के कारण आपका पहले स्खलन हो जाएगा। इस तरह की परेशानी से बचने के लिए जरूरी है कि आप जब भी अपनी पत्नी से संभोग क्रिया करने के पूरी तैयारी करे तो उससे पहले अपनी पत्नी के बारे में पता कर लें कि वह मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार हो।