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चरम सुख की प्राप्ति

परिचय-

           जिस तरह से हमें किसी पहाड़ या ऊंची जगह पर पहुंचने के लिए एक-एक कदम बहुत ही सावधानी से और धीरे-धीरे रखना पड़ता है। लेकिन जब हम उस मंजिल को पार कर लेते हैं तो दिल को एक सुकून सा मिलता है  ठीक इसी तरह से संभोग क्रिया होती है। अगर इस क्रिया में भी हड़बड़ाहट या नासमझी दिखाई देती है तो इसमें मिलने वाला आनंद कभी प्राप्त नहीं होता।

           अगर आप चाहते हैं कि संभोग क्रिया के दौरान मिलने वाला चरम सुख आप और आपकी पत्नी को प्राप्त हो तो इसके लिए कुछ बातों पर ध्यान देना बहुत जरूरी है-

  • संभोग क्रिया के लिए सबसे पहले अपने शरीर के अंगों को शिथिल करने की तकनीक के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए। जब भी शरीर में काम उत्तेजना पैदा होती है तो पेशियों और तंत्रिकाओं में तनाव पैदा हो जाता है और स्खलित होने के बाद ही समाप्त होता है। अगर आप पहली बार ही संभोग क्रिया के दौरान उत्तेजना के समय इस तनाव को शिथिल करने की  कोशिश करेंगें तो इसमें सफलता मिलना मुश्किल है। इसके लिए आपको उस समय अभ्यास करना होता है जब आप संभोग क्रिया नहीं कर रहे होते हैं। इसके अभ्यास के लिए सबसे अच्छा तरीका यह है कि सबसे पहले आप किसी अंधेरे कमरे में पीठ के बल लेटकर शरीर को ढीला छोड़ दें। इस अवस्था में कुछ देर तक शांत रहने के बाद अपनी गर्दन की पेशियों को हल्के से सख्त करने का अभ्यास कीजिए। इसमें सफलता मिल जाने के बाद पेशियों को थोड़ा और सख्त करने का अभ्यास करें और बाद में जितना ज्यादा हो सके सख्त करने का अभ्यास करें। इसके बाद गर्दन की पेशियों को उसी तरह से ढीला करने की शुरुआत करें जिस तरह से सख्त करने की शुरूआत की थी। इस क्रम को कई बार दोहराइये। ऐसा करते रहने से आप कड़ी पेशियों को ढीला करने की तकनीक सीख जाएंगे।
  • गर्दन की पेशियों को शिथिल करने की तकनीक सीखने के बाद अपनी एक बांह की पेशियों को शिथिल करने की तकनीक सीखने का अभ्यास करें। जब आप इसमें भी सफल हो जाएं तो पैरों की पेशियों को शिथिल करने का अभ्यास करें। इस तरह आप शरीर के हर अंग को शिथिल करने का अभ्यास करेंगे तो शरीर के जिस अंग को शिथिल करना चाहेंगे उसे कर ही लेंगें। इस अभ्यास को सप्ताह में कई बार कई बार दोहराएं। इससे कुछ ही समय में आप उस स्थिति में भी अपने शरीर के उन अंगों को शिथिल करने में सफल हो जाएंगे जबकि शोर-शराबे या दूसरे कारणों से आपको ध्यान लगाने में परेशानी होती हो। जब शारीरिक अंगों को शिथिल करने की तकनीक सीख जाएंगे तो उसके बाद संभोग क्रिया के समय जब स्खलित होने को होंगे तो उस समय आप अपने उत्तेजना केंद्र की पेशियों को तुरंत ही शिथिल करके स्खलन होने से रोकने में सफल हो सकते हैं।
  • संभोग क्रिया की शुरुआत करने से पहले पत्नी का मूड और उसकी मानसिक स्थिति को देख लेना चाहिए। अगर आपको महसूस होता है कि आपकी पत्नी शारीरिक और मानसिक तौर पर इस क्रिया के लिए तैयार नहीं है तो आप भी उसके साथ संबंध बनाने के लिए किसी तरह की जबर्दस्ती न करें। क्योंकि कभी-कभी स्त्री को छोटी-मोटी शारीरिक परेशानी या मानसिक परेशानी होती रहती है जिसे वह अपने पति को भी नहीं बताती और इसी कारण से उसका संभोग क्रिया में भी मन नहीं लगता। किसी तरह की परेशानी होने पर न तो उसके अंदर काम-उत्तेजना ही पैदा होगी और न ही उसकी योनि में गीलापन आ सकेगा। ऐसी स्थिति में उसके साथ जबर्दस्ती सेक्स संबंध बनाना गलत होगा और आप भी उसके अंदर काम उत्तेजना न होने के कारण शीघ्र ही स्खलित हो जाएंगे तथा संभोग क्रिया के हर आनंद से वंचित ही रह जाएंगे। इस तरह से अगर आपको भी किसी तरह की मानसिक या शारीरिक परेशानी हो तो आपको भी संभोग क्रिया से दूर ही रहना चाहिए। पत्नी अगर इस क्रिया के लिए पहल करती है तो आपको प्यार से उसे अपनी मानसिक या शारीरिक स्थिति के बारे में समझा देना चाहिए। पत्नी अगर समझदार होगी तो वह आपकी परेशानियों को समझ जाएगी और आपको इस क्रिया के लिए बाध्य नहीं करेगी। इसलिए संभोग क्रिया करना तभी अच्छा रहता है जब आप दोनों मानसिक और शारीरिक रूप से संभोग क्रिया के लिए तैयार हो।
  • संभोग क्रिया के दौरान ज्यादा से ज्यादा आनंद प्राप्त करने के लिए जब आपका लिंग स्त्री की योनि में प्रवेश कर जाए तो भी आप अपनी पत्नी की काम-उत्तेजना को लगातार बढ़ाने की कोशिश करते रहें तथा पत्नी से कहें कि वह भी इस क्रिया में आपका सहयोग करे। योनि में घर्षण की क्रिया के समय चुंबन, आलिंगन, स्तनों को दबाना आदि को करते रहना चाहिए। इससे आप और आपकी पत्नी क्रियाशील रहेंगे। ज्यादातर स्त्रियां संभोग क्रिया के समय बेजान मूर्ति सी बनकर बिस्तर पर पड़ी रहती हैं। उसे लगता है कि अगर मै इस क्रिया में आगे बढ़कर कुछ करती हूं तो शायद मेरे पति को ऐसा लग सकता है कि मै गलत हूं। लेकिन यह गलत है। संभोग क्रिया के समय अगर पत्नी और पति ज्यादा से ज्यादा एक-दूसरे को सहयोग करते हैं तो इससे दोनों को इस क्रिया की समाप्ति पर एक साथ ही चरम सुख की प्राप्ति होती है।
  • संभोग क्रिया के समय चरम सुख की प्राप्ति के लिए सही तरह के आसनों का प्रयोग भी बहुत जरूरी है। इन आसनों को आप अपने पहले के अनुभव के आधार पर चुन सकते हैं। केवल बदलाव और नयेपन के लिए नए आसनों का प्रयोग भूलकर भी नहीं करना चाहिए।
  • पति और पत्नी को एक-दूसरे की यौन-प्रकृति तथा काम-उत्तेजना की गति से पूरी तरह परिचित हो जाने के बाद, आपस में तालमेल बनाए रखते हुए, चरमसुख की ओर सावधानी से इस तरह बढ़ना चाहिए कि वह दोनों ही संभोग क्रिया के समय लगभग एक साथ ही स्खलित होकर चरम सुख को प्राप्त कर सके। अगर पुरुष संभोग क्रिया में पहल करता है तो कटि-संचालन और लिंग घर्षण से तालमेल बनाए रखकर अपनी पत्नी को भी कटि और नितंबों का संचालन कराना चाहिए ताकि लिंग योनि में ज्यादा गहराई तक प्रवेश कर सके। कुछ दिनों के अभ्यास के बाद पत्नी की कटि और नितंबों का संचालन अपने आप ही स्वाभाविक गति से होने लगता है। कटि संचालन में लयात्मक तालमेल बनाए रखने के लिए यह आसन भी बहुत महत्वपूर्ण होता है। जिस आसन में संभोग क्रिया के दौरान पति ऊपर और पत्नी नीचे होती है वह कटि संचालन और घर्षण में उचित तालमेल बनाए रखने के लिए सबसे अच्छा होता है। इसके अलावा जिस आसन में पति कुर्सी पर बैठता है और पत्नी उसकी जांघों पर बैठकर संभोग करती है। इस तरह संभोग करने से वह अपने कटि का संचालन इस प्रकार से करती है कि जिससे कि पति का लिंग पूरी गहराई से योनि में आघात भी करता है और शिश्निका का घर्षण भी करता है। इस आसन में संभोग करते हुए पति-पत्नी को अलिंगन, चुंबन और स्तनों को दबाने का मौका भी मिलता है। इस क्रिया में आनंद को बढ़ाने के लिए कटि-संचालन में विविधता अपनाई जा सकती है। संभोग क्रिया के समय जब घर्षण की गति कम हो तो आपकी पत्नी को कटि-संचालन तेज करके नितंबों को चक्र के समान घुमाना चाहिए। इसके साथ ही आप गुदा के भाग की पेशियों को सिकोड़कर लिंग को योनि के अंदर उछाल सकते हैं तथा आपकी पत्नी अपनी योनि की पेशिय़ों को सिकोड़कर आपके लिंग को दोहने की कोशिश कर सकती है। अगर पति और पत्नी एक साथ ही पेशी-संकोचन करने की तकनीक सीख जाते हैं तो इससे दोनों को ही संभोग क्रिया में असीम आनंद प्राप्त होता है। नितंब और कटि के लयात्मक संचार के साथ ही पति और पत्नी दोनों को ही आलिंगन और चुंबन आदि क्रियाएं जारी रखे रहनी चाहिए। जिस समय पति-पत्नी के स्तनों को दबा रहा हो उस समय पत्नी को उसकी जांघों को सहलाते हुए नितंबों को दबाना चाहिए। उस समय अगर पति अपनी पत्नी की शिश्निका को भी सहलाता रहता है तो इससे दोनों आनंद के अथाह सागर में समा जाते हैं।
  • संभोग क्रिया के लिए सही समय की प्रतीक्षा करनी चाहिए। किसी भी समय यह क्रिया करना सही नहीं होता है। इस क्रिया के समय किसी तरह की असावधानी आपको इस दौरान मिलने वाले सुख से वंचित कर सकती है। जब पति और पत्नी एकदम मूड में हो तो उस समय प्राकक्रीड़ा (फोर प्ले) की जा सकती है। इस दौरान नखरों का इस्तेमाल भी किया जा सकता है। यह आगे बढ़ने फिर पीछे हटने और फिर से आगे बढ़ने की तकनीक है। इस तकनीक से एक तो आनंद की वृद्धि होती है और दूसरा स्तंभन का समय भी बढ़ता है। ऐसे में पति ऊपर और पत्नी नीचे वाला आसन सबसे अच्छा रहता है क्योंकि इस आसन में दोनों ही तेज गति से कटि-संचालन कर सकते हैं और चुंबन तथा आलिंगन की क्रिया भी कर सकते हैं।
  • अगर पति थका हुआ हो तो संभोग क्रिया के समय स्त्री को ही पहल कर देनी चाहिए। पति को चुपचाप बिस्तर पर लेटे रहना चाहिए और पत्नी को संभोग करने देना चाहिए। पति चाहे तो अपनी कटि को उछालकर पत्नी को सहयोग कर सकते हैं ताकि लिंग योनि में ज्यादा गहराई तक प्रवेश कर सके तथा शिश्निका से घर्षण भी होता रहे। अगर स्त्री और पुरुष दोनों ही थके हुए होते हैं और संभोग करना चाहते हैं तो उनके लिए आमने-सामने करवट लेकर लेटते हुए आसन का प्रयोग अच्छा रहता है। इसके अलावा पत्नी को बाईं करवट लिटाकर उसके पीछे लेटकर गुदामैथुन किया जा सकता है।  


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