आरती श्री साईं गुरूवर की। परमानन्द सदा सुरचर की।।
जाकी कृपा विपुल सुखकारी। दुख,शोक, संकट, भयहारी।।1।।
शिरडी में अवतार रचाया। चमत्कार से तत्व दिखावा।।2।।
कितने भक्त चरण पर आए। वे सुख-शांति चिरतंन पाए।।3।।
भाव धरे मन में जैसा। पाव अनुभव वे ही वैसा।।4।।
गुरू की लगावे तन। समाधान लाभत उस मनको।।5।।
साईं नाम सदा जो गावे। सो फल जग मे शाश्वत पावे।।6।।
गुरूवर करि पूजा-सेवा।। उस पर कृपा करत गुरूदेवा।।7।।
राम, कृष्ण, हनुमान रूप में।। दे दर्शन जानत जो मन में।।8।।
विविध धर्म के सेवक आते। दर्शन से इच्छित फल पाते।।9।।
जय बोलो साईंबाबा की। जय बोलो अवधृतगुरू की।।10।।
’साईंदास’ आरती को गावे। घर में वसि सुख, मंगल पावे।।11।।