परिचय-
हृदय वाहिकीय (Cardiovascular) और लसीकीय तन्त्र दोनों पूरे शरीर में द्रव्य (Fluid) का प्रवाह करते हैं, लेकिन ये द्रव्य अलग-अलग तरह के होते हैं। लसीका तन्त्र में न तो हृदय की तरह केन्द्रीय पम्प होता है और न ही बन्द परिपथ (Closed circuit) होता है। लसीकीय तन्त्र पतली भित्तियों वाली वाहिकाओं से बना एक जाल होता है, जो शरीर में रक्त वाहिनियों की तरह फैला रहता है। यह तन्त्र एक साफ, रंगहीन तरल का संचालन करता है।
लसीकीय तन्त्र चार मुख्य कार्यों को सम्पादित करता है-
1. यह तन्त्र पूरे शरीर की कोशिकाओं के चारों ओर मौजूद रहने वाले अन्तरालीय द्रव (Interstitial fluid) से ज्यादा जल एव प्रोटीन्स को एकत्रित करके लसीका (lymph) के रूप में रक्तप्रवाह में पहुंचाता है।
2. लसीकीय तन्त्र सूक्ष्म जीवाणुओं (Microorganism) और दूसरे हानिकारक बाह्य पदार्थों को नष्ट करता है।
3. यह तन्त्र छोटी आंत के आस-पास के ऊतकों से वसा (Fats) को एकत्रित करके रक्तप्रवाह में पहुंचाता है।