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ध्यान

 

परिचय-

          ध्यान लगाने के लिए किसी भी शान्त सी जगह पर चटाई बिछाकर पद्मासन की मुद्रा में बैठकर मुंह को उत्तर या पूर्व दिशा मे करके पूरे शरीर और मन को आराम दें। समान रूप से सांस लेते हुए आंखों को बन्द करके बिल्कुल शान्त मन से अपने ईष्ट देवी-देवताओं पर ध्यान लगा लें। अब मन ही मन मे अपने गुरुमन्त्र या किसी पवित्र मन्त्र का जाप करें। फिर मन मे सोचे कि आपके ईष्ट देवी-देवता आपकी दोनों भौंहो के बीच या आंख मे या दिल मे मौजूद है। माहौल को पवित्र बनाने के लिए धूपबत्ती या अगरबत्ती जला लें तथा ध्यान से पूर्व प्रार्थना कर लें। जब आप अपने मन को एक जगह लगाकर मन्त्र का जाप करेंगी तो आपके मन में अपने ईष्ट देवी-देवता नजर आएंगे। ये सब करने के लिए पहले मन को एक जगह लगाना पड़ता है और फिर ध्यान लगता है। अब आंखों को बन्द करके पैरों के पंजों से शुरू करके अपने पैरों, पेट, स्तनों, भुजाओं, गर्दन, चेहरे और मुंह के जबड़ों से होते हुए मांसपेशियों को आराम दें। नाक से हवा को पेट तक लें जाएं जो सांस के साथ ऊपर-नीचे होता रहे। अपनी सांस लेने की क्रिया को जागृत रखें तथा उसके साथ-साथ ओम का जाप करें। फिर अपने शरीर की मांसपेशियों को ढीला छोड़ते हुए एक ही रफ्तार में सांस लेते हुए ओम का जाप करें। ये सब करते हुए मन मे बेकार के विचारों आएंगे पर ऐसे विचारों को मन से निकाल दें। अगर ऐसे विचार दोबारा आते है तो उन पर ज्यादा विचार ना करें तथा ओम का जाप करती रहें। शुरूआत मे अगर आप 10 मिनट तक ध्यान लगा सकती है तथा बाद मे उसका समय बढ़ाते जाएं। अगर ध्यान लगाना है तो पूरी निष्ठा तथा श्रद्धा के साथ करें।

          अब आप ये सोच रही होगीं कि ध्यान लगाकर हमे क्या चीज मिल सकता है। ध्यान लगाने से हमारा भटकता हुआ मन भगवान की ओर लग जाता है। दूसरा ध्यान लगाने से आपको खुद की भंगुरता महसूस होगी तथा पूरी तरह ध्यान मे लगाने के बाद आपको पूरे योगी की प्राप्ति होगी। ऐसे मे आप अपने ईष्ट देवी-देवताओं के साथ पूरी तरह सामंजस्य बिठाकर ब्रह्म मे लीन हो सकेगी। ध्यान लगाते समय शुरूआत मे हो सकता है कि आपके मन मे अजीब और बुरे विचार आए तो ऐसे समय मे गहरी सांस लें और ओम् का जाप करती रहें तथा ध्यान की जगह पर भजन गाती रहें। थोड़ी देर बाद जब आपको लगता है कि आपके मन से ऐसे विचार निकल गए है तो फिर ध्यान लगा सकती है। ध्यान आपको ईश्वर के बिल्कुल करीब पहुंचा देता है। जिस तरह से मन बुरी संगतों मे रम जाता है वैसे ही ये ईश्वर में भी लीन हो जाता है। जब आप अपने आपको ईश्वर के बिल्कुल करीब महसूस करती है तब आपका अपना जीवन खुशियों भरा और सारे दुखों से दूर नजर आएगा। इस तरह से आपको ध्यान लगाने से आपको मन को काबू करने की, किसी भी मुश्किल घड़ी मे सही फैसला करने की तथा जिन्दगी मे सुख-दुख को सहने की आदत पड़ जाएगी।


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