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त्वचा के उपांग

बाल या केश (Hair)- बाल (hair) बाह्य त्वचा के कठोर भाग का ही परिवर्तित (modified) रूप है, जो कि अन्तरत्वचा (डर्मिस) में अवस्थित रहते हैं। इनकी रचना नली के समान होती है, लेकिन इनका आकार प्रकार और गठन शारीरिक उपयोगिताओं के अनुरूप रहता है। इनमें भी बाह्य त्वचा की विभिन्न परतों कि कोशिकाओं के समान ही तन्त्रिका तन्तुओं (nerve fibres) का अभाव रहता है, लेकिन बाल का सम्बन्ध रक्तवाहिनियों और तन्त्रिका-तन्तुओं से, रोमकूप तथा जड़ के समीप वाले भाग से होता है, जो अन्तरत्वचा (डर्मिस) मे गहराई तक स्थित रहते हैं। इसलिए बाल को यदि जड़ से खींच कर उखाड़ा जाए, तो पीड़ा का अनुभव होता है।

     हर बाल एक सूक्ष्मकोष-रोमकूप (hair follicle) में अव्यवस्थित रहता है। रोमकूप के आधार पर कोशिकाओं का एक गुच्छा होता है। जिसे रोमकन्द (hair bulb) कहा जाता है।  इस हेयर बल्ब की कोशिकाओं में वृद्धि होने से बाल बन जाता है। रोमकूप के तल में एक छोटा शंकु-आकार का उभार रहता है, जिसे अंकुरक (papilla) कहते हैं, जिसमें रक्त-कोशिकाओं का गुच्छा ‘कोशिका अंकुरक’ (vascular papilla) रहता है। इनके रक्त से बाल का विकास होता है। बाल का विकास होने में हेयर बल्ब की कोशिकाओं का बहुगुणन होने से जैसे-जैसे कोशिकाएं ऊपर को धकेली जाती है, वैसे-वैसे पोषण के स्रोत से दूर होती जाने से मृत हो जाती है और केराटिन (keratin) मे बदल जाती है। बाल त्वचा में हमेशा तिरछे जमे रहते हैं। छोटी अनैच्छिक पेशी-एरेक्टर पाइलोरम (Arrector pilorum) हेयर फॉलिकल्स से जुड़ी रहती है। यह हमेशा उसी तरफ रहती है जिधर बाल झुका हुआ रहता है, ताकि जब ये संकुचित हो तब बाल सीधा खड़ा रह सकें। उसी समय बाल के  आस-पास की त्वचा भी उठ जाती है, जो एक प्रकार का प्रभाव पैदा करती है, जिसे रोगटें खड़ा होना या रोमांचित (Goose flesh) होना कहते हैं।

     बाल का त्वचा से बाहर रहने वाला भाग  (जो हमें दिखाई देता है), ‘रोमकाण्ड’ (hair shaft) तथा बाकी त्वचा के अंदर रहने वाला पूरा भाग रोममूल (Hair root) कहलाता है। रोमकाण्ड की सबसे ऊपरी परत क्यूटिकल (cuticle) कहलाती है, जो परस्पर प्यापी शल्कों के समान कोशिकाओं (overlapping scale like cells) से बनी होती है। हर बाल के अन्दर ही एक बारीक नलिका (medulla of the hair) होती है। बाल का मुख्य गात्र अर्थात ‘बाल-प्रांतस्था’ (Cortex of the hair) नीचे चौड़ा और ऊपर पतला होता है। बाल की जड़ अर्थात रोममूल पैपिला पर अवस्थित रहती है और यहीं से बाल को पोषण मिलता है। पैपिला (Papilla) के स्वस्थ और सक्रिय रहने पर ही बालों का स्वास्थ्य, उनकी वृद्धि और उत्पत्ति निर्भर करती है।

     रोमकूप (Hair follicle) में अन्तरत्वचा (डर्मिस) का भाग अतिवाहिकामय रहता है और अन्य स्थानों से अधिक तन्त्रिका-तन्तुओं से प्रेरित रहता है। हर बाल से एक त्वग्वसीय ग्रन्थि (sebaceous glands) सम्बन्धित रहती है। इसमें से हमेशा एक तैलीय द्रव- सीबम, स्रावित होता रहता है जो बाल तथा त्वचा को चिकना बनाकर रखता है।


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