परिचय-
इस तन्त्र के अन्तर्गत त्वचा एवं इसकी व्युत्पत्तियां (derivatives)- बाल, नाखून, पसीना और तैलीय ग्रन्थियां शामिल होती है।
शरीर की ऊपरी परत (integument) को ‘त्वचा’ कहा जाता है। शरीर की त्वचा (इन्टेगुमेन्टरी संस्थान) एक महत्वपूर्ण तन्त्र है क्योंकि इसके द्वारा अनेक जीवनोपयोगी क्रियाएं सम्पादित होती है। त्वचा शरीर और वातावरण के बीच सीमान्त या सीमा बन्धक झिल्ली होती (मेम्ब्रेन) है, जिसके माध्यम से तमाम वस्तुओं का विनिमय (Exchange) होता रहता है। इस तरह से त्वचा शरीर के ऊतकों तथा बाह्म वातावरण के बीच एक रोधी भित्ति का कार्य करती है, वातावरण-संचारेक्षण के लिए ज्ञानेन्द्रिय का कार्य करती है तथा शरीर का तापक्रम नियन्त्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है।
त्वचा के द्वारा सम्पादित होने वाले शरीर उपयोगी कार्यों को समझने के लिए त्वचा की संरचना का अध्ययन जरूरी है।
त्वचा, संरचना के अनुसार मुख्यतः दो परतों से मिलकर बनी होती है-
ये दोनों परतें कई परतों में उपविभाजित हो जाती है। ये दोनों परतें एक बारीक, आकारविहीन आधारीय कला (basement membrane) से एक-दूसरे से अलग-अलग रहती है। अन्तरत्वचा के नीचे ढीले संयोजी ऊतकों की एक परत रहती है। इस परत को अधस्त्वचीय (hypodermis) कहते हैं। बाह्य त्वचा (epidermis) बहिर्जन परत (ectoderm) से तथा अन्तरत्वचा और उसके नीचे के ऊतक मध्यजन परत (mesoderm) से बनी होती है।