परिचय-
मालिश का स्नायविक संस्थान पर बहुत गहरा असर होता है, परन्तु यह प्रभाव मालिश की विभिन्न पद्धतियों पर निर्भर करता है। यह मालिश उस समय की जाती है जब स्नायु-संस्थान उत्तेजना या आराम की स्थिति में हो। स्नायुओं में जब उत्तेजना आ जाती है, तो मांसपेशियों, खून की नालियों और ग्रंथियों की कार्यशीलता बढ़ जाती है। इसका कारण यह है कि शरीर के विभिन्न तंतुओं को स्नायुओं द्वारा ही नियंत्रित किया जाता है। मालिश से स्नायुओं को सुख मिलता है तथा शरीर हल्का होता है।
यदि एक स्वस्थ स्नायु पर मालिश की जाए तो उसमें उत्तेजना और दर्द पैदा होने लगता है, परन्तु जिस स्नायु में पहले से दर्द हो, उस पर मालिश की जाए तो उसका दर्द कम हो जाता है। हल्का दबाव स्नायु में उत्तेजना पैदा करता है, किंतु अधिक दबाव देने पर वह कम होती है। पीछे वाले स्नायुओं पर यदि बार-बार दबाव दिया जाए तो उसका दर्द आश्चर्यजनक रूप से दूर हो जाता है। पाचन-संस्थान और रक्त-संस्थान पर मालिश का प्रभाव होने से स्नायुओं में पोषक तत्वों की बढोत्तरी होती है।